गुजरात में कांग्रेस के सबसे धाकड़ नेता हैं शक्तिसिंह गोहिल, विधानसभा चुनाव में बिखेरेंगे अपना जलवा
शक्तिसिंह गोहिल ने अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए शतरंज की ऐसी चाल चली थी कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी देखते रह गए थे। शक्तिसिंह गोहिल गुजरात के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और वो सौराष्ट्र क्षेत्र के लिम्डा राज्य के शाही परिवार के बड़े बेटे हैं।
अहमदाबाद। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और यहां पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी अब आगामी विधानसभा चुनाव की तरफ फोकस करेगी। आने वाले समय में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में पार्टी आज हम चर्चा गुजरात के कद्दावर नेता शक्तिसिंह गोहिल के बारे में करेंगे। शक्तिसिंह गोहिल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल के लिए संकटमोचक साबित हुए थे।
आपको बता दें कि शक्तिसिंह गोहिल ने अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए शतरंज की ऐसी चाल चली थी कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी देखते रह गए थे। शक्तिसिंह गोहिल गुजरात के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और वो सौराष्ट्र क्षेत्र के लिम्डा राज्य के शाही परिवार के बड़े बेटे हैं।
कौन हैं शक्तिसिंह गोहिल ?
शक्तिसिंह गोहिल का जन्म 4 अप्रैल, 1960 को भावनगर जिले के लिम्डा के शाही परिवार में हुआ था। शक्तिसिंह ने भावनगर विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री और फिर उन्होंने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। शक्तिसिंह गोहिल ने कंप्यूटर में डिप्लोमा और पत्रकारिता में भी डिप्लोमा लिया हुआ है। शक्तिसिंह गोहिल 1986 में भावनगर जिला युवा कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने और फिर 1989 में गुजरात राज्य युवा कांग्रेस के महासचिव पद के लिए निर्वाचित हुए।
ऐसा रहा है राजनीतिक जीवन
शक्तिसिंह गोहिल 1990 में एआईसीसी के सदस्य बने और फिर 1990 में भावनगर दक्षिण से अपनी किस्मत आजमाई और विधानसभा पहुंचने में सफल हुए। उन्होंने 1991 से 1995 तक लगातार दो सरकारों में राज्य मंत्री का पदभार संभाला। इस दौरान उनके पास वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, नर्मदा, सामान्य प्रशासन विभाग, तकनीकी शिक्षा जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी थी।
इतना ही नहीं शक्तिसिंह गोहिल ने भावनगर के लिए एक मेडिकल कॉलेज की मांग करते हुए 1994 में स्वास्थ्य राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि उनकी पहली वफादारी उनके मतदाताओं के प्रति है। ऐसे में सरकार ने उनकी बातों पर गौर किया और भावनगर को मेडिकल कॉलेज मिला।
शक्तिसिंह गोहिल 1995 में फिर से चुने गए। आपको बता दें कि शक्तिसिंह गोहिल भावनगर दक्षिण से 3 बार विधायक बनने वाले एकमात्र नेता हैं। शक्तिसिंह गोहिल 2007 से 2012 तक 12वीं गुजरात विधानसभा के दौरान विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी भी संभाली है।
गोहिल ने जब गंवाया था चुनाव
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में शक्तिसिंह गोहिल को अपना निर्वाचन क्षेत्र बदलना पड़ा था क्योंकि परिसीमन प्रक्रिया की वजह से भावनगर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया था। ऐसे में शक्तिसिंह गोहिल ने भावनगर ग्रामीण से चुनाव लड़ा, जहां उन्हें भाजपा के पुरुषोत्तम सोलंकी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 16, मई 2014 को हुए उपचुनाव में शक्तिसिंह गोहिल ने छबीलभाई पटेल को हराकर विधानसभा पहुंचने में सफल हुए थे।
कांग्रेस में भी बढ़ा था कद
साल 2014 में कांग्रेस ने शक्तिसिंह गोहिल को एआईसीसी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया था। इसके बाद साल 2018 में उन्हें बिहार का प्रभारी बनाया गया और फिर साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने उन्हें दिल्ली के लिए पार्टी मामलों का अंतरिम प्रभारी नियुक्त कर दिया।
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