महागठबंधन सरकार में ‘प्रभावी’ भागीदारी चाहते हैं बिहार कांग्रेस के नेता
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नयी महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद के बीच कांग्रेस की प्रदेश इकाई के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस सरकार में उनकी पार्टी की प्रभावी और सम्माजनक भागीदारी होनी चाहिए।
नयी दिल्ली। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नयी महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद के बीच कांग्रेस की प्रदेश इकाई के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस सरकार में उनकी पार्टी की प्रभावी और सम्माजनक भागीदारी होनी चाहिए। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं की यह राय भी है कि कांग्रेस इस सरकार में शामिल नहीं हो और बाहर से इसका समर्थन करे। गत नौ अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को छोड़ कर महागठबंधन का हिस्सा बन गए।
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नीतीश की अगुवाई वाली नयी सरकार में राजद नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर से उप मुख्यमंत्री बने हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों के भीतर मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। कांग्रेस के प्रदेश में 19 विधायक हैं और ऐसे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि नयी सरकार में उसे तीन मंत्री पद मिल सकते हैं, हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी कम से कम चार मंत्री पद चाहती है। पार्टी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि सरकार में कांग्रेस की हिस्सेदारी सम्मानजनक होगी।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद की राय है कि सरकार में उनकी पार्टी के मंत्रियों की संख्या पांच तक होनी चाहिए, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सभी घटक दलों के नेता इस बारे में फैसला करेंगे। अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम कांग्रेस के नेता हैं, इसलिए चाहते हैं कि हमारी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा मंत्री पद मिले। लेकिन जब पार्टियों के नेता बातचीत के लिए बैठते हैं तो कई बिंदुओं को देखकर फैसला होता है...हमें लगता है कि पांच मंत्री पद मिलने चाहिए, लेकिन यह घटक दलों के नेता तय करेंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में कांग्रेस की भागीदारी से कार्यकर्ताओं और आम जनता के काम करने में पार्टी को आसानी होगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को इस सरकार में न सिर्फ सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, बल्कि ‘प्रभावी’ भागीदारी भी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी यह भी राय है कि सरकार में पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, मुस्लिम और सवर्ण समुदायों से पांच उप मुख्यमंत्री होने चाहिए, ताकि सामाजिक समरसता दिखे। यह कांग्रेस की मांग नहीं, बल्कि मेरी अपनी सलाह है।’’ बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता कौकब कादरी ने कहा कि बिहार की सामाजिक औेर राजनीतिक वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को महागठबंधन सरकार का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस गठबंधन में रहकर कांग्रेस अपने आप को मजबूत कर सकती है।’’
कादरी ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से इस सरकार में कांग्रेस के मंत्रियों की संख्या चार होनी चाहिए।’’ प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि कांग्रेस को सरकार का बाहर से समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘साल 2000 और 2015 में हम देख चुके हैं कि सरकार में शामिल होने के बाद अगले चुनावों में हमारी विधानसभा सीट की संख्या घटी। इसलिए मेरा मानना है कि हमें बाहर से समर्थन करना चाहिए।’’ झा ने कहा, ‘‘सत्ता का मुख्य हिस्सा राजद और जद(यू) के पास होगा। कांग्रेस सिर्फ नाम के लिए सत्ता में रहेगी। सत्ता में रहने पर कांग्रेस से जनता की बहुत अपेक्षाएं रहेंगी। हम नैतिक रूप से नीतीश जी का समर्थन करते हैं, लेकिन हम सरकार से बाहर रहकर समर्थन करें, तो उचित रहेगा।
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