बृजभूषण के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल, दिल्ली पुलिस ने की POCSO मामला रद्द करने की सिफारिश
दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पोक्सो के तहत लगा गए आरोपों को रद्द करने की सिफारिश की लेकिन यौन उत्पीड़न और पीछा करने के आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।
नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पोक्सो के तहत लगा गए आरोपों को रद्द करने की सिफारिश की लेकिन यौन उत्पीड़न और पीछा करने के आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। सरकार ने ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक, ओलंपियन विनेश फोगाट समेत प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को आश्वासन दिया था कि मामले में 15 जून तक आरोपपत्र दाखिल कर दिया जाएगा, जिसके बाद उन्होंने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
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ये पहलवान एक नाबालिग समेत सात महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों में बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने नाबालिग पहलवान द्वारा बृजभूषण के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत को रद्द करने की सिफारिश करते हुए कहा कि ‘‘ कोई पुख्ता सबूत नहीं’’ मिले। दिल्ली पुलिस की जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) सुमन नालवा ने एक बयान में बताया कि पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में शिकायतकर्ता यानी नाबालिग के पिता तथा स्वयं लड़की के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध करने वाली रिपोर्ट दाखिल की गई। पटियाला हाउस अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने कहा कि मामले को रद्द करने की रिपोर्ट पर चार जुलाई को विचार किया जाएगा। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन वर्ष कारावास की सजा है।
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हालांकि, यह उस धारा पर निर्भर करता है जिसके तहत अपराध आ रहा हो। बहरहाल, अदालत इस पर फैसला ले सकती है कि पुलिस का सुझाव मानना है या आगे जांच जारी रखनी है। इस बीच साक्षी मलिक के पति पहलवान सत्यव्रत कादियान से जब आगे की कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ,‘‘ हम इस पर बात कर रहे हैं। आपको बतायेंगे।’’ कांग्रेस ने पोक्सो के तहत शिकायत को रद्द करने की दिल्ली पुलिस की सिफारिश के बाद आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी का नया नारा बेटी डराओ-बृजभूषण बचाओ है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ पॉक्सो के तहत मामले की शिकायत पर आरोपी को तुरंत हिरासत में लिया जाता है।लेकिन बृजभूषण शरण सिंह मीडिया में इंटरव्यू देकर मेडल को 15 रुपये का बताता है, रैलियों में शक्ति प्रदर्शन करता है। उससे दिल्ली पुलिस 45 दिन तक पूछताछ तक नहीं करती और उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद प्राथमिकी दर्ज होती है। ’’ महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज एक अन्य मामले में राउज एवेन्यू अदालत में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक कुमार ने आरोपपत्र पर विचार करने के लिए 22 जून की तारीख तय की।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत के बाहर बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल करना), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354डी (पीछा करना) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया है। भारतीय कुश्ती महासंघ के एक निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर के खिलाफ भी भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (यदि कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है, यदि उकसाव के कृत्य को अंजाम दिया गया, और जहां इसके के लिए दंड कोई स्पष्ट प्रावधान न हो), 354, 354ए और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया है। प्रदर्शन कर रहे पहलवान बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, जिन पर उन्होंने एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सात जून को ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक से मुलाकात की थी और पहलवानों को आश्वासन दिया था कि मामले में आरोपपत्र 15 जून तक दाखिल कर दिया जाएगा। विशेष जांच दल ने 180 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। यह दल गोंडा में बृजभूषण शरण सिंह के आवास पर गया जहां उसने निवर्तमान डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रिश्तेदारों, सहयोगियों, घरेलू सहायकों और उनके सहयोगियों के बयान दर्ज किए। जांचकर्ता एक महिला पहलवान को नयी दिल्ली में सिंह के आधिकारिक आवास पर भी ले गए ताकि उस घटनाक्रम का नाट्य रूपांतरण किया जा सके जो कथित अपराध का कारण बना।
पहलवानों ने निर्धारित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं होने पर फिर से विरोध-प्रदर्शन करने की धमकी दी है। खेल मंत्री ठाकुर ने सात जून को पहलवानों के साथ मुलाकात करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि पहलवानों ने सुझाव दिया था कि मामले में आरोपपत्र 15 जून तक दाखिल किया जाए और डब्ल्यूएफआई के चुनाव 30 जून तक कराए जाएं। पहलवानों ने यह भी सुझाव दिया था कि डब्ल्यूएफआई की एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाए, जिसकी अध्यक्षता एक महिला करे। इन सभी प्रस्तावों पर खेल मंत्री ने सर्वसम्मति से सहमति जताई। इस आश्वासन के बाद पहलवानों ने अपना प्रदर्शन स्थगित कर दिया था।
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