किसान आंदोलन पर दुष्यंत चौटाला का बड़ा बयान, कहा- अगले 48 घंटे में निकल सकता है समाधान
हरियाणा में राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की विपक्षी पार्टियों की धमकी पर चौटाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तरह का बयान दे रही है। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों को आशंका है कि नये कृषि कानूनों से एमएसपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या हरियाणा की गठबंधन सरकार स्थिर है, चौटाला ने शनिवार को कहा, ‘‘हां...जबतक हम एमएसपी सुनिश्चित करते हैं तबतक हम स्थिर रहेंगे।’’ जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता ने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि अगले 24 से 40 घंटे में नए दौर की वार्ता होगी और कुछ निर्णायक बयान सामने आएंगे।’’ . चौटाला ने बताया कि उन्होंने सुबह राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को बैठकर मुद्दे का हल करने की जरूरत है... जिस तरह से केंद्र सरकार, प्रदर्शनकारी किसानों से बात कर रही है और किसान संगठनों की मांग पर 24 पन्नों का जवाब दिया है, उसे देख मैं आशान्वित हूं कि आपसी सहमति से इस मुद्दे का समाधान निकल जाएगा।’’ चौटाला ने कहा, ‘‘संवाद से ही समाधान निकलेगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले दौर की वार्ता जल्द होगी और दोनों तरफ से कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एमएसपी के संबंध में लिखित आश्वासन को वैधानिक मान्यता देगी तो उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जो भी वे मांग करते हैं।’’The way Centre is holding talks they also want a resolution of the issue. I'm hopeful that in 24 to 48 hours final round of talks will be held between the central government & farmers' leaders and will lead to conclusive result: Haryana Dy Chief Minister Dushyant Chautala to ANI pic.twitter.com/glmeP61ZYl
— ANI (@ANI) December 12, 2020
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हरियाणा में राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की विपक्षी पार्टियों की धमकी पर चौटाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तरह का बयान दे रही है। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों को आशंका है कि नये कृषि कानूनों से एमएसपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस व्यवस्था के तहत सरकारी एजेंसियां एक निश्चित कीमत पर किसानों की फसलें खरीदती हैं। केंद्र ने बुधवार को किसानों को दिये गए अपने प्रस्ताव में कहा था कि एमएसपी व्यवस्था बरकरार रहने के संबंध में वह लिखित आश्वासन देने और उनकी अन्य मांगों का समाधान करने को तैयार है। हालांकि, किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिये जाने की मांग कर रहे हैं और उन्होंने अपने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी है।
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