स्वयंसेवकों के पथ संचलन में दिखा सैनिकों सा अनुशासन
स्वयंसेवकों का पथ संचलन कोई शोभा यात्रा नहीं है। पथ संचलन स्वयं के अनुशासन एवं दक्षता के लिये है। वोकेशनल स्वयंसेवक की जगह पूर्ण स्वयंसेवक बनें। नित्य शाखा जाना आवश्यक है। नियमित जाने से वाणी तथा आचरण की सिद्धता आती है।
अनूपपुर। संघ की शाखा व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण का सबसे बड़ा केन्द्र है। तरुणों को दोषमुक्त रखने का स्थान है। बहनों को निर्भय रखने की शक्ति का संचार है शाखा। नित्य शाखा में गये बिना हममें स्वयंसेवकों का आचरण आने में बहुत दिक्कतें हैं। स्वयंसेवक का निर्माण शाखा में होता है। जब हमने स्वयंसेवक का गणवेश धारण किया है, तो हम में स्वयंसेवक का आचरण आ गया है। अनुशासन, समयबद्धता, त्याग, समर्पण, श्रद्धा, देशभक्ति स्वयंसेवकों का प्रमुख गुण है। यह बात गुरुवार को केशव कुंज अनूपपुर परिसर में दक्ष स्वयंसेवकों के एक दिवसीय दक्षता वर्ग में जिले के चयनित स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण और स्वयंसेवकों के गुणवत्ता पथ संचलन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत के सह प्रांत प्रचारक बृजकांतजी ने पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवकों के पथ संचलन से पूर्व ध्वज प्रणाम् कर संबोधित करते हुए कही।
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उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों का पथ संचलन कोई शोभा यात्रा नहीं है। पथ संचलन स्वयं के अनुशासन एवं दक्षता के लिये है। वोकेशनल स्वयंसेवक की जगह पूर्ण स्वयंसेवक बनें। नित्य शाखा जाना आवश्यक है। नियमित जाने से वाणी तथा आचरण की सिद्धता आती है। हमारा यह प्रयास हो कि हमारे आचरण, वचन, कर्म, वाणी में अन्तर कम से कम हो। मकर संक्रांति का मतलब सम्यक क्रांति है। सूर्य उत्तरायण होते हैं तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। सम्यक् मतलब शुद्ध, श्रेष्ठ परिवर्तन। संघ के 6 प्रमुख उत्सवों में एक मकर संक्रांति है। मैं हिन्दू हूँ.यह भाव परिवार, समाज में आना चाहिए। काले सफेद तिल को मिठास युक्त बना कर एक जुट करने वाला गुड होता है। तिल-गुड का लड्डू समाज की समरसता, एकजुटता, सौहार्द, मजबूती का प्रतीक है।संघ का काम समाज सुधार नहीं है। संघ में व्यक्ति निर्माण होता है। छोटी- छोटी नदियाँ,बड़ी नदी से तथा बहुत सी बड़ी नदियों के मिलने से समुद्र बनता है.वैसा ही विशाल समुद्र हिन्दुत्व है। स्वयं में सुधार का आवश्यक गुण जीवन में उतार कर,शाखा में जाकर सच्चा स्वयंसेवक बनो।
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स्वयंसेवकों द्वारा ध्वज वंदना उपरांत संघ कार्यालय से इंदिरा चौक, शंकर मन्दिर चौराहा होते हुए पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवकों का पथ संचलन कड़े अनुशासन एवं लयबद्ध तरीके से संपन्न हुआ। इस अवसर पर संघ के विभाग,जिला के दायित्ववान कार्यकर्ता एवं जिले के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही।
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