चुनावी दंगल से पीछे हटने के बाद बोले मनोज जरांगे, बंट सकता था मराठा वोट, हमने आरक्षण की लड़ाई जिंदा रखा
जरांगे ने यह भी कहा कि चुनाव से दूर रहने का विकल्प चुनकर उन्होंने मराठा आरक्षण की लड़ाई को जीवित रखा है। अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने कहा कि चुनाव न लड़ने के फैसले से कुछ चुनावी उम्मीदवार असंतुष्ट हो सकते हैं।
महाराष्ट्र में चुनावी दंगल से बाहर होने के बाद कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि अगर वह चुनाव मैदान में कूदते तो मराठा वोट विभाजित हो जाते और इससे राजनीतिक परिदृश्य बदल सकते थे। जरांगे ने यह भी कहा कि चुनाव से दूर रहने का विकल्प चुनकर उन्होंने मराठा आरक्षण की लड़ाई को जीवित रखा है। अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने कहा कि चुनाव न लड़ने के फैसले से कुछ चुनावी उम्मीदवार असंतुष्ट हो सकते हैं। लेकिन इस फैसले से मैंने आरक्षण की लड़ाई को जिंदा रखा है। चुनाव थोड़े समय के लिए ख़ुशी है जिससे हमें बचना चाहिए।
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कार्यकर्ता ने कहा कि वे उचित समय पर फैसला करेंगे कि वे किसे हराना चाहते हैं क्योंकि चुनाव में अभी कुछ दिन बाकी हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम उन लोगों को (मराठा आरक्षण के समर्थन में) मसौदा देंगे जो हमसे समर्थन मांग रहे हैं। हम दोबारा बैठेंगे और तय करेंगे कि हमें किसका समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अंतिम चरण में (राजनीतिक) माहौल को बदलने की क्षमता रखते हैं। हम जांचेंगे कि कौन मजबूत उम्मीदवार है और फिर तय करेंगे कि हमें किसे मसौदा और समर्थन देना चाहिए।
उन्होंने जालना जिले में एक मराठी समाचार चैनल को बताया कि 20 नवंबर के राज्य चुनावों के लिए उम्मीदवारों का समर्थन करने पर निर्णय उचित समय पर लिया जाएगा। जरांगे ने पहले कुछ निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की थी जहां उनका इरादा कुछ उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करने का था। लेकिन, सोमवार को कार्यकर्ता ने कहा कि वह राज्य में किसी भी प्रतियोगी को मैदान में नहीं उतारेंगे या उनका समर्थन नहीं करेंगे।
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यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव से बाहर रहने के फैसले से राज्य में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को फायदा होगा, जारांगे ने कहा कि ये बात काफी समय से कही जा रही है तो फिर हमारे लोगों पर (पिछले साल अंतरवाली सारथी गांव में) हमला क्यों किया गया? उनके खिलाफ मामले दर्ज किये गये. हाल ही में 15-16 समुदायों को आरक्षण दिया गया, लेकिन हमें आरक्षण नहीं दिया गया।
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