चीनी एजेंट चार्ली का हुआ पर्दाफाश, 1,000 करोड़ के हवाला कारोबार के आरोप में गिरफ्तार
चीनी दूतावास के अधिकारियों से इसके बेहतर रिश्ते थे। सूत्रों ने बताया कि चार्ली दिल्ली से परिचित था और डीएलएफ फेज 5 गुरुग्राम में शिफ्ट होने से पहले वह द्वारिका में रहता था। एनसीआर में उसने तिब्बती लोगों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया था।
सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में सीबीडीटी की तरफ से कई जगहों पर छापेमारी की गई थी। इस छापेमारी से जो सबसे बड़ी जानकारी सामने आई थी वह थी मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला लेनदेन के जरिए एक करोड़ की हेराफेरी। इस हेराफेरी की गुत्थी सुलझाने के लिए जांच विभाग लगातार काम कर रही थी। इसी मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। दरअसल इस हेराफेरी का सीधा कनेक्शन एक चीनी नागरिक के साथ निकला है। फिलहाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ कर रही है। उस शख्स का नाम लुओ सांग उर्फ चार्ली पेंग बताया जा रहा है जो व्यापार के बहाने भारत आया था और फिर यहां रह गया। वह चीनी एजेंट के तौर पर काम करने लगा। फिलहाल उसका ठिकाना गुरुग्राम में है।
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जांच एजेंसियों को शक है कि चार्ली पेंग चीनी खुफिया सर्विस का एजेंट है। यह भी शक जताया जा रहा है कि वह चीन के मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी से भी जुड़ा हुआ है। खुफिया सूत्रों ने यह भी बताया कि जाली आधार कार्ड और यात्रा दस्तावेज के जरिए सांग ने चार्ली पेंग के नाम से नकली भारतीय पहचान बनाई थी। पूछताछ में यह भी पता चला है कि लुओ सांग 2013 में भारत आया था और पूर्वोत्तर के राज्यों में बस गया था। उसने यही एक भारतीय महिला से शादी की और किराए के मकान में रहने लगा। पूर्वोत्तर में रहने के दौरान ही उसने भारतीय पहचान प्राप्त कर ली। कुछ साल पहले वह दिल्ली आ गया था। यह भी दावा किया जा रहा है कि चार्ली 45 बैंक खातों के जरिए हजारों करोड़ रुपए इधर से उधर करता था। फिलहाल उसके खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है और वह पुलिस के कब्जे में है।
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यह भी बताया जा रहा है कि 2018 में इसकी स्पेशल सेल ने गिरफ्तारी की थी। वह अलग-अलग नामों से जासूसी भी करता था। चीनी पैसों की मदद से भारत में उसने शेल कंपनियां बनाई थी। चीनी दूतावास के अधिकारियों से इसके बेहतर रिश्ते थे। सूत्रों ने बताया कि चार्ली दिल्ली से परिचित था और डीएलएफ फेज 5 गुरुग्राम में शिफ्ट होने से पहले वह द्वारिका में रहता था। एनसीआर में उसने तिब्बती लोगों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। इसके अलावा वह दलाई लामा से भी जुड़ी जानकारियों को भी जुटाता था। जासूसी अभियानों के जरिए ही वह मनी एक्सचेंज ऑपरेशन में शामिल हो गया। वह ई-कॉमर्स कंपनी और वित्तीय संस्थानों के बारे में भी जानकारी भी कट्ठा करता था।
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