देश में कोरोना बम फोड़ने वाले तबलीगी जमात के इतिहास से लेकर वर्तमान का पूरा विश्लेषण, झूठ बोलकर लेते हैं वीजा
तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती है। इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की जमातें निकाली जाती हैं।
‘सब मिले हुए हैं जी…' दिल्ली के मुख्यमंत्री अक्सर इस लाइन का प्रयोग किया करते देखे और सुने गए हैं। लेकिन कोरोना का सेंटर और देश में एक के बाद एक हो रही मौतों से दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और कर्फ्यू को लागू करने वाले प्रशासन के ऊपर एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा किया है और सीएम केजरीवाल की किसी दौर में कही इस राजनीतिक टिप्पणी को भी चरितार्थ करने का काम किया है।
आज वैसे तो लॉकडाउन का सातवां दिन है और हमें उम्मीद है कि आप अपने घरों पर सकुशल और स्वस्थ्य होंगे। कोरोना संक्रमण के मामलों के अचानक स्पीड पकड़ने और फिर बढ़ते ही चले जाने के दुनिया में कितने उदाहरण आपने खबरों में पढ़ी और देखी होगी। भारत में मामले बढ़ तो रहे हैं लेकिन संक्रमण की गति उतनी नहीं बढ़ी जितनी दूसरे देशों में बढ़ रही है। भारत में संक्रमण के मामले 147 से 1 हजार तक पहुंचने में 12 दिन लगे जबकि ब्रिटेन में 12 दिनों में मामले 164 से बढ़कर 2600 हो गए थे। फ्रांस में इन्हीं बारह दिनों में मामले 191 से बढ़कर चार हजार के करीब पहुंच गए थे, जबकि इटली में कोरोना के मामले 12 दिनों में 155 से बढ़कर साढ़े चार हजार को पार कर गए थे।
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भारत संयम और संकल्प के हथियार के सहारे कोरोना संकट के सामने स्पीड ब्रेकर की तरह अभी तक डटे रहने में कामयाब रहा है। लेकिन कुछ लोग इस लड़ाई को और कोरोना के संकट को सिरियस नहीं ले रहे हैं। वैसे तो इस वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैलता है इसका पता आपको देश-दुनिया के आंकड़ों से चल गया होगा लेकिन इसके बावजूद हमारे देश में कई लोग अब भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे और देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं, हमारे और आपको कोरोना की जंग को कमजोर करने में लग गए हैं। देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में पाबंदियों के बावजूद, लाकडाउन के बावजूद और कर्फ्यू के बावजूद एक बड़े धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और जिसमें 1400 लोग शामिल हुए।
जब देश में चार से ज्यादा लोग एक साथ एकट्ठा नहीं हो सकते, जब कोई अपने घर से नहीं निकल सकता। हम-आप जरूरतों का सामान लेने के लिए भी घर से निकलने पर 100 बार सोचते हैं और एहतियात बरतते हैं। ऐसे वक्त में दिल्ली में एक साथ 1400 सौ लोग एकट्ठा हो गए।With the help of the Health Department around 860 people have been shifted from Markaz building, Nizamuddin to hospitals. Around 300 more people are yet to be evacuated: Delhi Police sources #Coronavirus pic.twitter.com/fnLMwRRKS9
— ANI (@ANI) March 31, 2020
क्या है मामला
निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज मामला तब खुला, जब दिल्ली में 64 साल के एक शख्स की मौत हुई। यह शख्स कोरोना पॉजिटिव मिला था। इसके बाद 33 लोगों को भर्ती कराया गया, जिसमें से कुछ कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पूरा अमला हरकत में आया और पूरे सेंटर को खाली कराया गया। निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल जमात में से 9 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी. मरने वालों में तेलंगाना से लेकर कश्मीर तक पहुंचे लोग हैं। तेलंगाना में करीब 200 लोगों को क्वारनटीन किया गया है, जबकि तमिलनाडु में 800 लोगों की पहचान की गई है।
Delhi: Medical team and Police are present at the Markaz building, Nizamuddin where around 2500 people had attended a function earlier this month. Around 860 people have been shifted from the building to hospitals so far, around 300 are yet to be shifted. #Coronavirus pic.twitter.com/tabosvqhQh
— ANI (@ANI) March 31, 2020
तबलीगी जमात सुन्नी इस्लाम को मानने वालों का एक संगठन है जिसके तहत इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया जाता है और धर्म की शिक्षा दी जाती है। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला और जमात मतलब, समूह।
क्या है इसका इतिहास
मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था। लेकिन फिर भी वो लोग हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज अपना रहे थे। भारत में अंग्रेजों की हुकूमत आने के बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया। तबलीगी जमात आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था। इस जमात के छह मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं। "छ: उसूल" (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है।
#COVID19 has spread among some of those who attended a religious prayer meeting from 13th to 15th March at Markaz in the Nizamuddin area of Delhi. Among those, who attended were some persons from Telangana. Of them, six died: Telangana Chief Minister's Office pic.twitter.com/zWMUcFocgN
— ANI (@ANI) March 30, 2020
मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। हरियाणा के नूंह से 1927 में शुरू हुए इस तबलीगी जमात की पहली मरकज 14 साल बाद हुई। 1941 में 25 हजार लोगों के साथ पहली मीटिंग आयोजित हुई और फिर यहीं से ये पूरी दुनिया में फैल गया। विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसे इज्तेमा कहते हैं।
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निजामुद्दीन में मुख्यालय
इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।
कैसे करता है काम
तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती है। इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की जमातें निकाली जाती हैं। एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं। बाकी इस्लाम का प्रचार-प्रसार और धर्म की शिक्षा देने का काम करते हैं।
लेकिन ये कैसी शिक्षा है जो लोगों को कोरोना वायरस के मुंह में झोंक रही है और लोगों की जिंदगी के साथ खेल रही है। अब आपको तबलीगी जमात के इंटरनेशनल कोरोना कनेक्शन के बारे में बताते हैं। कुछ दिन पहले फिलिस्तीन के गाजा में कोरोना वायरस के दो मामले सामने आए थे। बाद में यह बात सामने आई कि ये दोनों लोग पाकिस्तान के तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर वहां लौटे थे। इसी महीने पाकिस्तान के लाहौर में तबलीगी जमात के एक बड़े कार्यक्रम का हिस्सा किया गया था जिसमें 80 देशों से इस्लामिक धर्म गुरूओं ने हिस्सा लिया था और इसमें लाखों लोग शामिल हुए थे। इसी संगठन से जुड़े इंडोनेशिया से आए कुछ धर्म गुरूओं को भी पिछले दिनों तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से कुछ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।
झूठ बोलकर लेते हैं भारत का वीजा
तबलीगी जमात में शामिल लोग भारत यात्रा पर आने के दौरान वीजा में इन जानकारियों को छुपाते हैं। वीजा में अधिकतर मामलों में ये बताया जाता है कि वो भारत घूमने जा रहे हैं। मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार निजामुद्दीन से लेकर देशभर मे तबलीगी जमात के लोग मौजूद हैं जिनमें इंडोनेशिया से लेकर कई विदेशी मुस्लिम भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि फरवरी माह में मलेशिया में हुए तबलीगी जमात से पूरे मलेशिया में कोरोना का संक्रमण फैला।
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हमारे देश के लोग इस लाकडाउन को लेकर कितने गंभीर हैं इस पर भी बहुत बड़ा सवाल उठाती है। हमारे देश में वायरस से लड़ना तो आसान है यानी हमारा देश वायरस को तो संयम और संकल्प की शक्ति से रोक लेगा लेकिन जो लोग खुद वायरस की तरफ जानबूझकर भाग रहे हैं उन्हें कैसे रोकेंगे।
बहरहाल, भारत के सामने चुनौती दो हैं, पहली ये कि वायरस को देश के हर हिस्से में दाखिल होने से कैसे रोके और दूसरी ये कि हमारे ही देश के जो लोग हैं जो इस वायरस की तरफ भाग रहे हैं उन्हें कैसे रोके। वायरस और लोगों को रोकने की दोहरी चुनौती भारत जैसे देश में स्थितियों को और भी मुश्किल बना देती है।
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