मुख्यमंत्री चौहान ने एक क्लिक से जमा किए 66 लाख विद्यार्थियों के लिए 145 करोड़
प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत 66.27 लाख बच्चों को 26109.79 मे.टन गेहूँ एवं चावल स्व सहायता समूहों, रसाईयों, स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से घर-घर जाकर वितरित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। यह कार्य सम्पन्न होने के बाद द्वितीय चरण में 29479.65 मेट्रिक टन गेहूँ, चावल के वितरण की कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी गई है।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार मध्यान्ह भोजन योजना की मई और जून महीने के 37 दिनों की 145.92 करोड़ रूपये की राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से 66.27 लाख विद्यार्थियों के खातों में जमा किया। पूर्व में मार्च और अप्रैल माह के 33 दिन की राशि 117.11 करोड़ रूपए जमा की जा चुकी है। इसके अलावा भोजन तैयार करने वाले रसोईयों को भी कुल 84 करोड़ की राशि का भुगतान दो किस्तों में किया गया है। कोरोना संकट की अवधि में कुल 347 करोड़ रूपए योजना के अंतर्गत जमा करवाए गये हैं। अवकाश की अवधि में पहली बार योजना का लाभ विद्यार्थियों को दिया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने विद्यार्थियों से बातचीत कर उनकी पढ़ाई, कोरोना से बचाव के लिये अपनाए जा रहे उपायों और कॅरियर के संबंध में जानकारी ली। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव, संचालक मध्यान्ह भोजन योजना दिलीप कुमार और सचिव मुख्यमंत्री एम. सेलवेन्द्रम उपस्थित थे।
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उल्लेखनीय है कि प्रदेश की 1.13 लाख लक्षित शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं, अनुदान प्राप्त शालाओं एवं मदरसों तथा बाल श्रम परियोजना की शालाओं के बच्चों को मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत दोपहर में पका हुआ भोजन दिया जाता है। कोरोना संकट के कारण शालाओं में मध्यान्ह भोजन का वितरण करना संभव न था, इसलिये बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता देने का फैसला लिया गया। इस क्रम में गत 29 मार्च को बच्चों को 33 दिन की राशि 117.11 करोड़ का भुगतान किया गया था। आज 37 दिन की राशि 145.92 करोड़ का भुगतान किया गया। इस तरह आगामी 13 जून तक के लिये छात्रों को खाद्य सुरक्षा भत्ते और रसोईयों को किये गये भुगतान को मिलाकर कुल 347 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत 66.27 लाख बच्चों को 26109.79 मे.टन गेहूँ एवं चावल स्व सहायता समूहों, रसाईयों, स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से घर-घर जाकर वितरित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। यह कार्य सम्पन्न होने के बाद द्वितीय चरण में 29479.65 मेट्रिक टन गेहूँ, चावल के वितरण की कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने योजना की राशि बच्चों के खाते में जमा करने के पश्चात 10 जिलों के बच्चों से बातचीत की। उन्होनें बच्चों से कहा कि उनके मामा का सभी भांजे-भांजियों को ढेर सारा आशीर्वाद है। स्कूल अभी बंद हैं। आप सभी के लिये राशन और खाद्य सुरक्षा भत्ते की व्यवस्था की गई है। कोरोना के संकट में किसी को परेशानी न हो इसलिये गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को पहले तीन माह और बाद में दो माह का राशन दिया गया। बिना राशन कार्ड वालों को भी इसका फायदा दिया गया। आप सभी अपनी पढ़ाई करते रहें। जब भी स्कूल शुरू होंगे, आप सभी को किताबें और यूनिफार्म प्रदान की जाएगी। संबल योजना के विद्यार्थियों के लिये भी सरकार व्यवस्था करेगी। फीस के साथ ही अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए दो गज की दूरी, मास्क बांधने और अन्य सावधानियों का पूरा पालन जरूर करें। यह कोरोना समाप्त हो जाएगा, आप सभी स्वस्थ रहने के लिए बचाव पर ध्यान दें। इससे डरना नहीं है, लेकिन लापरवाही भी नहीं करना है। सब मिलकर कोरोना को हराएंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बच्चे बेहतर भविष्य बनाएं, माता-पिता का नाम रोशन करें। मुख्यमंत्री ने बच्चों को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी किस तरह राष्ट्र के हित में निरंतर महत्वपूर्ण फैसले लेते रहे हैं। आज उनके प्रधानमंत्री पद के द्वितीय कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूरा हुआ।
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इस दौरान देवास जिले की कु.उत्तरांशी ने कहा कि वो मेहनत से पढ़ने का इरादा रखती हैं। अब स्कूल खुलना चाहिए। डिण्डौरी के सौरभ ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में उसने पढ़ाई भी की और खेती-किसानी के काम में भी समय दिया। सौरभ इंजीनियर बनना चाहता है। गुना के अनुज ने बताया कि उसने आठवीं के साथ नवमी की किताबें भी पढ़ लीं। वह इंजीनियर बनना चाहता है। सीधी की कु. दुर्गा ने अपने पढ़ाई-लिखाई की जानकारी दी। छतरपुर के दिव्यांश और ग्वालियर की रिचा ने भी दो महीने की अध्ययन गतिविधियों की जानकारी दी। खण्डवा की राधिका ने बताया कि उसने पढ़ाई के साथ माँ को भी घर के काम में हाथ बटाया। वह पुलिस इंस्पेक्टर बनना चाहती है। सागर की गीतांजलि ने बताया कि वह भी घर के कार्य में सभी को सहयोग करती है। उसकी इच्छा आगे चलकर डॉक्टर बनने की है। विदिशा की कु. खुशी आईपीएस अफसर बनना चाहती है। उसे कोरोना संकट में पुलिस की सेवाएं देखकर भी प्रेरणा मिली है। सीहोर की कु. काजल भी पढ़ाई के प्रति गंभीर है और उसका सपना पुलिस इंस्पेक्टर बनने का है।
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