बाढ़ में फंसे परिवारों को मदद दें नीतीश कुमार, मजबूरन खाने पड़ रहे हैं इन लोगों को चूहे
बाढ़ से जूझते हुए प्रदेश में लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के सरकार के दावे कितने सही हैं यह तो ग्राउंड जीरो की हकीकत देखने के बाद आप सभी को खुद-ब-खुद समझ में आ जाएगी।
कुछ वक्त पहले देश पानी की किल्लत से जूझ रहा था लेकिन मानसून आते ही पहले मुंबई फिर बिहार, असम समेत देश के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। बिहार की ही अगर हम बात करें तो आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार के 12 जिलों शिवहर, सीतामढी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अब तक 33 लोगों की मौत होने के साथ 26 लाख 79 हजार 936 लोग प्रभावित हुए हैं। बिहार में बाढ़ के कारण मरने वाले लोगों में सीतामढी के 11, अररिया के 9, शिवहर के 7, किशनगंज के 4 और सुपौल 2 लोग शामिल हैं।
बाढ़ से जूझते हुए प्रदेश में लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के सरकार के दावे कितने सही हैं यह तो ग्राउंड जीरो की हकीकत देखने के बाद आप सभी को खुद-ब-खुद समझ में आ जाएगी। बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन को बताया कि बाढ़ की आपदा से पीडि़त लोगों को तत्परता के साथ हमने हर संभव सहायता मुहैया कराने का प्रयास किया और आगे भी कर रहे हैं। सभी जिलाधिकारियों को पूरी मुस्तैदी से राहत एवं बचाव कार्य चलाने के निर्देश दिए गए हैं।
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नीतीश कुमार ने यह तो कह दिया कि हम पीड़ितों को सहायता के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या मुख्यमंत्री साहब बिहार की इस हकीकत से अंजान हैं। उत्तर बिहार में एक परिवार जिंदा रहने के लिए चूहे मारकर खाने के लिए मजबूर हो गया है। कटिहार जिले के कदवा प्रखंड स्थित दांगी टोला इलाके में एक परिवार बाढ़ से बचने के लिए दर-बदर भटक रहा है और जीवनयापन करने के लिए चूहे मारकर खा रहा है।
दरअसल बाढ़ के चलते बहुत से लोगों का अनाज बह गया तो कुछ का बर्बाद हो गया है और उन परिवारों के पास खाने के लिए अन्न नहीं था। इन्हीं लोगों में शामिल टांगी टोला का एक परिवार सरकारी मदद का इंतजार करते-करते इतना परेशान हो गया कि वह चूहा मारकर खाने के लिए बेबस हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित ने बताया कि दांगी टोला में बाढ़ की वजह से करीब 300 परिवार बुरी तरह से फंसे हुए हैं जिनकी मदद करने के लिए कोई भी नहीं है। इसी वजह से भूखे लोगों ने जब आनाज की तलाशी की तो कुछ नहीं मिला और मजबूरन उन्हें चूहे मारकर खाना पड़ा।
हालांकि बाढ़ प्रभावित 12 जिलों में 185 के आस-पास राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जहां 1,12,653 लोगों ने शरण ली हुई है। उनके भोजन की व्यवस्था के लिए 812 सामुदायिक रसोई चलाई जा रही हैं। बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 26 टीमों और 796 मानव बल को लगाया गया है तथा 125 मोटरबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हेलीकाप्टर में बैठकर बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वेक्षण किया।
बीते दिनों नीतीश कुमार में विधानसभा में कहा कि मृतकों के परिजन को शीघ्र ही अनुग्रह राशि के भुगतान के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों को पर्याप्त धन आवंटित किया गया है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिन लोगों की जान चली गई है उनके आश्रितों को मृत्यु के 24 घंटों के भीतर अनुग्रह राशि मिल जाए। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि उत्तर बिहार में आमतौर पर अगस्त या कभी-कभी सितंबर माह में बाढ़ आती है पर इस बार यह प्राकृतिक आपदा एक महीने पहले आ गयी क्योंकि मुख्य रूप से पड़ोसी देश के तराई क्षेत्र में असामान्य रूप से भारी वर्षा हुई थी।
Bihar Chief Minister Nitish Kumar conducted aerial survey of flood-affected areas from Patna to Valmiki Nagar, earlier today. pic.twitter.com/o0uVaoyZZm
— ANI (@ANI) July 16, 2019
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