प्रशासन की लापरवाही के कारण भारत का वुहान बना बिहार का सिवान
पिछले दो दिनों में बिहार में 17 मामले सामने आए हैं। 9 तारीख को सबसे ज्यादा मामले सामने आए। सिवान में अब तक 29 मामले हैं जबकि मुंगेर में 7 मामले हैं। पटना, गया और बेगूसराय में पांच पांच मामले हैं जबकि गोपालगंज और नालंदा में 3 और 2 केस है।
कोरोना महामारी के बीच बिहार का सिवान जिला इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है। सिवान कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है। बिहार में अब तक 60 लोग को रोना से संक्रमित हैं जिसमें से 29 मरीज सिवान के ही है। अच्छी बात यह है कि इन 29 में से 4 मरीज ठीक होकर अपने घर को लौट कर आए हैं। लेकिन यह सवाल भी उठता है कि आखिर 1 जिले में ही क्यों कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं? सिवान जिले में मिल रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के कारण सीधा सीधा प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं? चिंता की बात यह भी है कि सिवान में जो लोग संक्रमित मिले हैं वह शहर मुख्यालय में नहीं, बल्कि देहात क्षेत्र के हैं।
पिछले 2 दिनों में ही सिवान में 19 मरीज मिले हैं। शुक्रवार को 17 मिले थे जबकि शनिवार को 2 नए मामले हैं। सिवान में एक ही परिवार के 18 लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया गया है। सिवान का एक नौजवान 21 मार्च दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा और 22 मार्च को सिवान पहुंचा। वह सिवान जिले के रघुनाथपुर के पंजवार इलाके का रहने वाला है। जब वह अपने गांव पहुंचा तो उसके हाथ पर होम क्वारंटीन की मुहर लगी हुई थी। इस मोहर के दम पर अपने परिवार और गांव वालों को यह बताना शुरू किया कि वह बिल्कुल ठीक है। हालांकि गांव के कुछ लोगों को उस पर यकीन नहीं हो रहा था। कुछ लोगों ने 28 मार्च को इस युवक के बारे में मेडिकल टीम को खबर दी। मेडिकल टीम जांच के लिए गांव भी पहुंची लेकिन इस शख्स में पहले से ही झांसेबाजी कर अपने बथान में जाकर बैठ गया था। मेडिकल टीम को वह भरोसा देने में कामयाब हो गया कि वह होम क्वारंटीन जोन में रह रहा है। उसमे कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे थे।बिहार में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 17 और मामले सामने आए हैं, इसके बाद राज्य में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 60 हो गई है। सिवान जिले में कोरोना के 29 मामले हैं, ये बिहार के एक जिले में सबसे ज्यादा मामले हैं: बिहार स्वास्थ्य विभाग #COVID19 pic.twitter.com/wxbsGdz7Iq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2020
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मेडिकल टीम भी आश्वस्त होकर वापस चली गई। हालांकि बाद में 1 अप्रैल को उसका सैंपल लिया गया और जो आगे हुआ वह आपके सामने है। वह 11 दिनों में 33 लोगों के साथ संपर्क में आ चुका था। इतना ही नहीं वह गांव में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलता था, घूमता था। प्रशासन को माना है कि वह लगभग 100 से ज्यादा लोग उसके संपर्क में आया है। युवक के बारे में पोल उस वक्त खुला जब 27 मार्च को नौतन इलाके में सिवान का पहला पॉजिटिव मामला प्रकाश में आया। उसके बाद प्रशासन ने 15 से 23 मार्च के बीच विदेश से लौटे लोगों की सूची बनानी शुरू की जिसमें इस युवक का भी नाम सामने आया। प्रशासन की एक लापरवाही यह भी थी कि जब 1 अप्रैल को इस युवक का सैंपल ले लिया गया तो फिर इसे वापस क्यों भेजा गया? 3 को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद इसकी मां की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और उसके बाद धीरे-धीरे सिस्टम और समाज से धोखेबाजी की पूरी को पोल खुल गई। हालांकि इस युवक के संपर्क में आए लोगों को सिवान के दयानंद आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में आइसोलेट कर दिया गया है। रघुनाथपुर के इस गांव को पूरी तरीके से सील कर दिया गया है। ड्रोन के जरिए चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है।
सिवान में एक और जगह है पचरुखी। यहां पर एक युवक दुबई से लौटा था। वह भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। वह 16 मार्च को सिवान पहुंचा था। सिवान पहुंचने के बाद अपने गांव के साथ-साथ वह अपने ससुराल भी गया था। उसकी वजह से भी 3 से 4 लोग अब तक पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। सिवान के जिलाधिकारी अमित पांडे ने बताया कि दोनों ही गांव को पूरी तरीके से सील कर दिया गया है। संपर्क में आए लोगों को क्वारंटीन किया गया है और इनके ब्लड सैंपल को टेस्ट के लिए भेजा गया है। गांव के आसपास के इलाकों को सैनिटाइज किया जा रहा है। फिलहाल सिवान से लगने वाले जिलों को पूरी तरीके से सतर्क कर दिया गया है। छपरा, मोतिहारी, गोपालगंज और देवरिया जैसे जिलों ने सिवान से लगने वाली सभी मार्गों को पूरी तरीके से बंद कर दिया है।
पिछले दो दिनों में बिहार में 17 मामले सामने आए हैं। 9 तारीख को सबसे ज्यादा मामले सामने आए। सिवान में अब तक 29 मामले हैं जबकि मुंगेर में 7 मामले हैं। पटना, गया और बेगूसराय में पांच पांच मामले हैं जबकि गोपालगंज और नालंदा में 3 और 2 केस है। लखीसराय, सारण, भागलपुर और नवादा में एक-एक मामले है। सिवान में प्रकाश में आए दोनों ही मामले को देखें तो इसमें प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है। दोनों युवक काफी पहले विदेश से वापस लौट आए थे तो उनकी जांच उसी वक्त क्यों नहीं हुई? क्यों उनकी जांच होते-होते अप्रैल आ गया? इसके अलावा जांच की जिम्मेदारी जिन लोगों को सौंपी गई है जिन्हें बहुत ज्यादा कुछ कोरोना को लेकर मालूम ही नहीं है। जांच मुखिया और सरपंच के स्तर पर किया जा रहे हैं। लोग अपनी भागीदारी को ना दिखाते हुए इसे सेटल करने के प्रयास में है। भले ही पटना से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सख्त आदेश दे रहे हो लेकिन वह नीचे पहुंचते-पहुंचते लापरवाही में बदल जाता है। बिहार में स्थिति अभी भी काबू में है और उम्मीद है यह आगे ना बढ़े।
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