मध्यप्रदेश में नक्सलवाद पर नियंत्रण के लिए की जा रही सशस्त्र कार्रवाई एवं विकासात्मक कार्य : चौहान

Shivraj Singh Chauhan
प्रतिरूप फोटो

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को बताया,‘‘वर्ष 2020-21 में प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों बालाघाट, मंडला एवं डिंडौरी में लोगों को वृहद स्तर पर मनरेगा अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा के तहत 12 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हुए 2020-21 की एक वर्ष की अवधि में ही 802.57 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नयी दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर रविवार को हुई समीक्षा बैठक में कहा कि मध्य प्रदेश में नक्सल प्रभावित तीन जिलों में नक्सलवाद को नियंत्रित करने के लिये सशस्त्र कार्रवाई करने के साथ ही निरंतर विकासात्मक कार्य कराये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षों में मध्य प्रदेश पुलिस ने सात नक्सलियों को मुठभेड़ में मारने और तीन नक्सलियों की गिरफ्तारी में सफलता प्राप्त की। प्रदेश के तीन नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला एवं डिंडौरी हैं।

चौहान ने बताया, ‘‘वर्ष 2020-21 में प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों बालाघाट, मंडला एवं डिंडौरी में लोगों को वृहद स्तर पर मनरेगा अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा के तहत 12 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हुए 2020-21 की एक वर्ष की अवधि में ही 802.57 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

विगत पांच वर्ष की अवधि में राज्य ने अपने स्रोतों से 375 करोड़ रुपये व्यय कर 430 किलोमीटर सड़कें एवं 14 पुल निर्मित किये हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश ग्रामीण कनेक्टिविटी योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 72 करोड़ रुपये के व्यय से 1405 किलोमीटर की सड़कें नक्सल प्रभावित जिलों में बनाई गई हैं।

चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश में पूर्व में निरस्त वन अधिकार दावों पर पुनर्विचार करते हुए 34,000 पट्टे जनजाति भाई-बहनों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम-2020 पारित किया है, जिससे अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को नियम विरूद्ध दिए गए ऋण अपने आप माफ हो गए हैं।

राज्य में आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम यानी पेसा कानून को चरणबद्ध रूप से लागू करने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। चौहान ने बताया कि ग्राम न्यायालयों को सशक्त करने की दिशा में राज्य के नियमों में संशोधन किया जाएगा। देवारण्य योजना के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में औषधियों के उत्पादन की तकनीक और उनके लिए बाजार लिंकेज उपलब्ध कराई जा रही है। वन विभाग के माध्यम से संचालित गतिविधियों से बालाघाट, मंडला एवं डिंडौरी जिले में रोजगार सृजित हुआ है।

उन्होंने बताया कि बालाघाट, मंडला एवं डिंडौरी जिलों में 23,113 महिला स्व-सहायता समूह बनाकर समूहों से 2.74 लाख परिवारों को जोड़ा गया है। ये समूह उन्नत खेती, पशुपालन उत्पादों के विपणन के साथ गैर कृषि क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं।

चौहान ने कहा कि प्रदेश की उद्योग मित्र नीति के फलस्वरूप बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में रोजगार मेलों तथा स्व-रोजगार योजनाओं से एक अप्रैल, 2020 से अब तक 10,341 व्यक्तियों को रोजगार मिला है। बालाघाट में 18 अगस्त, 2021 को आयोजित निवेश सम्मेलन में 16 उद्योगपतियों ने 2800 करोड़ के निवेश पर सहमति जताई है।

इससे क्षेत्र के 4000 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही 54 एमएसएमई इकाइयों में लगभग 300 करोड़ के निवेश पर भी सहमति व्यक्त की गई।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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