रास में उठी छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे ‘‘बहुत ही प्यारी भाषा’’ बताया। शून्यकाल में कांग्रस की छाया वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग की।विशेष उल्लेख के जरिये उठाए गए इस मुद्दे में छाया ने छत्तीसगढ़ी में कहा ‘‘छत्तीसगढ़ को अस्तित्व में आए 19 साल हो गए हैं।
नयी दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस की एक सदस्य ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे ‘‘बहुत ही प्यारी भाषा’’ बताया। शून्यकाल में कांग्रस की छाया वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग की।विशेष उल्लेख के जरिये उठाए गए इस मुद्दे में छाया ने छत्तीसगढ़ी में कहा ‘‘छत्तीसगढ़ को अस्तित्व में आए 19 साल हो गए हैं।
इसे भी पढ़ें: बाल यौन उत्पीड़न मामले पर नायडू ने दिया संसद सदस्यों को समूह बना कर चर्चा का सुझाव
लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया। ’’छाया ने कहा ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण है और लोग इसमें एमए, एम फिल कर रहे हैं लेकिन इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किए जाने की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है।’’तीन मिनट के अपने विशेष उल्लेख के समापन पर छाया ने कहा ‘‘जय जोहार जय छत्तीसगढ़।’’तब सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी मुस्कुराते हुए कहा ‘‘जय जोहार’’। उन्होंने कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को सुना है और यह ‘‘बहुत ही प्यारी भाषा है।’’
अन्य न्यूज़