दल बदल रोधी कानून अपने उद्देश्यों को हासिल करने में रही नाकाम: के.आर. रमेश

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[email protected] । Jul 30 2019 10:32AM

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की मूल वजह चुनाव प्रणाली है। (इसलिए) चुनाव सुधारों की जरूरत है।

बेंगलु्रू। कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने 17 बागी विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि दल बदल रोधी कानून का प्रावधान करने वाली ‘‘संविधान की 10 वीं अनुसूची’’ अपने लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने में नाकाम रही है। उन्होंने इस पर नये सिरे से गौर किए जाने पर भी जोर दिया है। कुमार ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल 14 महीने, चार दिन का रहा। कुमार ने कहा कि चुनाव सुधार वक्त की दरकार है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की मूल वजह चुनाव प्रणाली है। (इसलिए) चुनाव सुधारों की जरूरत है।

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उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार के बगैर भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने के बारे में बात करना बगैर किसी प्रतिबद्धता के सिर्फ एक खोखला बौद्धिक विमर्श होगा। बी एस येदियुरप्पा नीत तीन दिन पुरानी भाजपा सरकार के राज्य विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल करने के बाद अध्यक्ष के तौर पर कुमार ने विधानसभा को आखिरी बार संबोधित किया। कुमार ने अपने खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बारे में भाजपा के विचार करने संबंधी खबरों के बीच पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सदन को चुनाव सुधारों पर कदम उठाने के लिए केंद्र पर दबाव डालना चाहिए। कुमार ने सभी राज्य सरकारों से इस संबंध में संकल्प पारित करने और दल बदल रोधी कानून को मजबूत बनाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने का अनुरोध किया। 

कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के 17 विधायकों के अपने इस्तीफे की पेशकश करने से राज्य में आए राजनीतिक भूचाल और एच डी कुमारस्वामी सरकार गिरने के मद्देनजर उन्होंने यह अपील की है। कुमार ने येदियुरप्पा सरकार के विश्वास मत से पहले इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। उन्होंने राजनीतिक दलों से उस तरह का व्यवहार करने का अनुरोध किया है जो लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण नहीं होने दे। कुमार ने इस सिलसिले में नेताओं को अपना निजी और पारिवारिक हित कभी नहीं साधने तथा अपने राजनीतिक दल को नष्ट नहीं करने को कहा। कुमार ने येदियुरप्पा को उनके इर्द-गिर्द के लोगों के प्रति आगाह किया और उन्हें याद दिलाया कि उन्हें किसी उद्देश्य के लिए फिर से मौका मिला है और उन्हें राज्य के लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ने में इसका इस्तेमाल करना चाहिए। 

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उन्होंने जनप्रतिनिधितव अधिनियम और लोकायुक्त अधिनियम पर नये सिरे से गौर करने की भी अपील की। कुमार ने लोकायुक्त अधिनियम पर कहा कि यह स्पष्ट करने के लिए कोई प्रावधान क्यों नहीं है कि यदि कोई सरकारी सेवक संपत्ति एवं देनदारियों का विवरण देने से इनकार कर दे, तो क्या होगा। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि जब कोई व्यक्ति अपनी अकूत संपत्ति की घोषणा करता है तब चुनाव आयोग धन के स्रोत को जानने के लिए किसी जांच की आदेश कभी क्यों नहीं देता है। कुमार ने कहा कि हलफनामा दाखिल होने पर उसे प्रवर्तन निदेशालय के पास भेजा जाना चाहिए और एक जांच होनी चाहिए। हर विवरण लोगों के समक्ष रखा जाना चाहिए। तभी जाकर इस देश में लोकतंत्र जीवित रह पाएगा।

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