उत्तराखंड में चुनाव को लेकर भाजपा जल्द ही करेगी चिंतन बैठक, खास मुद्दों पर होगी चर्चा
उत्तराखंड में चुनाव होंगे और भाजपा की चुनौती भी उतनी ही बढ़ रही है क्योंकि उत्तराखंड का इतिहास गवाह है कि यहां हर साल पांच साल में सत्ता बदल जाती है और अगर बीजेपी इस वक्त सत्ता में बनी हुई है तो इसका मतलब सत्ता विरोधी लहर भी बनेगी।
उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होंगे और इसके लिए बीजेपी जल्द ही चुनाव की तैयारियों और अपनी रणनीति को लेकर एक विचार बैठक करेगी। एक खबर के मुताबिक इसी महीने चिंतन बैठक हो सकती है। इस बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की जा सकती है। अब सवाल है कि क्या पार्टी सीएम चेहरे के साथ ही चुनाव लड़ेगी या संयुक्त नेतृत्व में? सत्ता में फिर से कैसे लौटना है जैसे कई मुद्दो पर इस बैठक में चर्चा की जा सकती है।
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बता दें कि इस चिंतन बैठक में उन मुद्दों पर चर्चा होगी जिसको लेकर किसी भी नेता के मन में है और जिसका असर आगामी चुनाव में देखने को मिल सकता है। एनबीटी से बात करते हुए बीजेपी के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि तीन दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कोरोना से जूझ रहे लोगों को राहत कैसे पहुंचाई जाए इसको लेकर चर्चा की थी। उन्होंने बताया कि आगामी विचार बैठक में चुनाव को लेकर चर्चा अहम है। बीजेपी ने कोरोना संकट के दौर में लोगों से जुड़ने के लिए भी कार्यक्रम तय कर लिए हैं। कौशिक के मुताबिक, उत्तराखंड में जिस जिले को कोरोना मुक्त घोषित किया गया है, पार्टी वहां अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं का सम्मान करेगी।
भाजपा के लिए चुनौती?
उत्तराखंड में चुनाव होंगे और भाजपा की चुनौती भी उतनी ही बढ़ रही है क्योंकि उत्तराखंड का इतिहास गवाह है कि यहां हर साल पांच साल में सत्ता बदल जाती है और अगर बीजेपी इस वक्त सत्ता में बनी हुई है तो इसका मतलब सत्ता विरोधी लहर भी बनेगी। अब चुनौती यह है कि भाजपा इससे कैसे उबरेगी, इसको लेकर भी बैठक में चर्चा होगी। आपको बता दें कि उत्तराखंड भाजपा के भीतर गुटबाजी कोई राज नहीं है। बीजेपी के लिए चुनाव से निपटना और एकजुट चेहरा दिखाना हमेशा से ही चुनौती भरा रहा है। कुछ समय पहले ही भाजपा ने उत्तराखंड का सीएम बदला है और इस दौरान भी कई नेता खुद के सीएम बनने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन भाजपा ने एक रावत को गढ़वाल से हटा दिया और दूसरे रावत को सीएम का पद दे दिया। इससे कई नेता नाराज भी हुए, हालांकि भाजपा ने इस समस्या को बेलेंस करने की पुरजोर कोशिश की थी लेकिन अब इसका असर आगामी चुनाव में देखने को मिल सकता है। अब सवाल है कि क्या भाजपा तीरथ सिंह रावत को सीएम चेहरा बनाकर चुनाव में उतारेगी या नहीं?
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बता दें कि सीएम पद हासिल करने के बाद से ही तीरथ सिंह रावत ने ऐसे कई बेतुके बयान दिए है जिससे पार्टी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब चर्चा तो यह भी होगी कि क्या भाजपा संयुक्त नेतृत्व में उत्तराखंड चुनाव में मैदान में उतरेगी? क्योंकि असम में भी भाजपा ने ऐसा ही कुछ किया था, असम में भाजपा का सीएम होने के बावजूद पार्टी ने अगला सीएम कौन होगा इसको लेकर ऐलान नहीं किया था। जब चुनाव जीता तब सीएम बदल दिया गया तो यह कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में असम जैसा कुछ होने की संभावना है।
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