कांग्रेस का China प्रेम फिर सामने आया! अधीर ने चीन को चेताया तो पार्टी को न भाया, फिर... ट्वीट हटाया
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चीन को लेकर एक ट्वीट किया था, लेकिन उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया। किसके दवाब में आकर उन्होंने ये कदम उठाया ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है लेकिन एक बात तो साफ है कि कांग्रेस के अंदर ही इसको लेकर विरोध शुरू हो गया था।
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और दिसंबर का महीना था। सदन में कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी स्पीकर की कुर्सी की तरफ देखते हुए मासूमियत भरे अंदाज में पूछते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ हम आवाज उठाते हैं। उसके खिलाफ हम लड़ाई लड़ते हैं, पाकिस्तान का मददगार चीन है। चीन हमारे खिलाफ पाकिस्तान को मदद देता है। लेकिन चीन के खिलाफ सॉफ्ट क्यों हैं। इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्होंने माकूल जवाब दे दिया था। चीन के प्रति सॉफ्ट होने के सवाल का जवाब उस वक्त सत्ताधारी दल की ओर से अधीर को संसद में तो मिल गया था, लेकिन इस बार ये सवाल जिस दल ने उन्हें लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया है उनसे पूछने की साहस शायद ही अधीर रंजन चौधरी में हो।
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लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चीन को लेकर एक ट्वीट किया था, लेकिन उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया। किसके दवाब में आकर उन्होंने ये कदम उठाया ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है लेकिन एक बात तो साफ है कि कांग्रेस के अंदर ही इसको लेकर विरोध शुरू हो गया था।
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अधीर रंजन ने चीन को दी थी चेतावनी
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने चीन को चेताते हुए ट्वीट किया, 'चीन! सावधान हो जाओ। भारतीय बलों को पता है कि तुम जैसे जहरीलों सर्पों का फन कैसे कुचला जाए। पूरी दुनिया की नजर विस्तारवाद की तुम्हारी कुटिल चाल पर है।' उन्होंने भारत सरकार को सलाह दी और कहा, 'मैं सरकार को अब बिना समय गंवाए ताइवान से राजनयिक संबंध स्थापित करने का सुझाव देता हूं।'
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पार्टी ने बयान से किया किनारा, डिलीट करना पड़ा ट्वीट
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुके हैं और चीन के साथ बेहद मधुर संबंध रहे हैं। साल 2018 में उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चीन में हो रही ‘शंघाई सहयोग राजनीतिक दल फोरम’ (एससीओपीपीएफ) की बैठक में शामिल भी हुए थे। अधीर के बयान पर उनका ट्वीट तुरंत आ गया। उन्होंने कहा कि अधीर रंजन का बयान उनकी निजी राय है। ये कांग्रेस पार्टी की राय नहीं है। विवाद बढता देख अधीर रंजन ने फौरन अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
कश्मीर पर विवादित बोल पर कांग्रेस ने साधी थी चुप्पीThe Indian National Congress recognises and values the special strategic partnership between India and China. As two ancient civilisations and large economies of the world both countries are destined to make a significant contribution in the 21st Century.
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) May 12, 2020
लोकसभा में आर्टिकल 370 हटाए जाने के वक्त कहा था कि कश्मीर को लेकर शिमला समझौते और लाहौर डिक्लेरेशन हुआ है और जिस कश्मीर को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को कहा है कि कश्मीर द्विपक्षीय मामला है तो ऐसे में यह एकपक्षीय कैसे हो गया? आपने अभी कहा कि कश्मीर अंदरूनी मामला है, लेकिन यहां अभी भी संयुक्त राष्ट्र 1948 से मॉनिटरिंग करता आ रहा है। यह हमारा आंतरिक मामला कैसे हो गया?
जहां तक चीन पर अधीर की टिप्पणी की बात है तो ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया जब भारत में मौजूद चीनी दूतावास ने ताइवान को लेकर 'वन चाइना' राग अलापा है और भारतीय मीडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
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क्या है ताइवान-चीन विवाद
'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते। दोनों खुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं। जिसे हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम है 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइन।' दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है।
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कांग्रेस पर चीन से लगाव के लगते रहे आरोप
कई बार ये भी दावा किया गया है कि जवाहर लाल नेहरू की गलती की वजह से भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता ठुकरा दी और अपनी जगह ये स्थान चीन को दे दिया। सर्वपल्ली गोपाल ने जावहर लाल नेहरू की जीवनी लिखी थी उसमें एक पत्र के हवाले से कहा भी गया है कि अमेरिका ने जब कहा कि चीन को यूनाइटेड नेशन्स में ले लो लेकिन सुरक्षा परिषद में नहीं। भारत को उसकी जगह शामिल किया जाए। तब नेहरू जी ने कहा कि चीन एक महान देश है और ये उसके लिए अच्छा नहीं होगा की वो शामिल न हो।
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