ज्ञानवापी के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा को लेकर कोर्ट में दायर हुई याचिका, ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने की मांग
ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने के लिए भी मथुरा की अदालत में एक याचिका दायर की गई है। हिंदू याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि अगर परिसर को सील नहीं किया गया तो गर्भगृह और अन्य पुरातात्विक मंदिर के अवशेष क्षतिग्रस्त या हटाए जा सकते हैं।
जबकि सभी की निगाहें वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर हैं, ऐसे में मथुरा के शाही ईदगाह का मसला भी अब गहराने लगा है। वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मथुरा की शाही ईदगाह के सर्वे की मांग की जा रही है। इस संबंध में मथुरा की जिला अदालत में प्रार्थना पत्र दिए गए। कोर्ट ने सुनवाई की तारीख एक जुलाई तय की है। वहीं अब ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने के लिए भी मथुरा की अदालत में एक याचिका दायर की गई है। हिंदू याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि अगर परिसर को सील नहीं किया गया तो गर्भगृह और अन्य पुरातात्विक मंदिर के अवशेष क्षतिग्रस्त या हटाए जा सकते हैं।
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मथुरा की अदालत में दो याचिकाएं दायर की गईं। शासकीय अधिवक्ता संजय गौर ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिविजन) ज्योति सिंह की अदालत में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मनीष यादव तथा दिनेश नामक एक अन्य व्यक्ति ने ये याचिकाएं दायर कीं। मनीष यादव ने अदालत से निषेधाज्ञा आदेश भी जारी करने की गुजारिश की ताकि शाही मस्जिद ईदगाह के अंदर कथित हिंदू मंदिर के निशानों को बचाया जा सके, क्योंकि इस बात की आशंका है कि दूसरा पक्ष ईदगाह के अंदर मौजूद इन निशानों को मिटा सकता है जिससे इस याचिका का मूल्य उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। गौरतलब है कि यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी पेश किया गया था।
ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की भी मांग।
आवेदन "मस्जिद परिसर में हिंदू कलाकृतियों और प्राचीन धार्मिक शिलालेखों के अस्तित्व" का निर्धारण करने के लिए "ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर" साइट के मूल्यांकन के लिए एक वकील आयुक्त की मांग करता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को चार महीने के भीतर निपटाने का निर्देश दिए जाने के एक दिन बाद, सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा की अदालत में आवेदन दायर किया गया था।
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