कश्मीर प्रेस क्लब बंद, एडिटर्स गिल्ड ने ‘‘जबरन नियंत्रण’’ की निंदा की

Editors Guild of India

गिल्ड ने क्लब में ‘‘जबरन नियंत्रण’’ से पहले की यथास्थिति तत्काल बहाल किए जाने की मांग की और नए प्रबंधन निकाय एवं कार्यकारी परिषद की नियुक्ति के लिए चुनाव कराए जाने का आह्वान किया।

श्रीनगर|  कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) के नए प्रबंधन ने उसके एक सदस्य के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने का हवाला देते हुए केपीसी परिसर को रविवार को बंद कर दिया।

इस बीच, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ और अन्य पत्रकार संगठनों ने क्लब पर ‘‘जबरन नियंत्रण’’ हासिल किए जाने की निंदा की। उन्होंने इसे जम्मू-कश्मीर में प्रेस की आजादी को दबाने की लगातार जारी कोशिश का हिस्सा बताया।

कश्मीर प्रेस क्लब के मुख्य द्वार पर लगे एक नोटिस में कहा गया है कि क्लब के एक सदस्य के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण इसे बंद किया गया है। सभी सदस्यों को एक ईमेल भेजकर अगले एक हफ्ते तक पोलो ग्राउंड एरिया के पास स्थित इस क्लब में नहीं आने की सलाह भी दी गई है।

क्लब के प्रबंधक सजाद अहमद ने कहा, ‘‘मुझे क्लब के चौकीदार ने बताया कि अंतरिम निकाय के दो सदस्यों ने उसे क्लब के द्वार बंद करने और किसी को अंदर आने की अनुमति न देने का निर्देश दिया है, क्योंकि एक सदस्य संक्रमित पाया गया है।’’

इस बीच तीखी आलोचनाओं का शिकार हो रहे अंतरिम निकाय के एक ईमेल में दावा किया गया है कि उसके ईमेल अकाउंट को हैक कर लिया गया था। उसने यह भी कहा कि हैकिंग के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जा रही है। इस बीच, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) में ‘‘जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा जबरन नियंत्रण’’ किए जाने की रविवार को निंदा की और इसे पुलिस की मदद से केंद्र शासित प्रदेश में प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने की प्रवृत्ति करार दिया।

गिल्ड ने एक कड़़ा बयान जारी करके कहा कि सशस्त्र पुलिसकर्मियों की मदद से पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को जिस प्रकार घाटी के सबसे बड़े पत्रकार संघ केपीसी के कार्यालय एवं प्रबंधन पर ‘‘जबरन कब्जा’’ किया, वह उसे देखकर वह स्तब्ध है। गिल्ड ने कहा कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस किसी वारंट या कागजी कार्रवाई के बिना परिसर में घुसी और ‘‘इस तरह इस जबरन नियंत्रण की कार्रवाई में उसकी शर्मनाक मिलीभगत थी, जिसके तहत एक समूह के लोग क्लब के स्वयंभू प्रबंधक बन गए हैं।’’

गिल्ड ने साथ ही कहा कि वह क्लब पर नियंत्रण से एक दिन पहले रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज द्वारा कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण को ‘‘स्थगित’’ करने के मनमाने आदेश से भी उतना ही चिंतित है। उसने ‘‘सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एक परिवार को दिखाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर केवल पोस्ट करने के कारण’’ युवा पत्रकार सजाद गुल को गिरफ्तार किए जाने का भी जिक्र किया।

गिल्ड ने क्लब में ‘‘जबरन नियंत्रण’’ से पहले की यथास्थिति तत्काल बहाल किए जाने की मांग की और नए प्रबंधन निकाय एवं कार्यकारी परिषद की नियुक्ति के लिए चुनाव कराए जाने का आह्वान किया।

बयान में कहा गया, ‘‘गिल्ड इस बात की स्वतंत्र जांच कराए जाने का अनुरोध करता है कि सशस्त्र बल क्लब परिसर में कैसे घुसे।’’ गिल्ड के इस बयान से एक दिन पहले, पुलिसकर्मियों के साथ आए कुछ पत्रकार केपीसी पहुंचे और उसका ‘‘नया प्रबंधन’’ होने का दावा किया।

ऐसा बताया जा रहा है कि ये पुलिसकर्मी मीडिया को बयान जारी करने वाले पत्रकारों में से एक के निजी सुरक्षा अधिकारी थे। पत्रकारों के इस समूह ने बयान जारी करके कहा कि ‘‘कुछ पत्रकार मंचों’’ ने उन्हें नए पदाधिकारी चुना है, जबकि घाटी के नौ पत्रकार संघों ने इस दावे पर आपत्ति जताई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और जम्मू -कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं ने इस कदम की निंदा की है।

केपीसी के अपदस्थ अध्यक्ष शुजा उल हक ने मामले में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने सिन्हा से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि केपीसी को लोकतांत्रिक रूप से काम करने की आजादी मिले।

इस बीच, ‘द कश्मीर यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट’ (केयूडब्ल्यूजे) ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि किसी भी गुट को क्लब के प्रबंधन पर दावा जताने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार हासिल नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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