Haryana में फिर बीजेपी आ रही है! कांग्रेस EC वाला गाना दोहरा रही है, एग्जिट पोल को रिजल्ट ने Exit कर दिया

Haryana
ANI
अभिनय आकाश । Oct 8 2024 1:14PM

2024 चुनाव से ठीक पहले सीएम पद पर नायाब सिंह सैनी की ताजपोशी हुई और खट्टर को केंद्र में बुला लिया गया। इसे एंटी इनकमबेंसी को पाटने की कवायद के तौर पर देखा गया। कमोबेश ऐसा ही प्रयोग बीजेपी की तरफ से उत्तराखंड और गुजरात में आजवाया जा चुका है।

अटकलें, अनुमान, पार्टी में मुख्यमंत्री की दावेदारी को लेकर मचे घमासान के बीच हरियाणा में कांग्रेस को सत्ता के लिए अब पांच साल और इंतजार करना पड़ेगा। अभी तक के रूझानों से साफ लग रहा है कि हरियाणा में बीजेपी आ रही है। जबकि कांग्रेस चुनाव आयोग वाला गाना दोहरा रही है। लेकिन इन सब के बीच एग्जिट पोल फिर से फेल साबित होते दिखे। परिणामों ने एग्जिट पोल को ही एग्जिट कर दिया है। हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल 2014 में सरप्राइज देते हुए पहली बार के विधायक होते हुए सूबे के मुख्या बने थे। 2019 के चुनाव में उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा निकाली थी। हालांकि 2024 चुनाव से ठीक पहले सीएम पद पर नायाब सिंह सैनी की ताजपोशी हुई और खट्टर को केंद्र में बुला लिया गया। इसे एंटी इनकमबेंसी को पाटने की कवायद के तौर पर देखा गया। कमोबेश ऐसा ही प्रयोग बीजेपी की तरफ से उत्तराखंड और गुजरात में आजवाया जा चुका है। 

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डबल इंजन या नायाब सिंह सैनी का कमाल

हरियाणा में बीजेपी की सफलता नरेंद्र मोदी के चेहर और डबल इंजन के नाम पर हुई या नायाब सिंह सैनी के काम पर हुई ये समीक्षा का विषय हो सकती है। हालांकि इतने छोटे कार्यकाल के दौरान उनके पास खास करने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन अगर आप हरियाणा के चुनावी बैनर और पोस्टर पर नजर डालें तो उनमें मोदी से ज्यादा सैनी की तस्वीर ज्यादा नजर आ रही थी। 2014 से पहले बीजेपी हरियाणा में बहुत बड़ी पार्टी नहीं हुआ करती थी। लेकिन नरेंद्र मोदी के राष्ट्रपति राजनीति में आगमन के साथ ही बीजेपी का भी प्रदेश में प्रभाव बड़ता चला गया। 1998 के बाद लगातार चार चुनावों में बीजेपी का नेशनल लेवल पर पर्सेंटेज गिरता रहा। वही 2009 में आकर ये 18 प्रतिशत हो गया। फिर अचानक नरेंद्र मोदी आते हैं उसे पहले खींचकर 31 प्रतिशत तक ले जाते हैं। 2019 में ये 37 प्रतिशत हो जाता है। उसका असर हरियाणा में भी देखने को मिला। 

पार्टी के गठन के 2 साल बाद ही हरियाणा की 6 सीटों पर लहाराय था परचम

1980 में अपनी स्थापना के दो साल बाद ही बीजेपी हरियाणा के रण में उतरी थी। बीजेपी ने 1982 के चुनाव में आधा दर्जन सीटों पर जीत का सिक्सर लगाया था। 1987 में 16 और 1996 में 11 सीटों पर उसे जीत मिली। 2000 के चुनाव में सीटें घटकर 6 हो गई। 2005 में बीजेपी का आंकड़ा 2 सीट पर आ गया था। 2009 में ये बड़कर दोगुनी यानी 4 सीटों पर हो गई। लेकिन हरियाणा चुनाव में बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2014 के चुनाव में आया था जब बीजेपी ने 33.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 47 सीटें जीती थी। 2019 में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा लेकिन सीटें घट गईं और पार्टी 36.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटें ही जीत सकी थी। 

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ईवीएम की जगह चुनाव आयोग पर निशाना

अमूमन हार के बाद विपक्षी दल ईवीएम को कोसते रहे हैं। लेकिन इन नतीजों के बाद फिलहाल तो ऐसा देखने को नहीं मिला है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के निशाने पर इस बार ईवीएम की जगह चुनाव आयोग है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और जयराम नरेश ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर काउंटिंग का डाला स्‍लो दिखाए जाने का मुद्दा उठाया। दोनों नेताओं ने एक सुर में कहा कि अबतक 10-12 राउंड की वोटिंग हरियाणा के अलग-अलग रीजन में हो चुकी है लेकिन चुनाव आयोग की वेबसाइट में चार राउंड की वोटिंग तक डाटा ही दिखाया जा रहा है। जयराम रमेश के ट्वीट के माध्‍यम से इस चीज की शिकायत चुनाव आयोग से की है। उधर चुनाव आयोग के सूत्रों ने इन आरोपों को निराधार करार दिया है। 

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