Hindenburg Report की क्या है पूरी हकीकत? विपक्ष जिसे नहीं समझ सका क्या निवेशक और बाजार ने उसे कर दिया डिकोड
रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जोरदार खंडन किया है। लेकिन अमेरिका से आई रिपोर्ट ने राजनीतिक विस्फोट कर दिया है। पक्ष-विपक्ष में वार पलटवार हो रहे हैं। अब सवाल यहां पर ये है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की हकीकत क्या है?
631 डब्ल्यू 207वीं स्ट्रीट, न्यूयॉर्क सिटी, दिल्ली से करीब 12 हजार किलोमीटर का फासला है। लेकिन इसी पते से आई एक रिपोर्ट ने दिल्ली की राजनीति को एक बार फिर से गरमा दिया है। एक बार फिर इसलिए क्योंकि 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्द रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसके बाद देश की राजनीति में जबरदस्त भूचाल आ गया था। अब 18 महीने बाद हिंडनबर्ग की एक और रिपोर्ट पर हंगामा खड़ा हो गया है। इस बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच पर सवाल खड़े किए गए हैं। हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में ये कहा गया है कि सेबी प्रमुख और उनके पति उसी फंड में निवेश कर रहे थे, जिनके साथ अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का संबंध था। हिडनबर्ग के आरोपों को सेबी चीफ और अडानी ग्रप दोनों ने ही बेबुनियाद करार दे दिया है। रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जोरदार खंडन किया है। लेकिन अमेरिका से आई रिपोर्ट ने राजनीतिक विस्फोट कर दिया है। पक्ष-विपक्ष में वार पलटवार हो रहे हैं। अब सवाल यहां पर ये है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की हकीकत क्या है?
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क्या है पूरा मामला
अमेरिका की शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को एक नई रिपोर्ट जारी की है। इसमें सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर बड़े आरोप लगाए गए हैं। हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच की उन ऑफश्योर शेयरों में हिस्सेदारी रही है जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई है या जिनका इस्तेमाल अडानी ग्रुप की कथित अनियमितताओं में हुआ था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आज तक सेबी ने अडानी दूसरी संदिग्ध कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की है। डो इंडिया इंफोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड की ओर से संचालित की जा रही है।
हिंडनबर्ग के क्या आरोप लगाए?
1.) नॉन-प्रॉफिट अडाणी वॉच ने जांच में पिछले साल पाया कि कीमत में कथित हेराफेरी का यह पैसा विनोद अडाणी के कंट्रोल वाली विदेशी इकाइयों में गया।
2.) विनोद इस रकम को अडाणी स्टॉक्स में लगाते थे, जिससे प्राइस बढ़े। विनोद के कंट्रोल वाली एक कंपनी ने टैक्स हेवेन बरमूडा में ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्चुनिटीज फंड में निवेश किया था। उस फंड ने दूसरे टैक्स हेवेन मॉरीशस में रजिस्टर्ड IPE प्लस फंड 1 में निवेश किया। IPE प्लस फंड । ने इंडियन मार्केट में निवेश किया।
3.) आईपीई प्लस फंड को अडाणी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर अनिल आहूजा ने वेल्थ मैनेजमेंट फंड इडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए शुरू किया था, जिसे अब 360 वन के नाम से जाना जाता है। ब्रिटेन में एक मुकदमे के मुताबिक, IIFL पर जर्मनी के अब तक के सबसे बड़े फ्रॉड केस Wirecard स्कैंडल में मॉरीशस के एक फंड स्ट्रक्चर के जरिए शामिल होने के आरोप है।
4.) सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच के बरमूडा और मॉरीशस के उन्हीं देोनों फंड्स में गोपनीय हिस्सेदारी थी, जिनका इस्तेमाल विनोद अडाणी करते रहे। ऐसा लगता है कि इन दोनों ने 5 जून 2015 को सिगापुर में IPE प्लस फंड में पहला निवेश किया था। IIFL के प्रिंसिपल के हस्ताक्षर वाले डिक्लेयरेशन के मुताबिक, वह निवेश सैलरी के पैसे से किया गया था और उस समय बुच दंपती की नेटवर्थ एक करोड़ डॉलर होने का अनुमान था।
5.) आईपीई प्लस फंड को शुरू करने वाले अनिल आहुजा 2017 तक कुल 9 साल अडाणी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर रहे। उसके पहले वह अडाणी पावर के डायरेक्टर थे।
6.) अप्रैल 2017 में माधबी के SEBI की होलटाइम मेबर बनने से पहले 22 मार्च 2017 को पति धवल ने ग्लोबल डायनेमिक ऑपच्युनिटीज फंड में अपने और अपनी पत्नी के निवेश के संबंध में मॉरीशस फड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट को पत्र लिखा। उन्होंने अनुरोध किया था कि एकाउंट्स ऑपरेट करने का एकल अधिकार उन्हें दे दिया जाए। यह संवेदनशील नियुक्ति से पहले पत्नी के नाम वाली एस्टेट्स को ट्रांसफर करने का कदम था।
7.) सेबी का होलटाइम मेंबर रहने के दौरान 25 फरवरी 2018 को माधबी ने अपने प्राइवेट जीमेल अकाउंट से इंडिया इंफोलाइन को मेल भेजा। अले पति के नाम के जरिए बिजनेस करते हुए फंड की यूनिट्स भुनाने के लिए यह मेल लिखा गया था। तब बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 872762 डॉलर थी।
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सेबी चीफ ने क्या प्रतिक्रिया दी
पूरे मामले पर माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 11 अगस्त को देर रात 1:40 मिनट पर एक बयान जारी किया। उन्होंने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 को हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम ये बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। वो किसी भी सच्चाई से रहित हैं. हमारा जीवन और हमारा पैसा एक खुली किताब है। जरूरत के हिसाब से सभी खुलासे पहले सेबी के सामने कर दिए हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है। पूर्ण पारदर्शिता के हित में हम उचित समय पर एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।
हिंडनबर्ग मामले में राहुल गांधी ने उठाए सवाल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि सेबी की अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ गंभीर समझौता हुआ है और उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर फिर स्वत: संज्ञान लेगा। गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले प्रतिभूति नियामक सेबी की शुचिता, इसकी अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश भर के ईमानदार निवेशकों के मन में सरकार के लिए कई सवाल हैं : सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडाणी?
पूरे मामले पर अडानी ग्रुप का क्या कहना है
हिंडनबर्ग के आरोपों को अडाणी ग्रुप ने साफ नकार दिया है। ग्रुप ने कहा है कि हमारी छवि धूमिल करने के इस सोचे-समझे प्रयास में जिन लोगों या मामलों का जिक्र किया गया है, उनसे अडाणी ग्रुप का कोई व्यावसायिक रिश्ता नहीं है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी को तथ्यों और कानून की बेकद्री करते हुए तोड़-मरोड़कर चुना गया है ताकि पहले से तय नतीजों पर पहुंच जा सके और निजी लाभ हासिल किया जा सके। हम इन आरोपों का पूरी तरह खंडन करते है। जो आधारहीन दावे फिर किए गए है, उनकी पूरी जांच हुई है और आधारहीन पाया गया है। मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट इन्हें पहले ही खारिज कर चुका है। हमारा विदेशी होल्डिंग स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है और सभी संबंधित डिटेल्स का नियमित तौर पर खुलासा किया जाता है। अनिल आहूजा अडाणी पावर में 3i इनवेस्टमेंट के नॉमिनी डायरेक्टर (2007- 08) थे और बाद में 2017 तक 2017 तक अडाणी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर थे।
हिंडनबर्ग 16 कंपनियों को कर चुकी है टारगेट
आपको ये भी याद दिला दे कि बीते साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ एक रिसर्च पेपर जारी किया था। जिसके बाद अडानी समूह को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। हिंडनबर्ग रिसर्च पेपर में अडानी समूह के अपने स्टॉक के प्राइसों में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। 32 हजार शब्दों की रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये समूह देशों से शेयरों की हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। हालांकि अडानी समूह ने इन रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था। बता दें कि 017 में नाथन एंडरसन के हाथों शुरू हुई हिंडनबर्ग रिसर्च एक फाइनैंशल रिसर्च फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स की एनालिसिस की उस्ताद मानी जाती है। यह शॉर्ट सेलिंग फर्म कंपनियों में गड़बड़ियों का पता गाने की फिराक में रहती है। यह ऐसी कपनियों के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग का दांव लगाती है। शॉर्ट सेलिग से प्रॉफिट कमाने ले लोग दरअसल ऐसे शेयर बेचते है, जो असल में उनके नहीं होते। ये शेयर उधार पर लिए गए होते हैं। ये मदड़िए जब डे मार्केट प्राइस पर बेच देते हैं, तो वे इन शेयरों में 'शॉर्ट' हो जाते है। बड़े पैमाने पर होने वाली शॉर्ट सेलिंग से इतना दबाव ने लगता है कि घबराहट में दूसरे निवेशक भी बिकवाली शुरू कर देते हैं। हिंडनबर्ग कम से कम 16 कंपनियों को टारगेट कर चुकी है।
शेयर बाजार भांप गए हकीकत?
शेयर बाजार में सेंसेक्स 200 अंक या 0.24 प्रतिशत बढ़कर 79,900.98 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 48.40 अंक या 0.20 प्रतिशत बढ़कर 24,415.90 पर पहुंच गया। करीब 1715 शेयरों में तेजी, 1737 शेयरों में गिरावट और 106 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। शुरुआती कारोबार में अडानी समूह के सभी दस शेयरों में गिरावट आई, जिसमें बीएसई पर अडानी एनर्जी में 17 प्रतिशत, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस में 17 प्रतिशत, अडानी टोटल गैस में 13.39 प्रतिशत और अडानी पावर में 10.94 प्रतिशत की गिरावट आई। अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर शुरुआती कारोबार में 5 फीसदी से ज्यादा टूटने के बाद सुबह 11.15 बजे पर महज 1.25 फीसदी फिसलकर 3,147.55 रुपये पर ट्रेड कर रहा था। मार्केट एक्सपर्ट्स पहले से ही ये उम्मीद जता रहे थे कि हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट का शेयर बाजार लंबा असर नहीं दिखेगा। इसके पीछे की वजह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि सेबी पर आई हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट महज भ्रम फैलाने की कोशिश करती है कि किसी ऑफशोर फंड का मतलब ही है कि कोई आपराधिक गतिविधि हुई है। उन्होंने कहा कि बिना सबूत के कथित लाभार्थी अडानी ग्रुप पर अपने ही पहले के दावों को बेढंगे तरीके से दोहराया गया है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है।
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