कोरोना वैक्सीन उपलब्धता के लिहाज से पिछड़ा भारत! वैक्सीन मैत्री पर उठे सवाल

Canada and UK among countries with most vaccine doses ordered per person
निधि अविनाश । Apr 16 2021 5:03PM

भारत ने भारी मात्रा में दूसरे देशों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराई, लेकिन मार्च के महीनें में फिर से देश में कोरोना का कहर बरपा तब यह समझिए की देश में फिर से एक बार खतरा मंडराने लगा। इसको देखते हुए क्या सरकार को पहले दूसरे देशों को वैक्सीन भेजना जरूरी समझती थी?

भारत में एक बार फिर से कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। बता दें कि देश में केवल 24 घंटे में 2 लाख 17 हजार से भी अधिक कोरोना के मामले सामने आए हैं। एक तरफ जहां कोरोना के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है वहीं दूसरी तरफ भारत लोगों को वैक्सीन लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक देश में 11.72 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। बात करे दुनिया के अन्य देशों की तो भारत के मुकाबले वाले देशों में लोगों को न केवल वैक्सीन समय पर दी जा रही है बल्कि अन्य देशों के पास वैक्सीन के बड़े-बड़े भंडार भी उपलब्ध है। 

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भारत क्यों है पीछे?

भारत ने दो-दो कोरोना की वेक्सीन बनाई लेकिन उसके बावजूद भारत इतना पीछे क्यों रह गया है। बता दें कि इस समय भारत कोरोना वैक्सीन की 1.1 अरब डोज खरीदने वाला है और अमेरिका ही एकलौता देश है जो देश से 2.51 अरब की वैक्सीन खरीदेगा। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन भारत जैसे देश ने जहां दो-दो कोरोना वैक्सीन की डोज बनाई है वो प्रति व्यक्ति वैक्सीन डोज के लिहाज से टॉप 10 देशों में शामिल ही नहीं है। वहीं कनाडा एक ऐसा देश है जो प्रति व्यक्ति के लिए 8.7 वैक्सीन की डोज तैयार कर चुका है। बता करें टॉप 10 देशों की तो यूके दूसरे स्थान पर बना हुआ है उसके बाद न्यूजीलैंड,चीली,ऑस्ट्रेलिया,यूरोपियन यूनियन,अमेरिका,इजरायल,स्विटजरलैंड और 10वें पर दक्षिण कोरिया शामिल है। यकीन मानिए लेकिन इस टॉप 10 देशों में भारत का कोई भी स्थान नहीं है।

 

यहां जानिए कारण

भारत इन टॉप10 देशों में शामिल नहीं है इसको लेकर सवाल उठना काफी वाजिब होगा। जिस देश को दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता के रूप में देखा जाता है और जहां सीरम जैसा बड़ा वैक्सीन निर्माता इंस्टिट्यूट है इसके बावजूद भी भारत कहां पीछे रह गया? जानकारी के मुताबिक, भारत में न केवल सीरम है बल्कि भारत बायोटेक, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका जैसी बड़े-बड़े वैक्सीन निर्माता इंस्टिट्यूट है जहां कोरोना वैक्सीन का काम चल रहा है। अब सवाल उठता है कि भारत के मुकाबले अमेरिका और यूरोप और जैसी बड़े आबादी वाले देशों में कोरोना वैक्सीन की डोज ज्यादा है फिर भी भारत वेक्सीन के मामले में पीछे क्यों? वहीं वैक्सीन मैत्री जिसके जरिए 50 देशों को भारत ने वैक्सीन उपलब्ध कराई वहीं बहुत से देश को मुफ्त में भी वैक्सीन उपलब्ध कराई गई उसके बाद अब इस निति पर भी सवाल उठाए जा रहे है। 

 

क्या करना चाहिए था?

बता दें कि जब भारत में कोरोना के कम केस होने लगे तब भारत ने भारी मात्रा में दूसरे देशों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराई, लेकिन मार्च के महीनें में फिर से देश में कोरोना का कहर बरपा तब यह समझिए की देश में फिर से एक बार खतरा मंडराने लगा। इसको देखते हुए क्या सरकार को पहले दूसरे देशों को वैक्सीन भेजना जरूरी समझती थी? इस समय की हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार की मैत्री निति गलत है क्योंकि भारत सरकार को पहले अपने देश के नागरिकों के बारे में सोचना चाहिए था और अधिक से अधिक वैक्सीन का भंडार जमा करना चाहिए था। 

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