Newsroom | China India Border Dispute | पूर्वी लद्दाख में सीमा से PLA सैनिकों की वापसी पर आखिरकार आया ड्रैगन का बयान

China India Border Dispute
ANI
रेनू तिवारी । Oct 26 2024 12:57PM

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को बीजिंग में पत्रकारों को बताया, ‘‘सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने जवानों की वापसी में जुटे हैं और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।’’

23 अक्टूबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और वापसी के समझौते का समर्थन किया। चीन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच हाल ही में हुए समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख से चीनी और भारतीय सैनिकों की वापसी ‘‘सुचारू रूप से’’ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर अपनी द्विपक्षीय बातचीत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से सैनिकों के पीछे हटने और गश्त को लेकर हुए समझौते का अनुमोदन किया था।

 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को बीजिंग में पत्रकारों को बताया, ‘‘सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने जवानों की वापसी में जुटे हैं और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।’’ भारत ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर चीन से हुए समझौते की 21 अक्टूबर को घोषणा की थी और बीजिंग ने एक दिन बाद इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि दोनों ‘‘पक्ष प्रासंगिक मामलों के समाधान’’ तक पहुंच गए हैं और वह (बीजिंग) इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए नयी दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा।

 

भारतीय सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को बताया,‘‘भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है।’’ उन्होंने कहा कि समझौता केवल टकराव वाले इन दो बिंदुओं के लिए हुआ है तथा अन्य क्षेत्रों के लिए “बातचीत अब भी चल रही है।” सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव वाले दोनों बिंदुओं पर गश्त शुरू होगी और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों को हटाकर अस्थायी ढांचों को नष्ट कर देंगे। उन्होंने कहा कि अंतत: गश्त का स्तर अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

 

जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था। यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि पिछले कुछ सप्ताह में हुई बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया और इससे 2020 में सामने आए मुद्दों का समाधान निकलेगा।

आपको बता दें कि चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बुधवार को हुई बैठक ‘‘अत्यधिक महत्व’’ रखती है क्योंकि वे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए ‘‘महत्वपूर्ण आम सहमति’’ पर पहुंचे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां संवाददताओं से कहा, ‘‘वे चीन-भारत संबंधों में सुधार और इन्हें विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण आम सहमति पर पहुंचे तथा द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर विकास के पथ पर वापस लाने का मार्ग प्रशस्त किया।’’ इस सवाल पर कि बीजिंग बैठक के नतीजे को कैसे देखता है, लिन ने कहा कि चीन द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने तथा आगे बढ़ने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है। लिन ने कहा कि चीन संचार और सहयोग बढ़ाने, पारस्परिक रणनीतिक विश्वास वृद्धि, मतभेदों को दूर करने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर विकास के पथ पर वापस लाने के लिए भी तैयार है। कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर मिले मोदी और शी ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त एवं सैनिकों की वापसी पर सोमवार के भारत-चीन समझौते का समर्थन किया। इसके बाद, विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को पुन: सक्रिय करने के निर्देश जारी किए गए, जो 2020 में एक घातक सैन्य झड़प से प्रभावित हुए संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत है। 

चीन के आधिकारिक मीडिया की इस रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कि मोदी ने संबंधों को सुधारने और विकसित करने के लिए सुझाव दिए जिस पर शी सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए, लिन ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों का विचार था कि यह बैठक रचनात्मक है और बहुत महत्व रखती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने तथा आगे बढ़ने, विशिष्ट असहमति को समग्र संबंधों को प्रभावित करने से रोकने और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति तथा समृद्धि बनाए रखने और दुनिया में बहुपक्षवाद को आगे बढ़ाने में योगदान देने पर सहमत हुए।’’ लिन ने कहा कि दोनों पक्ष संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर विकास की ओर वापस लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर अपने विदेश मंत्रियों तथा अधिकारियों के बीच बातचीत के माध्यम से संचार और सहयोग को मजबूत करने और पारस्परिक रणनीतिक विश्वास को बढ़ाने पर सहमत हुए। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों नेता चीन-भारत सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधि तंत्र का बेहतर उपयोग करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने, निष्पक्ष और उचित समाधान खोजने, बहुपक्षीय मंचों पर संचार एवं सहयोग बढ़ाने और विकासशील देशों के सामान्य हितों की रक्षा पर भी सहमत हुए हैं।” 

विशेष प्रतिनिधि तंत्र की अध्यक्षता वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। इस तंत्र ने अतीत में संबंधों को विकसित करने और सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसकी स्थापना 2003 में सीमा मुद्दों के समाधान के लिए की गई थी। इस तंत्र के तहत डोभाल और वांग के बीच अंतिम बैठक 2019 में हुई थी। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई थी। चीनी सैनिकों के बड़ी संख्या में एलएसी पर आने के बाद गलवान में भीषण झड़प हुई थी। यह कई दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास गश्त करने तथा सैनिकों को पीछे हटाने पर सोमवार को एक समझौता किया था जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कजान में दोनों नेताओं के बीच बैठक के बारे में संवाददताओं से कहा कि मोदी और शी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत तथा चीन परिपक्वता और बुद्धिमत्ता के साथ और एक-दूसरे की संवेदनशीलता, हितों, चिंताओं एवं आकांक्षाओं के प्रति पारस्परिक सम्मान दिखाकर ‘‘शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभकारी द्विपक्षीय संबंध’’ बना सकते हैं। पूर्वी लद्दाख विवाद पर नयी दिल्ली की सतत स्थिति का जिक्र करते हुए मिस्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली से दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने में मदद मिलेगी।

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