केजरीवाल पर भाजपा का निशाना, विज्ञापन पर खर्च हुए करोड़ों रुपये, परियोजना के लिए पैसे उनके पास नहीं
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि RRTS Project के लिए केजरीवाल को 1,138 करोड़ रुपये देने थे लेकिन नहीं दिए। केजरीवाल सर्वोच्च न्यायालय को लगातार कहते रहे कि मेरे पास पैसे ही नहीं हैं। केजरीवाल के पास इश्तिहार के लिए 1,106 करोड़ रुपये हैं लेकिन प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं है।
दिल्ली में राजनीतिक बवाल जारी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ‘रीजऩल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (आरआरटीएस) परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता जताने को लेकर दिल्ली सरकार को सोमवार को फटकार लगाई और उसे पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन का ब्योरा देने का निर्देश दिया था। इसको लेकर भाजपा केजरीवाल सरकार पर हमलावर है। आज भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस वार्ता कर अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा।
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3 वर्षों में 1106 करोड़ रुपये के विज्ञापन जारी
गौरव भाटिया ने कहा कि सबसे बेईमान नेता अरविंद केजरीवाल द्वारा पिछले 3 वर्षों में 1106 करोड़ रुपये के विज्ञापन जारी किए गए हैं। आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली का योगदान 1138 करोड़ रुपये था। हालाँकि, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बार-बार बताया है कि उनके पास परियोजना के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के मुताबिक केजरीवाल सरकार के पास विज्ञापनों के लिए पैसा है। हालाँकि, उनके पास आरआरटीएस परियोजना के लिए पैसा नहीं है जो लोगों के हित में है। SC ने उनसे एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें पिछले 3 साल में विज्ञापनों पर खर्च की गई रकम का ब्योरा हो।
सर्वोच्च न्यायालय की फटकार
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि RRTS Project के लिए केजरीवाल को 1,138 करोड़ रुपये देने थे लेकिन नहीं दिए। केजरीवाल सर्वोच्च न्यायालय को लगातार कहते रहे कि मेरे पास पैसे ही नहीं हैं। केजरीवाल के पास इश्तिहार के लिए 1,106 करोड़ रुपये हैं लेकिन प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इश्तिहार के लिए तुम्हारे पास रुपया है, लेकिन RRTS Project जो जनता के हित के लिए है उसके लिए तुम्हारे पास पैसा नहीं हैं। न्यायालय ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने इश्तिहार पर कितना पैसा लगाया, इसका पूरा विश्लेषण हलफनामे के साथ कोर्ट के समक्ष रखे।
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भाटिया ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली HC की टिप्पणी के अनुसार, "विद्वान ट्रायल कोर्ट ने उत्पाद शुल्क विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों पर विचार किया, जिससे पता चलता है कि कैबिनेट नोट की फाइल तत्कालीन उत्पाद शुल्क आयुक्त द्वारा तैयार की गई थी और GoM के विचार के लिए भेजी गई थी।" साथ ही, जनता द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को कभी भी वापस नहीं किया गया और वह गायब हो गई।'' हाई कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया बड़े पद पर रहे हैं, ये साक्ष्य मिटा सकते हैं, ये गवाहों को डरा सकते हैं... इसलिए इनको जमानत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि इन पर जो आरोप लगे हैं, वह बहुत गंभीर हैं।
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