कांग्रेस ने कहा, केवल कठोर कानून से नहीं रुकेगा आतंकवाद
रेड्डी ने कहा कि उक्त कानून में सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आतंकवादी संगठनों की संपत्ति की कुर्की का अधिकार देने के लिए संशोधन लेकर आई है।
नयी दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि उसकी रणनीति के कारण देश में आतंकवाद और उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है तथा इस दिशा में उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है, वहीं कांग्रेस ने कहा कि केवल कठोर कानूनों से नहीं बल्कि राजनीतिक पहल से आतंकवाद को समाप्त किया जा सकता है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने ‘विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक, 2019’ (यूएपीए संशोधन विधेयक) को सदन में चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सरकार की ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की’ नीति है और इसके लिए सुरक्षा बलों को भी स्वतंत्रता दी गयी है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो मोदी सरकार के आने के बाद देश में आतंकवाद और उग्रवाद के मामलों में कमी आई है। नक्सलवाद भी केवल 60 जिलों तक सीमित रह गया है।
MoS Home G Kishan Reddy in Lok Sabha:Number of terrorist incidents in hinterland during last decade as compared to the previous decade have reduced by 70% from 71 to 21 and the number of terrorist incidents in Jammu & Kashmir have reduced by 86% i.e. 23,290 to 3187. (file pic) pic.twitter.com/bnYRpiGPJe
— ANI (@ANI) July 23, 2019
रेड्डी ने कहा कि उक्त कानून में सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आतंकवादी संगठनों की संपत्ति की कुर्की का अधिकार देने के लिए संशोधन लेकर आई है। विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि कश्मीर, पंजाब और अन्य राज्यों में आतंकवाद और उग्रवाद के उदाहरण देख लें तो ‘कठोर कानूनों से नहीं बल्कि राजनीतिक पहलों से’ ही समाधान निकले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देश में यह बड़ा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि कठोर कानून ही हर समस्या का समाधान है। यह बात तथ्यों से परे है।’’ तिवारी ने टाडा और पोटा कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके भी दुरुपयोग के मामले सामने आये और इनके लागू होने के बाद भी देश में आतंकी हमलों की बड़ी घटनाएं हुई हैं। बाद में इन्हें समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि दोनों ही कानूनों के तहत दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम रही।
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तिवारी ने यह भी कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों सदन में कहा था कि पोटा को राजनीतिक कारणों से समाप्त किया गया। उन्होंने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि 2003 में राजग सरकार के समय पोटा के दुरुपयोग की बात कही गयी थी और एक समीक्षा समिति बनाई गयी थी। राजग सरकार ने समिति की सिफारिशों को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया और इसे राजग के तत्कालीन कुछ घटक दलों की मांगों के बाद समाप्त किया गया था। तिवारी ने कहा कि यूएपीए संशोधन विधेयक, 2019 में एनआईए को संपत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया है। इसका भी दुरुपयोग हो सकता है। ऐसे पहले के भी सैकड़ों उदाहरण हैं।
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