नरोत्तम मिश्रा के बहाने मध्य प्रदेश भाजपा में गुटबाजी, निशाने पर पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान

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सूत्रों की मानें तो ऐसा कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह नहीं चाह रहे कि उनकी सरकार में हुए घोटालों की आंच उन तक आए। इसलिए वह सरकार में रहे मंत्रियों को बलि का बकरा बना रहे हैं। राजनीतिक सूत्र यह भी कहते है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े अंतर से नहीं जीती है।

मध्य प्रदेश बीजेपी इन दोनों गुटबाजी के दौर से गुजर रही है। पंद्रह साल प्रदेश में शासन करने के बाद सत्ता जाते ही भारतीय जनता पार्टी दो गुटों में नज़र आने लगी है। यह गुटबाजी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मुख्यमंत्री रहते जिन नेताओं को हाशिए पर रखा गया उनके बीच है। जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान है, तो दूसरी तरफ प्रदेश की ही पूर्व मुख्यमंत्री रही उमा भारती और मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे प्रभात झा है, जो वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी है के बीच है। जहां शिवराज सिंह चौहान पार्टी में अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे है, तो दूसरी ओर बीजेपी की पंद्रह साल की सत्ता में तेरह साल एक छत्र राज करने वाले शिवराज सिंह चौहान के वो विरोधी है जिन्हें इस दौरान पार्टी ने प्रदेश की राजनीति से दूर रखने का प्रयास किया। जिसमें भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती भी हैं, जिनके नाम पर मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी। लेकिन मात्र एक साल में ही मध्यप्रदेश बीजेपी ने उनसे पल्ला झाड़ लिया था। राजनीतिक पंडितों और पार्टी सूत्रों की माने तो इसमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हाथ था। वह नहीं चाहते थे कि उमा भारती एक बार फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो, जिसको लेकर उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से उमा भारती को प्रदेश से दूर रखने के लिए भी कहा था तो दूसरी ओर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा को भी अध्यक्ष रहते कुछ ऐसे निर्णयों के लिए जिसमें शिवराज सिंह चौहान की सहमति नहीं थी को लेकर विवाद की स्थिति बनी और प्रभात झा को केंद्र की राजनिति में भेज दिया गया। लेकिन सत्ता रहते यह दोनों बड़े नेता शिवराज सिंह चौहान की खिलाफत नहीं कर सके। लेकिन इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के यह दोनों ही कद्दावर नेता कभी पार्टी और सरकार के लिए संकटमोचन कहे जाने वाले प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा को साथ लेकर एक गुट में नजर आ रहे है। दरअसल इन दिनों प्रदेश की राजनीति में नरोत्तम मिश्रा का नाम सुर्खियों में है। जिन्हें प्रदेश की कमलनाथ सरकार ई टेंडरिंग घोटाले में आरोपी के रूप में देख रही है। नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव वीरेंद्र पांडे और ओएसडी रहे निर्मल अवस्थी सहित करीबी मुकेश शर्मा को ईओडब्ल्यू ने ई टेंडरिंग घोटाले में गिरफ्तार किया है। जिन्हें जेल भेज दिया गया तो अब सुई पूर्व कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा की तरफ है। जिनके बचाव में पहले उमा भारती और अब प्रभात झा उतार आये है। नरोत्तम मिश्रा शिवराज सरकार में जल संसाधन मंत्री थे और इसी विभाग के टेंडरों में हुए घोटालों को लेकर ई टेंडरिंग घोटाले का आरोप उन पर लग रहा है। नरोत्तम मिश्रा बीजेपी के वही नेता है जिन्हें एक समय पार्टी और शिवराज सरकार का संकटमोचन कहा जाता था।

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सूत्रों की मानें तो ऐसा कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह नहीं चाह रहे कि उनकी सरकार में हुए घोटालों की आंच उन तक आए। इसलिए वह सरकार में रहे मंत्रियों को बलि का बकरा बना रहे हैं। राजनीतिक सूत्र यह भी कहते है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े अंतर से नहीं जीती है। कांग्रेस को जहां 114 सीटें मिली तो वही बीजेपी को 109 संख्या बल में बड़ा अंतर न होने के चलते एक स्थिर सरकार चलाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हाथ मिला लिया है। जिसके चलते कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री पर हमले करने से बचती है भले ही चुनाव से पहले वह व्यापम और ई टेंडरिंग घोटाले को लेकर सीधे शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाती रही हो। यही नहीं शिवराज सिंह चौहान के निशाने पर नरोत्तम मिश्रा उस समय से हैं जब नरोत्तम मिश्रा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को मध्य प्रदेश की यात्रा के दौरान अपने घर पर भोज दिया था और केंद्र में खुद मुख्यमंत्री बनने की लालसा के चलते राजनीतिक बिसात बिछाने शुरू कर दी थी। जो कि शिवराज सिंह चौहान को नागवार गुजर रही थी, यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से पहले नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग में हुई शिकायत के आधार पर अयोग्य ठहराए जाने को लेकर भी हवा दी गई। जिसकी सुनवाई दिल्ली कोर्ट में हुई। दूसरी ओर सरकार जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे चल रहे नरोत्तम मिश्रा के नाम पर शिवराज सिंह चौहान ने सहमति नहीं दी थी। जिसके बाद प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष के रूप में पार्टी ने पेश किया। जिनकी उपस्थिति विधानसभा सदन में शिवराज सिंह चौहान के आगे अब तक फीकी ही रही है।

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वही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ई टेंडरिंग घोटाले के जरिए नरोत्तम मिश्रा पर तीर छोड़ दिया है। जिसको लेकर पहले पूर्व मुख्यमंत्री रही भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने नरोत्तम मिश्रा के पक्ष में ट्वीट कर कमलनाथ सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए शिवराज सिंह चौहान को चेताने की कोशिश की है, तो वही अब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने नरोत्तम मिश्रा की वकालत करते हुए कहा कि राजनीतिक विद्वेष से अगर कमलनाथ नरोत्तम को डराना चाहते हैं तो किसी मुगालते में ना रहे, नरोत्तम के साथ पूरी पार्टी खड़ी है। जबकि उमा भारती ने ट्वीट कर लिखा था कि नरोत्तम मिश्रा जी भाजपा के एक समर्थ कार्यकर्ता एवं मजबूत इरादों के व्यक्ति हैं उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। मैं भाजपा पूरी तरह से उनके साथ है। इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने शिवराज सिंह चौहान से उनके बंगले पहुचकर बंद कमरे में बात की थी। दूसरी तरफ नरोत्तम मिश्रा ने भी कमलनाथ सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मैं छात्र जीवन से राजनीति कर रहा हूं। मैं चुनौती देता हूं। सबूत हो तो मेरे खिलाफ कार्रवाई करे। वही ईओडब्ल्यू को उन्होंने कमलनाथ की कपिला गाय तक कह दिया। नरोत्तम ने कहा कि ई टेंडर के माध्यम से मेरे चरित्र की हत्या करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन जिस तरह नरोत्तम मिश्रा के पक्ष में मध्यप्रदेश से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता उमा भारती और प्रभात झा ने मोर्चा खोल दिया है। उसे देखते हुए प्रदेश बीजेपी में गुटबाजी की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह दोनों नेता हमेशा से ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ रहे है। यही नहीं अब नरोत्तम मिश्रा के बहाने वह शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लेना चाहते है। क्योंकि नरोत्तम मिश्रा शिवराज सरकार में पॉवरफुल नेताओं में सुमार थे जिन्हें शिवराज सरकार की नस नस से वाकिफ माना जाता है।

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