अदालत ने शरजील इमाम की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब देने को कहा
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) की धारा 13 के तहत कारावास का प्रावधान है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। शरजील की याचिका में कहा गया है कि यूएपीए की धारा 13 के तहत निर्धारित सात साल तक की अधिकतम सजा के अनुसार, आवेदक ने संबंधित अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है और वैधानिक जमानत के हकदार हैं।
यहां की एक अदालत ने राजद्रोह के आरोपों से जुड़े 2020 के सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में छात्र नेता शरजील इमाम की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब देने को कहा है। अदालत सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पिछले शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। याचिका के अनुसार, शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में हैं और जेल में तीन साल छह महीने से अधिक समय बिता चुके हैं। याचिका में कहा गया है।
कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के आलोक में भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 124 (राजद्रोह) के मुख्य अपराध के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमे पर रोक लगाने के बाद, भादंसं की धाराओं 153 ए, 153 बी, 505 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून की धारा 13 के तहत अपराध ही शेष रह गए हैं। भादंसं की धारा 153ए विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, आदि के आधार पर कटुता को बढ़ावा देने के अपराध से संबंधित है, जबकि धारा 153बी राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह आरोपों और दावों से संबंधित है। धारा 505 सार्वजनिक शरारत वाले बयानों से संबंधित है। इन अपराधों में अधिकतम पांच साल तक की कैद का प्रावधान है।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) की धारा 13 के तहत कारावास का प्रावधान है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। शरजील की याचिका में कहा गया है कि यूएपीए की धारा 13 के तहत निर्धारित सात साल तक की अधिकतम सजा के अनुसार, आवेदक ने संबंधित अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है और वैधानिक जमानत के हकदार हैं।
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