हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाह रहा China, क्या भारत की बढ़ेगी टेंशन? MEA से मिला ये जवाब
अरिंदम बागची ने जवाब में कहा कि हमने हिंद महासागर क्षेत्र में काफी कुछ किया है। उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र के देशों के साथ मिलकर क्या कुछ कर सकते हैं, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं और लगातार प्रयास भी कर रहे हैं।
चीन इस सप्ताह हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का दूसरा सम्मेलन आयोजित कर रहा है। सम्मेलन में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमा, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती सहित 19 देश हिस्सा शामिल हो सकते हैं। हालांकि, बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया। इस सम्मेलन की वजह से भारत पर क्या असर पड़ सकता है, इसी को लेकर प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से सवाल पूछा।
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अरिंदम बागची ने जवाब में कहा कि हमने हिंद महासागर क्षेत्र में काफी कुछ किया है। उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र के देशों के साथ मिलकर क्या कुछ कर सकते हैं, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं और लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। इसको लेकर हमने कई पहल की शुरुआत भी की है। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस यही है कि इन देशों के साथ कैसे हम आर्थिक पहल को बढ़ा सकते हैं। साथ ही सुरक्षा को लेकर भी हम क्या कर सकते हैं।
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चीनी मंच का उद्देश्य स्पष्ट रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के मजबूत प्रभाव का मुकाबला करना है, जहां हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) जैसे भारत समर्थित संगठन ने मजबूत जड़ें जमा ली हैं। आईओआरए में 23 देश शामिल हैं। 1997 में गठित आईओआरए में चीन एक संवाद भागीदार है। आईओआरए के अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों के बीच सक्रिय सहयोग के लिए 2015 में ‘‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’’ (सागर) का प्रस्ताव रखा।
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