ज्ञानवापी की एएसआई सर्वे रिपोर्ट खोलने और पक्षकारों को देने के मामले पर फैसला पांच जनवरी को
जिला अदालत के 21 जुलाई 2023 के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि 17 वीं शताब्दी में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। जिला अदालत में बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में अपने आवेदन का हवाला देते हुए मस्जिद के वजू खाने की सफाई की अनुमति मांगी थी। मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वज़ू खाना उसकी संपत्ति है और इसे साफ़ करने की जिम्मेदारी उन्हें दी जानी चाहिए। हिंदू पक्ष के वकील यादव ने बताया कि इस मामले पर शुक्रवार को अदालत में सुनवाई होने की संभावना है।
वाराणसी की जिला अदालत ज्ञानवापी परिसर की सीलबंद एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट को खोलने और हिंदू तथा मुस्लिम पक्षों को प्रतियां देने या नहीं देने पर पांच जनवरी को फैसला करेगी। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि इस मामले पर बृहस्पतिवार को फैसला होना था लेकिन जिला अदालत के न्यायाधीश ए.के. विश्वेश महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के सिलसिले में आयोजित एक समारोह में व्यस्त थे, इसलिए वह अदालत में नहीं बैठे। उन्होंने बताया कि न्यायाधीश के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक मामले को शुक्रवार (पांच जनवरी) के लिए नियत किया गया है। यादव के मुताबिक एक अधिवक्ता के निधन पर शोक होने की वजह से आज वकील भी काम पर नहीं आये।
हिंदू पक्ष के वकील के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बुधवार को अदालत से अपनी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वेक्षण रिपोर्ट को कम से कम चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने का आग्रह किया था। इसके बाद वाराणसी जिला अदालत के न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने मामले को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। अब इस पर शुक्रवार को आदेश आयेगा। यादव के मुताबिक एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी। एएसआई ने बुधवार को चार सप्ताह का समय मांगते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला दिया जिसमें निचली अदालत को मामले को छह महीने के अंदर निबटाने और जरूरत पड़ने पर एएसआई को सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कराने के आदेश देने की बात कही गयी है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की मौजूदगी वाली जगह पर कथित मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग संबंधी मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने निचली अदालत को इस मामले को छह महीने के अंदर निपटाने के निर्देश देते हुए कहा था कि अगर जरूरी हो तो निचली अदालत एएसआई को आगे के सर्वेक्षण के लिए निर्देश दे सकती है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि वर्ष 1991 का पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) किसी प्रार्थनागृह के धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं करता है और इसे केवल विरोधी पक्षों द्वारा अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है।
अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई आगामी 19 जनवरी को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक कोर्ट) के समक्ष रखे जाने की संभावना है। एएसआई के वकील अमित श्रीवास्तव ने बुधवार को जिला अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय ने आदेश में यह भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर सिविल अदालत ज्ञानवापी परिसर का दोबारा सर्वेक्षण कराने का आदेश दे सकती है। उन्होंने कहा कि इसलिए अभी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर विरोधाभास की स्थिति पैदा हो सकती है, लिहाजा सर्वेक्षण रिपोर्ट खोलकर पक्षकारों को उपलब्ध कराने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाए।
जिला अदालत के 21 जुलाई 2023 के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि 17 वीं शताब्दी में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। जिला अदालत में बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में अपने आवेदन का हवाला देते हुए मस्जिद के वजू खाने की सफाई की अनुमति मांगी थी। मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वज़ू खाना उसकी संपत्ति है और इसे साफ़ करने की जिम्मेदारी उन्हें दी जानी चाहिए। हिंदू पक्ष के वकील यादव ने बताया कि इस मामले पर शुक्रवार को अदालत में सुनवाई होने की संभावना है।
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