Aditya-L1 Mission: चांद के बाद सूर्य पर फतह करेगा भारत, यहां देख सकते हैं सौर मिशन की लॉन्चिंग

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रितिका कमठान । Sep 2 2023 11:07AM

इस मिशन को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) लॉन्च किया जाएगा। इसकी जानकारी इसरो ने साझा की है। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 मिशन का काउंटडाउन 1 सितंबर, 2023 को दोपहर 12:10 बजे शुरू हो गया था। आदित्य एल1 आज लॉन्च होगा मगर सूर्य तक पहुंचने में इसे चार महीनों का समय लगेगा।

भारत के लिए दो सितंबर का दिन बेहद ही खास रहने वाला है। दो सितंबर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन आदित्य-एल1 को लॉन्च करने की पूरी तैयारी में है। इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा।

इस मिशन को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) लॉन्च किया जाएगा। इसकी जानकारी इसरो ने साझा की है। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 मिशन का काउंटडाउन 1 सितंबर, 2023 को दोपहर 12:10 बजे शुरू हो गया था। जानकारी के मुताबिक इस मिशन के जरिए इसरो का लक्ष्य है कि आदित्य एल1 को लैग्रेंज 1 पॉइंट के आसपास यानी प्रभामंडल की एक कक्षा में स्थापित किया जाए। ये सोलर एक्टिविटी अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा। आदित्य एल1 आज लॉन्च होगा मगर सूर्य तक पहुंचने में इसे चार महीनों का समय लगेगा। 

ऐसे देख सकते हैं आदित्य एल1 का लॉन्च

इस मिशन की लॉन्चिंग को लाइव देखने के लि इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते है। इसके अलावा इसरो के आधिकारिक यूट्यूब चैनल और फेसबुक अकाउंट पर भी लॉन्च की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। वहीं डीडी नेशनल पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग होगी। ये स्ट्रीमिंग दो सितंबर की सुबह 11.20 मिनट से शुरू होगी।

ये है मिशन का उद्देश्य

गौरतलब है कि सूर्य का अध्ययन करने वाला आदित्य एल 1 मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है। इसका मकसद करीब से सूर्य का निरीक्षण, इसके वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में स्टडी करना है। इसका ऐलान खुद पीएम मोदी ने किया था। इसकी अहमियत इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सोलर सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव उपग्रह की कक्षा और उसके जीवन को बाधित कर सकते हैं। अंतरिक्ष के वातावरण को समझने के लिए यह मिशन खास है। भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। इन मिशन को पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीयन स्पेस एजेंसी शामिल हैं। सबसे ज्यादा मिशन नासा ने भेजे हैं।   

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