Prabhasakshi NewsRoom: भार में हल्के मगर मार करने में तगड़े Indian Light Tank Zorawar को हवाई मार्ग से कहीं भी पहुँचाया जा सकेगा

Indian Light Tank Zorawar
Source X: @DRDO_India

जहां तक जोरावर टैंक की खासियतों की बात है तो आपको बता दें कि इसे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आठ से दस हजार फीट की ऊंचाई के साथ ही गुजरात में पाकिस्तान से सटे कच्छ के रण में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है।

रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता तेजी से बढ़ती जा रही है। इस क्रम में भारत ने हल्के टैंक 'जोरावर' के प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षणों को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया है। हम आपको बता दें कि इस लडाकू वाहन को चीन के साथ सीमा पर सेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। दरअसल जब चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में विवाद शुरू हुआ था तब भारतीय सेना को अपने टैंकों को वहां तक पहुँचाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसलिए ऐसे टैंक बनाने की पहल की गयी जोकि भार में हल्के हों और मार करने में तगड़े हों। डीआरडीओ अब जो जोरावर टैंक लेकर आया है उसको देखकर दुश्मनों के होश उड़ना तय है।

राजस्थान के बीकानेर में महाजन फायरिंग रेंज में इस टैंक के परीक्षण का जो वीडियो जारी किया गया है वह दर्शा रहा है कि यह अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रहा। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जोरावर टैंक ने असाधारण प्रदर्शन किया तथा इसने रेगिस्तानी इलाके में आयोजित क्षेत्रीय परीक्षणों के दौरान सभी इच्छित उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया। हम आपको बता दें कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और एलएंडटी डिफेंस वायु मार्ग से परिवहन किए जाने योग्य 25 टन वजन के टैंक विकसित कर रहे हैं, जिसे मुख्य रूप से चीन के साथ सीमा पर त्वरित तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा है। देखा जाये तो जोरावर टैंक के आने से भारतीय सेना की बख्तरबंद और लड़ाकू हथियार की तलाश पूरी हो गई है।

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रक्षा मंत्रालय ने इस संदर्भ में कहा, "डीआरडीओ ने 13 सितंबर को भारतीय हल्के टैंक जोरावर का प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण सफलतापूर्वक किया, जो अत्यधिक महत्वपूर्ण लड़ाकू वाहन है और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती में सक्षम है।" रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय सेना 350 से अधिक हल्के टैंक की तैनाती पर विचार कर रही है, जिनमें से अधिकतर को पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय हल्के टैंक के सफल परीक्षणों को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। हम आपको बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोरावर की टेस्टिंग को ऑनलाइन लाइव देखा और इसकी क्षमता की तारीफ की।

जहां तक जोरावर टैंक की खासियतों की बात है तो आपको बता दें कि इसे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आठ से दस हजार फीट की ऊंचाई के साथ ही गुजरात में पाकिस्तान से सटे कच्छ के रण में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा 25 टन वजनी इस टैंक के बारे में बताया जा रहा है कि इसमें 105 मिलीमीटर लंबी गन है, जो आसानी से दूर तक फायरिंग कर सकती है। यही नहीं, जोरावर टैंक को T-72 और T-90 टैंकों का विकल्प बताया जा रहा है। हम आपको बता दें कि T-72 और T-90 टैंकों को पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में उपयोग करने में काफी कठिनाई आती है लेकिन जोरावर आसानी से कहीं भी पहुँच कर तत्काल धमाके करना शुरू कर सकता है। हम आपको बता दें कि जोरावर को सबसे पहले DRDO के मुखिया समीर वी कामत ने 6 जुलाई को गुजरात में दुनिया के सामने पेश किया था।

खतरनाक हथियारों में से एक जोरावर फील्ड ट्रायल के बाद सेना में शामिल किया जायेगा। हम आपको बता दें कि 300 से ज्यादा जोरावर टैंक बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से 17500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल ज़ोरावर सिंह के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सशस्त्र अभियानों का नेतृत्व किया था।

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