Prabhasakshi NewsRoom: पुराना हिसाब-किताब भी चुकता करना चाहते हैं मौर्य! CM Yogi की टेंशन बढ़ी
जहां तक मौर्य की नाराजगी की बात है तो हम आपको यह भी बता दें कि उनकी योगी से कभी बनी ही नहीं। भाजपा को जब 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत मिला था उस समय केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी थे।
लोकसभा चुनावों में निराशाजनक परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा में मची उठापटक के बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार शाम दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ लंबी बातचीत की। इस दौरान उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मौजूद थे। बैठक के बाद भाजपा मुख्यालय से बाहर निकलते समय केशव प्रसाद मौर्य ने मीडियाकर्मियों के सामने कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने अपने मन की बात खुल कर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को कह दी है। देखा जाये तो यह 48 घंटे से भी कम समय में नड्डा के साथ मौर्य की दूसरी मुलाकात थी इसलिए इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसके अलावा मौर्य की जिस तरह पार्टी के अन्य केंद्रीय नेताओं से मुलाकातें हो रही हैं उसको देखते हुए दिल्ली से लेकर लखनऊ तक में अटकलों का बाजार गर्म है।
हम आपको याद दिला दें कि रविवार को यूपी भाजपा की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि ‘‘संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है।’’ यह कह कर उन्होंने इशारा किया था कि इस समय यूपी में प्रदेश भाजपा संगठन पर सरकार हावी है जिसके चलते कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी जा रही है। कार्यकारिणी की बैठक में नड्डा ने भी भाग लिया था। उस बैठक के दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में चुनावी हार के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि पार्टी विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के प्रचार अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर सकी। दरअसल योगी आदित्यनाथ ने निराशाजनक परिणाम की सारी जिम्मेदारी उन पर डालने वालों को जवाब देते हुए ही खराब प्रदर्शन का दोष पूरी पार्टी पर डाल दिया था।
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जहां तक मौर्य की नाराजगी की बात है तो हम आपको यह भी बता दें कि उनकी योगी से कभी बनी ही नहीं। भाजपा को जब 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत मिला था उस समय केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी थे लेकिन पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद दिया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बना दिया गया था। उस सरकार के दौरान भी जब-तब मौर्य और योगी के बीच अनबन की खबरें आती रहती थीं। 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा आलाकमान ने दोनों के बीच सुलह कराई थी जिसके बाद पहली बार योगी अपने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर पहुँचे थे जबकि दोनों नेताओं का सरकारी आवास बेहद करीब ही है। इसके बाद ऐसा लगा कि सब ठीक हो गया है लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्य जब सिराथु से हार गये तो उनके करीबियों ने यही कहा कि उन्हें जानबूझकर हराया गया है। नाराज केशव प्रसाद मौर्य योगी की दूसरी सरकार में कोई पद लेने को राजी नहीं थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने उन्हें फिर से उपमुख्यमंत्री बनने के लिए मना लिया लेकिन योगी ने मौर्य के पर कतरते हुए उन्हें उनके पिछले वाले विभाग नहीं दिये। इससे मौर्य के मन में जो टीस पैदा हुई वह लोकसभा चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद फिर बाहर आ गयी है।
केशव प्रसाद मौर्य जानते हैं कि यही सबसे अच्छा मौका है जब पुराना सारा हिसाब किताब चुकता किया जा सकता है, इसलिए वह समझौते के मूड़ में नहीं बल्कि अपने मुद्दों का पूरी तरह हल निकलवाने के मूड़ में हैं। हम आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से खुद को किनारे किये हुए हैं, वह पार्टी की बैठकों में भी नहीं जा रहे थे, सरकारी बैठकों में भी नहीं जा रहे थे और दो बार कैबिनेट की बैठक में भी नहीं गये। बताया जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य बार-बार संगठन की बात इसलिए कर रहे हैं ताकि उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद मिल जाये। भाजपा आलाकमान भी इस बात को समझ रहा है कि यदि मौर्य को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बना दिया जाये तो संगठन में नई जान आ जायेगी और मुख्यमंत्री भी काबू में रहेंगे। हम आपको बता दें कि अक्सर यह बात सामने आती है कि योगी दिल्ली की बात नहीं सुन रहे हैं इसलिए उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए उनके विरोधी माने जाने वाले मौर्य को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने की तैयारी की जा रही है।
वैसे, केशव प्रसाद मौर्य के बयानों के चलते विपक्ष को योगी सरकार पर निशाना साधने का मौका तो मिला ही है साथ ही भाजपा के सहयोगी दलों को भी आंखें दिखाने और अपनी पुरानी मांगें मनवाने के लिए नये सिरे से दबाव बनाने का अवसर प्राप्त हो गया है। भाजपा की इस अंदरूनी उठापटक पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। अखिलेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा है कि तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। उन्होंने लिखा है कि जनता के बारे में सोचने वाला भाजपा में कोई नहीं है। वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि यूपी भाजपा की समीक्षा बैठक आनंददायक थी। सिंघवी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा है कि प्रदेश भाजपा की अंदरूनी लड़ाई अब जगजाहिर हो चुकी है। उन्होंने लिखा है कि यूपी में अब तीन सीएम हैं जिसमें से दो अपने नाम के आगे से डिप्टी शब्द हटाने के लिए लालायित हैं। उन्होंने लिखा है कि लगता है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सरकार के मुखिया को गद्दी से हटाने का फैसला कर लिया है।
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