ग्वालियर संभाग में उपचुनाव की आहट के साथ विकास कार्य शुरू, ग्वालियर-चंबल संभाग में होना है 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से इन्हीं क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आवाज उठाई थी। उन्होनें अतिथि विद्वानों और अपने क्षेत्र में रूके हुए विकास कार्यों के लिए सड़क पर उतरने की बात कही थी। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि जिसे सड़क पर उतना हो उतर जाए।
भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव की सुगबुगाहट के बीच विकास कार्य शुरू हो गए है। इन विकास कार्यो का श्री गणेश प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र से हुआ है। जिसमें ग्वालियर संभाग में 892 लाख 26 हजार लागत से दो नदी पुलों का निर्माण और एक पुल की मरम्मत करने के कार्य की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रदेश के 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने है। जिसमें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की सबसे अधिक 16 सीटें शामिल है। वही यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्षेत्र माना जाता है जिनके समर्थकों ने उनके कहने पर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ ही कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
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ग्वालियर चंबल संभाग के इन्हीं क्षेत्रों में विकास कार्यों की मंगलवार को प्रशासन ने सूचना दी। सेतु निर्माण संभाग ग्वालियर द्वारा जानकारी दी गई कि अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील में बम्होरी-खाकलोन मार्ग में वेलन नदी पर पहुँच मार्ग सहित उच्चस्तरीय पुल का निर्माण 448 लाख 9 हजार रुपये की लागत से होगा। शिवपुरी जिले के ग्राम उमरीकला के पास मनपुरा खोड मार्ग से महुअर नदी पर उच्चस्तरीय पुल का निर्माण 439 लाख 72 हजार रुपये से किया जायगा। ग्वालियर में छेवरा छिरेटा मार्ग में नोन नदी के जलमग्नीय पुल के विशेष मरम्मत के कार्य को 4 लाख 45 हजार रुपये से किया जाएगा। यह सभी कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूरा करवाये जायगें। लोक निर्माण विभाग सेतु निर्माण संभाग द्वारा पुल निर्माण और मरम्मत करने वाली एजेन्सियों का निर्धारण किया जा रहा है।
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कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से इन्हीं क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आवाज उठाई थी। उन्होनें अतिथि विद्वानों और अपने क्षेत्र में रूके हुए विकास कार्यों के लिए सड़क पर उतरने की बात कही थी। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि जिसे सड़क पर उतना हो उतर जाए। जिसके राज्य के राजनीतिक हालात बदल गए थे। सिंधिया समर्थक कमलनाथ सरकार में शामिल मंत्रीयों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और विधानसभा की सदस्यता भी त्याग दी थी। जिसके बाद पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो बाद में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद 22 कांग्रेस के बागी पूर्व विधायकों ने भाजपा का दामन धाम लिया था।
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