बिहार को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया आई सामने, नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार या अस्वीकार ? जानें
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख पास आती जा रही है कि ठीक वैसे की एनडीए उम्मीदवारों के चेहरा मुरझाता जा रहा है क्योंकि उन्हें अपने ही क्षेत्रों में जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है।
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में लालटेन जलेगा या फिर तीर चलेगा यह कह पाना अभी मुश्किल है। लेकिन ओपिनियन पोल सामने आने लगे हैं। समाचार पत्रों और टेलीविजन की राय अलग-अलग है। रिपोर्ट के मुताबिक एक समाचार पत्र ने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर वहां के स्थानीय लोगों के साथ बातचीत के आधार पर एक खबर प्रकाशित की। जिसमें यह कहा जा रहा है कि बदलाव की हवा बह रही है लेकिन यह किस तरफ जाएगी अभी तय नहीं हो पाया है।
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नीतीश को लेकर सामने आई नाराजगी
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख पास आती जा रही है कि ठीक वैसे की एनडीए उम्मीदवारों के चेहरा मुरझाता जा रहा है क्योंकि उन्हें अपने ही क्षेत्रों में जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है। नीतीश मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों और विधायकों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। इस बार जनता नेताओं से सीधे सवाल पूछ रही है।
आम लोगों के साथ बातचीत कर तैयार की गई रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक व्यक्ति ने कहा कि हमको बदलाव चाहिए। सरकार बदलती रहे। अगर एक ही आदमी को हर बार वोट दिया तो फिर महत्व कम होने लगता है। वो लोग फिर सोचेंगे कि कुछ काम करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में इस बार बदलाव होना चाहिए। हालांकि जब रिपोर्टर ने इस शख्स से स्पष्ट शब्दों में पूछा कि किसे वोट देंगे तो उन्होंने कहा कि 'अभी सोचे नहीं हैं, अभी कुछ कह भी नहीं सकते'।
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रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि जब आम लोगों को टटोला गया तो यह बात सामने आई कि नीतीश कुमार के लिए यह विधानसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है। अपने पक्ष में जातीय और भाजपा के साथ गठबंधन होने के बावजूद उन्हें जीतने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा। जबकि पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में अपना दमखम आजमा रहे तेजस्वी यादव इसे मौके के रूप में भुनाने में जुटे हुए हैं। क्योंकि लोजपा नीतीश कुमार का खुला विरोध कर रही है। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने साफ शब्दों में कहा है कि पिता रामविलास पासवान नहीं चाहते थे कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
नीतीश कुमार का फूटा गुस्सा
वहीं, एक व्यक्ति ने बिहार के समीकरण को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यहां पर तीन ताकत है। जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी। इसमें से दो लोग जिस तरफ होंगे, उसी का पलड़ा भारी रहेगा। अभी तक के आंकड़े तो यही बताते थे लेकिन इस बार की परिस्थितियां पहले से काफी भिन्न दिखाई दे रही हैं क्योंकि जो लोग नीतीश कुमार के काम से संतुष्ट रहे हैं वो भी बदलाव की बात कर रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के सामने दोहरी चुनौती बन गई है और उसका गुस्सा भी कहीं-न-कहीं चुनावी रैली में दिखाई दे रहा है। तभी तो परसा में जब नीतीश कुमार चंद्रिका राय के समर्थन में रैली कर रहे थे तभी कुछ लोगों ने लालू यादव के समर्थन में नारेबाजी की। इससे नीतीश गुस्से में आ गए और उन्हें रैली से जाने के लिए कहा। नीतीश का गुस्सा इतने में ही नहीं रुका उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जिन्हें वोट देना हो देना, नहीं देना हो मत देना, लेकिन हंगामा मत कीजिए।
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रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि लोगों में नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी देखी जा सकती है और इस बार तो दिल्ली के किसी मुद्दे का असर भी यहां दिखाई नहीं दे रहा है।
NDA को 133-143 सीटें मिलने के आसार
समाचार पत्र और टेलीविजन के अनुमान अलग-अलग हैं। बिहार की 243 सीटो के लिए होने वाले चुनाव से पहले इंडिया टुडे का सर्वे सामने आया है। जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने की बात कही जा रही है। सर्वे में बताया गया कि एनडीए को 133-143, महागठबंधन को 88-98, लोजपा को 2-6 और अन्य को 6-10 सीटें मिल सकती हैं। इंडिया टुडे के सर्वे से यह स्पष्ट हो रहा है कि बिहार इस बार भी नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताने का विचार कर रही है और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को नकार दिया है।
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