‘मैं पंजाब बोलदा हां’ चर्चा एक नवंबर को, पार्टियों को पिछले गलत कार्यों का जवाब देना होगा: मुख्यमंत्री मान
जाखड़ ने पहले सुझाव दिया था कि चर्चा को नियंत्रित करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी, पूर्व विधायक एच एस फुल्का और कंवर संधू का नाम प्रस्तावित किया था। जाखड़ ने दोहराया कि वह न तो चर्चा से भागेंगे और न ही मुख्यमंत्री को ‘भागने’ देंगे। शिअद ने इसे ‘दिखावटी चर्चा’ करार देते हुए कहा कि पार्टी इस पंजाब विरोधी कवायद की हिस्सा नहीं बनेगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को कहा कि लुधियाना में एक नवंबर को आयोजित होने वाली चर्चा ‘मैं पंजाब बोलदा हां’ में प्रमुख राजनीतिक दलों को अपने पिछले गलत कार्यों का जवाब देना होगा। इस चर्चा का आयोजन पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के सभागार में किया जाएगा। मान ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘एक नवंबर को दोपहर 12 बजे लुधियाना में होने वाली चर्चा का नाम मैं पंजाब बोलदा हां होगा। पंजाब की सत्ता में रह चुके प्रमुख राजनीतिक दल अपना पक्ष रखेंगे। प्रत्येक दल को 30 मिनट का समय मिलेगा।’’ मान ने इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रमुख सुनील जाखड़, कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को राज्य से संबंधित मुद्दों पर खुली बहस की चुनौती दी थी।
मान ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा आम आदमी पार्टी नीत सरकार की आलोचना के जवाब में यह चुनौती दी थी। मान ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि बहस अतीत में पंजाब की ‘लूट’ के आसपास केंद्रित होगी, जिसमें भाई-भतीजावाद, टोल प्लाजा, वर्ष 2015 का बेअदबी मामला और नदी जल-बंटवारे जैसे मुद्दों का जिक्र होगा। मान ने कहा कि यह चर्चा लोगों को यह स्पष्ट तस्वीर प्रदान करेगी कि ‘कैसे उन्हें धोखा दिया गया’ जबकि इन नेताओं ने ‘अक्षम्य पाप’ करके ‘अपने हितों की रक्षा’ की। मुख्यमंत्री ने कहा कि चर्चा का संचालन पीएयू के छात्र कल्याण निदेशक निर्मल जौरा करेंगे। प्रदेश भाजपा प्रमुख जाखड़ ने प्रश्न किया कि क्या जौरा एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते चर्चा का संचालन करने में निष्पक्ष हो सकते हैं?
जाखड़ ने कहा कि एक लेखक, शिक्षक और कलाकार के रूप में जौरा की क्षमताओं पर कोई सवाल नहीं है, बल्कि पंजाब के ‘ज्वलंत मुद्दों’ के बारे में मान की ‘गंभीरता’ को लेकर संशय है। जाखड़ ने कहा, ‘‘भगवंत मान जी भूल गए हैं कि पंजाब के लोगों ने उन्हें राज्य चलाने के लिए चुना है, लेकिन मुख्यमंत्री बार-बार मंच के पीछे छिपने की कोशिश करते हैं।’’ जाखड़ ने पहले सुझाव दिया था कि चर्चा को नियंत्रित करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी, पूर्व विधायक एच एस फुल्का और कंवर संधू का नाम प्रस्तावित किया था। जाखड़ ने दोहराया कि वह न तो चर्चा से भागेंगे और न ही मुख्यमंत्री को ‘भागने’ देंगे। शिअद ने इसे ‘दिखावटी चर्चा’ करार देते हुए कहा कि पार्टी इस पंजाब विरोधी कवायद की हिस्सा नहीं बनेगी।
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