मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का दिया आदेश, सारे केस भी दिल्ली ट्रांसफर

Mohammad Zubair
ANI
अंकित सिंह । Jul 20 2022 2:45PM

सुप्रीम कोर्ट यह भी कहा है कि मोहम्मद जुबैर को 20,000 रुपये के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कथित अपमानजनक ट्वीट के मामले में उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी प्राथमिकी में जमानत मंजूर कर ली है। सुप्रीम कोर्टने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी प्राथमिकी को एक साथ जोड़ दिया है। मोहम्मद जुबैर को यह बड़ी राहत मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज सभी छह प्राथमिकी में अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट यह भी कहा है कि मोहम्मद जुबैर को 20,000 रुपये के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

 न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि राजधानी की पटियाला हाउस अदालत में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष 20,000 रुपये का एक मुचलका (जमानत बॉड) जमा करने के बाद जुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों में जमानत पर रिहा किया जायेगा। पीठ ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को समाप्त करने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों को दिल्ली पुलिस को जांच के लिए सौंप दिया और उन्हें दिल्ली पुलिस के एक विशेष प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज की गई मौजूदा प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया था कि ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में उत्तर प्रदेश में दर्ज पांच प्राथमिकियों के संबंध में जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक ‘दुष्चक्र’ है जहां जुबैर को एक मामले में जमानत मिलते ही उनके खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज हो जाती है।

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