चित्तौड़गढ़ में स्वाभिमान की लड़ाई : राजवी को टिकट मिलने से भाजपा विधायक आक्या नाराज

Bhairon Singh Shekhawat
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चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र में शहर और कुछ ग्रामीण क्षेत्र आते हैं। क्षेत्र में लगभग 2.70 लाख मतदाता हैं और इनमें से अधिकतर राजपूत समुदाय से हैं। इसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। चित्तौड़गढ़ मेवाड़ क्षेत्र का एक हिस्सा है और चित्तौड़ किले के लिए प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल छह पहाड़ी किलों में से एक है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने पर भाजपा के एक बागी ने इसे चित्तौड़गढ़ के स्वाभिमान का मुद्दा बनाकर 25 नवंबर को होने वाले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। भाजपा ने जब पूर्व उपराष्ट्रपति दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के दामाद और पांच बार के विधायक नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया तो दो बार के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के समर्थकों ने कई विरोध प्रदर्शन किए। यह विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी के लोकसभा क्षेत्र में आता है। आक्या ने पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के लिए सीधे तौर पर जोशी को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है।

आक्या ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, यह निश्चित रूप से स्वाभिमान की लड़ाई है। मैं हर समय लोगों के बीच रहा हूं और हमेशा पार्टी के लिए काम किया है। इसका कोई जवाब नहीं है कि मेरा नाम क्यों काट दिया गया और एक बाहरी व्यक्ति को भेजा गया। लोग मेरे साथ हैं और वे चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं। उन्होंने कहा, मैं निश्चित रूप से चुनाव लड़ूंगा। मुझे उम्मीद है कि पार्टी अपना उम्मीदवार बदल देगी। आक्या ने कांग्रेस में जाने की संभावना को खारिज किया। कांग्रेस ने अभी तक इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वह इस सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे और छह नवंबर को आखिरी दिन नामांकन दाखिल करेंगे।

उनके समर्थक उनके पीछे एकजुट हो गए हैं, जिससे यह मुकाबला स्थानीय बनाम बाहरी हो गया है और राजवी, जो विगत में इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं, को बाहरी व्यक्ति कहा जा रहा है। दूसरी ओर, राजवी ने खुद को बाहरी बताए जाने को खारिज करते हुए कहा, मेवाड़ मेरे दिल में है। तो मैं बाहरी कैसे हूं? उन्होंने कहा कि 1993-1998 और 2003-2008 में विधायक के रूप में उन्होंने क्षेत्र के लिए काम किया। उम्मीदवार घोषित होने के बाद सोमवार को पहली बार निर्वाचन क्षेत्र में पहुंचने पर राजवी ने पीटीआई-से कहा, मेरे लिए कोई चुनौती नहीं है। मुझे उम्मीद है कि सबकुछ सुलझ जाएगा और चीजें सही हो जाएंगी। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में जयपुर की विद्याधर नगर सीट पर राजवी की जगह राजसमंद से सांसद दीया कुमारी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया जिससे राजवी के समर्थक नाराज हो गए।

इसके बाद, राजवी को भाजपा की दूसरी सूची में चित्तौड़गढ़ से टिकट दिया गया, जिसका आक्या के समर्थकों ने भारी विरोध किया। हालांकि, विरोध के बावजूद आक्या के समर्थकों द्वारा चिपकाए गए पोस्टरों में भाजपा का चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तस्वीरें हैं। कुछ में भैरों सिंह शेखावत की तस्वीरें भी हैं, जो तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे थे। इसे लेकर भाजपा के चित्तौड़गढ़ के जिला अध्यक्ष मिट्ठू लाल जाट ने आक्या पर निशाना साधते हुए पूछा कि अगर उन्हें अपनी जीत का इतना ही भरोसा है तो फिर पार्टी का चिह्न और भाजपा नेताओं की फोटो का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? जाट ने कहा, हो सकता है कि उन्होंने (आक्या ने) बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा किया हो, लेकिन यह सब पार्टी के चुनाव चिह्न और हमारे नेताओं के चेहरों के कारण है। उनके समर्थन की असली तस्वीर उस दिन स्पष्ट हो जाएगी जिस दिन वह पोस्टरों से भाजपा नेताओं के चुनाव चिह्न और तस्वीरें हटा देंगे।

उन्होंने कहा कि पार्टी के फैसले कई कारकों पर आधारित थे और ऐसा नहीं था कि केवल आक्या को नामांकन से वंचित किया गया। जाट ने कहा कि बड़ी सादड़ी से विधायक ललित कुमार ओस्तवाल को भी टिकट नहीं दिया गया है। कांग्रेस नेता नीतू कंवर भाटी ने कहा कि भाजपा में अंदरूनी कलह से उनकी पार्टी को फायदा मिलेगा। महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष भाटी ने कहा, आमजन के लिए किए गए कार्यों के कारण कांग्रेस पार्टी के पक्ष में लहर है। सरकार की सभी योजनाओं ने आम आदमी को राहत दी है। कलक्ट्रेट रोड पर मिठाई की दुकान के मालिक हरि शंकर पंड्या ने दावा किया कि आक्या को हर समुदाय का समर्थन प्राप्त है और सहानुभूति उनके साथ है। उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में विकास ही मुख्य मुद्दा है। पंड्या ने कहा, सीमेंट उद्योग जिले में अर्थव्यवस्था चलाता है लेकिन इसका लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिलता क्योंकि उन्हें रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं मिलते।

हालांकि, उन्होंने कांग्रेस सरकार की योजनाओं की सराहना की और कहा कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाएं लोगों के लिए उपयोगी साबित हुई हैं। चित्तौड़गढ़ जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से, भाजपा ने तीन सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने बड़ी सादड़ी सीट के लिए गौतम दक, चित्तौड़गढ़ के लिए नरपत सिंह राजवी और निंबाहेड़ा सीट के लिए श्रीचंद कृपलानी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने निम्बाहेड़ा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने इस सीट पर मौजूदा विधायक और मंत्री उदय लाल अंजना को अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में चित्तौड़गढ़ सीट से सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को मैदान में उतारा था, लेकिन वह आक्या से 23 हजार 800 मतों के अंतर से हार गए थे।

चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र में शहर और कुछ ग्रामीण क्षेत्र आते हैं। क्षेत्र में लगभग 2.70 लाख मतदाता हैं और इनमें से अधिकतर राजपूत समुदाय से हैं। इसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। चित्तौड़गढ़ मेवाड़ क्षेत्र का एक हिस्सा है और चित्तौड़ किले के लिए प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल छह पहाड़ी किलों में से एक है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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