गुजरात विधानसभा चुनाव: आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुफ्त बिजली के लिए शुरू किया अभियान

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ANI

आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गुजरात में मुफ्त बिजली के लिए शुरू किया अभियान।“आप” दिसंबर में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। पार्टी ने मतदाताओं को आकर्षित करने और सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देने के लिए मुफ्त बिजली के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।

अहमदाबाद।आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ता दिल्ली मॉडल का हवाला देते हुए गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से मुफ्त या सस्ती बिजली मुहैया कराने की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आये हैं। “आप” दिसंबर में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। पार्टी ने मतदाताओं को आकर्षित करने और सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देने के लिए मुफ्त बिजली के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। आम आदमी पार्टी की ओर से 15 जून को शुरू किया गया “मुफ्त बिजली आंदोलन” 26 जून तक जारी रहेगा।

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“आप” के कार्यकर्ता 15 दिनों तक चलने वाले इस अभियान के तहत मशाल यात्रा, पदयात्रा और साइकिल रैलियों का आयोजन करेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, “आप” के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार समापन के दौरान गुजरात में मौजूद रहने की संभावना है। पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय संयुक्त सचिव इसुदान गढ़वी ने बुधवार को कहा “गुजरात के लोगों को बताया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाती है और पूरी दिल्ली में 24 घंटे बिजली उपलब्ध है।” गढ़वी ने कहा, “भाजपा के गुजरात में 27 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद, यहां बिजली देश में सबसे महंगी है। अगर देश के दो राज्यों में मुफ्त बिजली दी जा सकती है, तो गुजरात में क्यों नहीं।” “आप” की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने कहा, “आप” की मांग है कि भाजपा सरकार राज्य के लोगों को लूटना बंद करे और मुफ्त में बिजली देना शुरू करे या कम से कम इसे सस्ती करे। उन्होंने दावा किया कि अभियान को जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है जिससे भाजपा की बेचैनी बढ़ रही है। उन्होंने दावा किया कि अभियान के दौरान “आप” के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था और कई को धमकी भरे फोन आए थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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