सैनिक कभी रिटायर नहीं होता...मोहम्मद इलियास पर यह बात सटीक बैठती है
बर्फ के नीचे दबे व्यक्ति को बाहर निकालने में महारत रखने वाले मोहम्मद इलियास हिमस्खलन के बाद बचाव अभियान चलाने में भी सिद्धहस्त हैं। सेना ने जैकलाई की आउट परेड के दौरान मोहम्मद इलियास का सम्मान किया।
आदमी रिटायर मन से होता है शरीर से नहीं, जी हाँ आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं रिटायर हो चुके भारतीय सेना के जवान सूबेदार मोहम्मद इलियास से। देशभक्ति का जज्बा और मानवता के लिए अंतिम सांस तक काम करते रहने का जज्बा सूबेदार मोहम्मद इलियास के अंदर इतना कूट-कूट कर भरा हुआ है कि वह रिटायरमेंट के बाद भी अपने साथियों और लोगों की जान बचाने के काम में जुटे हुए हैं। मोहम्मद इलियास सेना की जैकलाई यूनिट में सेवाएं दे चुके हैं। सेवा के दौरान तो उन्हें एवलांच मैन के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज भी वह यह खिताब अपने नाम ही रखे हुए हैं।
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मोहम्मद इलियास को अपनी सेवा के दौरान दो सेना पदक समेत 7 पदकों से सम्मानित किया गया था। कश्मीर में बर्फ भरी चोटियों पर जब भी हिमस्खलन हुआ तब-तब एवलांच मैन इलियास को मदद के लिए बुलाया जाता था और यह सिलसिला आज भी जारी है। हाल ही में तीन दिसंबर को एक घटना घटी, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास तंगधार सेक्टर में भारी हिमस्खलन हुआ था और सेना की ईगल पोस्ट को नुकसान पहुँचा था। इस हादसे में चार सैनिक बर्फ के नीचे दब गये थे, अचानक हुए इस हादसे को देखते हुए सेना ने मोहम्मद इलियास को मदद के लिए पुकारा तो वह दौड़े चले आये और वहां फंसे हुए चार जवानों में से एक को जिंदा बचाने में सफल रहे साथ ही उन्होंने अन्यों को बर्फ से निकालने में बचाव दल की पूरी मदद भी की। बर्फ के नीचे दबे व्यक्ति को बाहर निकालने में महारत रखने वाले मोहम्मद इलियास हिमस्खलन के बाद बचाव अभियान चलाने में भी सिद्धहस्त हैं। सेना ने जैकलाई की आउट परेड के दौरान मोहम्मद इलियास का सम्मान किया और इस दौरान चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल केजे ढिल्लन ने उनके योगदान को सराहा।
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कहा जाता है कि एक सैनिक कभी छुट्टी पर नहीं रहता यह बात मोहम्मद इलियास के मामले में एकदम सटीक बैठती है। जम्मू-कश्मीर में सर्दियों का मौसम काफी चुनौतीपूर्ण रहता है। गौरतलब है कि अगर पिछले एक महीने के ही आंकड़ों को देखें तो कश्मीर और लद्दाख में चार हिमस्खलनों में दस सैनिकों और सेना से जुड़े 6 अन्य लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी।
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