क्या दिल्ली एक आवासीय परिसर के हजारों पेड़ों की कटाई झेल सकती है: HC

Can Delhi afford felling of thousands of trees for housing complex, says High Court
[email protected] । Jun 25 2018 4:02PM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सवाल किया कि क्या एक आवासीय परियोजना के लिए 16,500 से ज्यादा पेड़ों की कटाई राष्ट्रीय राजधानी बर्दाश्त कर सकेगी।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सवाल किया कि क्या एक आवासीय परियोजना के लिए 16,500 से ज्यादा पेड़ों की कटाई राष्ट्रीय राजधानी बर्दाश्त कर सकेगी। पेड़ों की कटाई पर अंतरिम रोक लगाने के अदालत के रूख को देखते हुए नेशनल बिल्डिंग्‍स कन्‍स्‍ट्रक्‍शन कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड ने चार जुलाई तक पेड़ों की कटाई नहीं करने की सहमति दे दी।

दरअसल, एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी को दक्षिण दिल्ली की छह कालोनियों के पुन : विकास का काम सौंपा गया है। इसी क्रम में पेड़ों की कटाई होनी थी। न्यायमूर्ति विनोद गोयल और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की अवकाशकालीन पीठ ने जब सवाल किया कि ‘क्या दिल्ली वर्तमान में एक आवासीय परिसर के लिए इतने पेड़ों की कटाई झेल सकती है? हम समझ सकते थे, अगर यह सड़कें चौड़ी करने के लिए होता, जिसे टाला नहीं जा सकता था।’

पीठ ने पहले एनबीसीसी को कहा था कि वह दो जुलाई तक पेड़ों की कटाई रोक दे क्योंकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करेगा। पीठ ने याचिका दायर करने वाले आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर कौशल कांत मिश्र से भी कहा कि वह अधिकरण के पास जायें। अदालत ने ये टिप्पणियां उस वक्त कीं जब एनबीसीसी ने कहा कि केन्द्र द्वारा किसी परियोजना को पर्यावरण मंजूरी देने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई का अधिकार क्षेत्र हरित अधिकरण के पास है।

एनबीसीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जे पी सेंग ने कहा कि उसने वृक्षों की कटाई की अनुमति के लिये वृक्ष प्राधिकरण के यहां आठ करोड़ रूपए भी जमा कराये हैं। पर्यावरण मंत्रालय के वकील रिपुदमन भारद्वाज ने कहा कि केन्द्र ने हरित अधिकरण के पूर्व के आदेशों के अनुरूप ही पर्यावरण मंजूरी दी है। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि यह मामला पेड़ों की कटाई के संबंध में दिल्ली सरकार के वृक्ष प्राधिकरण द्वारा पिछले साल नवंबर में दी गयी अनुमति से भी जुड़ा हुआ है और इस फैसले को राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

इसके बाद, अदालत ने डा कौशल को चार जुलाई तक अपनी याचिका में संशोधन करें और वृक्ष प्राधिकरण के फैसले को चुनौती दें। उच्च न्यायालय ने दक्षिण दिल्ली की छह कालोनियों के पुन: विकास के क्रम में एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी द्वारा पेड़ों की कटाई के लिये केन्द्र से मिली मंजूरी को स्थगित रखने से 22 जून को इनकार कर दिया था। आर्थोपेडिक सर्जन डा मिश्र ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका में कहा था कि इस क्रम में 16,500 से ज्यादा पेड़ों को काटना पड़ेगा।

याचिका में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आवासीय परियोजना के लिये दी गयी पर्यावरण मंजूरी और कार्य शर्तो को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है, जिन कालोनियों में पेड़ों की कटाई होगी वे हैं... सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर और कस्तूरबा नगर। 

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