Prabhasakshi NewsRoom: Karnataka में BJP ने नहीं थामा आंतरिक असंतोष तो सत्ता में लौटना मुश्किल होगा

Karnataka BJP
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कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कम से कम 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। हालांकि भाजपा की सूची सामने आने के बाद कई प्रमुख नेता टिकट न मिलने पर खुलकर सामने आए हैं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आज से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सत्ता की दावेदारी जहां भाजपा पूरे दमखम से कर रही है तो वहीं कांग्रेस इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है कि सत्ता में आने की बारी उसकी है। हालांकि दोनों दलों में टिकटों को लेकर जो असंतोष दिख रहा है उससे जनता दल सेक्युलर के चेहरे पर खुशी नजर आ रही है। जनता दल सेक्युलर को लग रहा है कि दोनों पार्टियों के आंतरिक असंतोष का फायदा उसे मिल सकता है और विधानसभा त्रिशंकु बनी तो पहले की तरह मुख्यमंत्री पद उसके पास भी आ सकता है। 

जहां तक भाजपा में मचे असंतोष की बात है तो पार्टी के कई वरिष्ठ नेता रूठ गये हैं, कुछ ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है तो कोई खुल कर मीडिया के सामने रोते हुए अपनी पीड़ा बयां कर रहा है तो कोई दूसरी पार्टी में जाने की तैयारी कर रहा है तो कोई निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। यदि भाजपा ने उम्मीदवारी हासिल नहीं कर पाने वाले लोगों को जल्द नहीं मनाया और असंतोष पर काबू नहीं किया तो सत्ता में लौटने की उसकी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

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हम आपको बता दें कि राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा ने सदन की कुल 224 सीटों में से 212 पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। हालांकि इस सूची में छह बार के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर का नाम शामिल नहीं है। जगदीश शेट्टर ने हुबली-धारवाड़ मध्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का दावा पेश किया है और उन्होंने इसी के मद्देनजर बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। पार्टी ने इस सीट से अभी तक किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। हम आपको बता दें कि भाजपा ने पहली सूची में 189 उम्मीदवारों और दूसरी सूची में 23 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। पार्टी को अब भी 12 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल है। वहीं, दस्तावेजों की पड़ताल 21 अप्रैल को की जाएगी, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 24 अप्रैल है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को एक ही चरण में मतदान होगा। मतगणना 13 मई को की जाएगी।

कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कम से कम 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। भाजपा की सूची सामने आने के बाद कई प्रमुख नेता टिकट न मिलने पर खुलकर सामने आए हैं और अपना विरोध दर्ज कराया है। भाजपा द्वारा अथानी से टिकट नहीं दिए जाने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की। वहीं टिकट नहीं मिलने के बाद कर्नाटक के मंत्री और दक्षिण कन्नड़ जिले के सुलिया क्षेत्र से छह बार के विधायक एस. अंगारा ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। उडुपी के विधायक रघुपति भट को भी पार्टी ने इस बार मौका नहीं दिया। रघुपति भट ने कहा कि पार्टी द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार से उन्हें बहुत पीड़ा हुई है। इसके अलावा, रानीबेन्नूर विधानसभा सीट से टिकट चाह रहे भाजपा एमएलसी आर शंकर ने पार्टी द्वारा उनके अनुरोध को नजरअंदाज करने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पार्टी उन सभी असंतुष्टों से बात करेगी और उनकी चिंताओं का ध्यान रखेगी।

वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने बेलगावी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने निश्चित रूप से एक निर्णय लिया है। मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है।’’ कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच तीन बार के विधायक 63 वर्षीय लक्ष्मण सावदी ने कहा कि वह "मजबूत निर्णय" लेंगे और शुक्रवार से इस पर काम करना शुरू कर देंगे। हम आपको बता दें कि भाजपा नेता और पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली का समर्थन रखने वाले मौजूदा विधायक महेश कुमाथल्ली को बेलगावी जिले के अथानी से टिकट दिया गया है। महेश कुमाथल्ली पाला बदलने वालों के उस समूह में शामिल थे जिनमें जारकीहोली भी शामिल थे। इनके पाला बदलने से भाजपा को कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को गिराने और 2019 में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाने में मदद मिली थी।

उधर, व्यथित दिख रहे एस. अंगारा ने कहा कि समर्पण के साथ पार्टी के लिए मेहनत करने वाले विधायक के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से असंतुष्ट नहीं हूं। लेकिन यह पार्टी और समाज के लिए बिना किसी काले धब्बे के काम करने के लिए (मुझे) सम्मान देने का कोई तरीका नहीं है .... ईमानदारी का कोई मूल्य नहीं है।” विधायक एस. अंगारा ने कहा कि वह राजनीति से संन्यास ले रहे हैं और अब वह पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। हम आपको बता दें कि सुलिया से भाजपा ने भागीरथी मुरुल्या को अपना उम्मीदवार बनाया है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, टिकट तय करते समय, भाजपा ने कुछ वरिष्ठों और “सेवानिवृत्ति” (75 वर्ष की आयु) के करीब लोगों को बदलने की कोशिश करने की नीति अपनाई है। कई नेताओं से यह भी कहा गया है कि अगर वे अपने बच्चों के लिये टिकट चाहते हैं तो वे मैदान से हट जाएं।

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