ऋषि सुनक: एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर या ब्रिटेन के संकटमोचक? 73 साल पहले चर्चिल की कही बात रिवर्स कॉलोनाइजेशन के जरिये उन्हें दे रही जवाब
26 अक्टूबर 1951 की। यानी की भारतवंशी ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के ठीक एक दिन पहले। पूरा ‘ग्रेट-ब्रिटेन’ अब उनकी तरफ़ उम्मीद से हाथ बांधे हुए खड़ा है कि वे मुल्क को मौज़ूदा झंझावात से निकालेंगे।
सर विंस्टन लियोनार्द स्पेंसर चर्चिल जिन्होंने एक नहीं बल्कि दो-दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। दूसरी बार जब उन्होंने ये जिम्मेदारी संभाली तो वो तारीख थी 26 अक्टूबर 1951 की। यानी की भारतवंशी ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के ठीक एक दिन पहले। पूरा ‘ग्रेट-ब्रिटेन’ अब उनकी तरफ़ उम्मीद से हाथ बांधे हुए खड़ा है कि वे मुल्क को मौज़ूदा झंझावात से निकालेंगे। ख़राब माली हालात दुरुस्त करेंगे। लेकिन साल 1947 में भारत की आजादी के समय विंसटर्न चर्चिल ने कहा था कि सभी भारतीय नेताओं की बौद्धिक क्षमता निम्न दर्जे की होगी और उनमें कोई ईमानदारी नहीं होगी। आज, हमारी आजादी के 75वें साल में हम एक भारतीय मूल के व्यक्ति को यूके का प्रधानमंत्री बनते देख रहे हैं।
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ऋषि सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बने हैं। लेकिन जैसे ही वो 10 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आधिकारिक आवास पर पहुंचे। सभी की नजरें उन पर टिकी रह गई। ऋषि सुनक ने अपने हाथ में कलावा बांध रखा था। यही कलावा बांधकर वो किंग चार्ल्स से मिलने भी गए थे। यही कलावा पहनकर वो प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार अपने सरकारी घर में दाखिल हुए। ब्रिटेन का सबसे बड़ा अखबार गार्जियन एक हिंदू प्रधानमंत्री के स्वागत की हेडलाइन लिख रहा था- Fistt hindu at no 10. यानी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास टेन डाउनिंग स्ट्रीट में पहला हिंदू रहने जा रहा है। हाथ में कलावा वाली ऋषि सुनक की तस्वीरें देखकर आप समझ सकते हैं कि सनातन में उनकी गहरी आस्था है। ऋषि सुनक कहते भी हैं कि वो हिन्दू हैं और हिन्दू होना उनकी पहचान है और इस पर उन्हें गर्व है।
क्यों है अहम
ऋषि सनक एक साल के अंदर तीसरे ब्रिटिस प्रधानमंत्री हैं। इसी से पता लगता है कि एक साल के भीतर ब्रिटेन में कितना कुछ घटा है कि एक भी पीएम अब तक टिका नहीं रह सका। पहले कोरोना से हुए, लाकडाउन में देश की अवस्था को कमजोर कि फिर युद्ध इतने विग्रह दिए कि महंगाई चरम पर पहुंच गई। ऐसे में जनता राहत के लिए सुनक की ओर देख रही है। हालांके पीएम हाउस 10 डाउनिंग भारतवंशी इसलिए गदगद है कि उनका परिवार भारत से आता विकगत आर्थिक चुनौतियां और पहले हिंदू प्रधानमंत्री हैं।
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केन्या से ब्रिटेन
गूगल पर लाखों लोग ऋषि सुनक का प्रोफाइल सर्च कर रहे हैं। क्या ऋषि सुनक गुजरात से हैं? ऋषि सुनक कहां के मूल निवासी हैं, ऋषि सुनक के माता पिता कौन हैं? ऐसे तमाम कीवर्ड्स से लोग ऋषि सुनक के बार में जानकारी चाहते हैं। हिन्दुस्तान से ऋषि सुनक के एक नहीं बल्कि दो-दो खास रिश्ते हैं। वो खुद भारतीय मूल के हैं और उनकी पत्नी भी भारतीय हैं। ऋषि के दादा तभी भारत छोड़कर चले गए थे जब भारत और पाकिस्तान अलग नहीं हुए थे। ऋषि सुनक के दादा रामदास सुनक पंजाब के गुजरावाला शहर के रहने वाले थे। 1930 के दशक में वो पूर्वी अफ्रीका के कीनिया में जाकर बस गए। ऋषि की मां एक ऐसे परिवार से थीं जो पंजाब से तंजानिया जाकर बसा था। ऋषि के पिता यशवीर सुनक का जन्म कीनिया में ही हुआ। 1966 के दशक में ऋषि के दादा अपने परिवार के साथ ब्रिटेन आकर बस गए। ऋषि के पिता डॉक्टर और मां फॉर्मसिस्ट थीं। ऋषि सुनक का जन्म 1980 में साउथैम्प्टन में हुआ। ऋषि ब्रिटेन में ही पले-बढ़े और वहीं पर पढ़ाई की। कुछ दिन पहले ही जब वो उस जगह पर गए थे जहां पर उनके मम्मी पापा गए थे। तो वहां जाकर उन्हें सभी से मुलाकात की थी। ब्रिटेन के पीएम पद तक पहुंचने वाले ऋषि सुनक वेशक ब्रिटेन के महंगे वोर्डिंग स्कूलों में पढ़े, मगर उनके परिवार ने ब्रिटेन में वसने के लिए बहुत संघर्ष किया। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक रामदास की पत्नी सुहाग रानी सुनक ने 1966 में ब्रिटेन आने का फैसला किया और टिकट खरीदने के लिए अपने गहने बेच डाले।
सांसद से ब्रिटिश पीएम
सुनक का राजनीतिक करियर महज 7 साल का है मगर इतने कम समय में वह सांसद से पीएम पद पर पहुंच गए हैं। इसकी वजह है परेशानियों को पहले से भांप लेने का उनका हुनर। लिज जब पीएम थी तो तभी सुनक ने अंदाजा लगा लिया था कि पैसा उधार लेकर जनता को महंगाई के संकट से नहीं उबारा जा सकता। इससे हालात और बिगड़ेंगे ही। हुआ भी यही तिज ट्रस को इसी कारण जाना पड़ा। उन्होंने टैक्स कट का ऐलान तो कर दिया मगर उससे खजाने पर पड़े दब की भरपाई कैसे होगी, यह प्लान नहीं था। पीएम पद के लिए सुनक भले ही सितंबर में लिज ट्रस से रेस हार गए लेकिन लुभावने टैक्स कट के वादे के जबाव में अपनी तरफ से कोई ऐसा वादा नहीं किया। बल्कि यहां तक कहा कि हार जाऊंगा लेकिन झूठे वादे नहीं करूंगा।
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अमेरिका से लेकर पूर्तगाल तक भारतवंशियों का डंका
कमला हैरिस वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका की उप राष्ट्रपति हैं। अमेरिका के इतिहास में पहली बार डेमोक्रेटिक पार्टी की कोई महिला नेता उप राष्ट्रपति बनीं हैं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ का जन्म ला कैवर्ने में एक भारतीय परिवार में हुआ। उनका रिश्ता बिहार राज्य है। एंटोनियो कोस्टा पुर्तगाल के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। उनके दादा लुई अफोन्सो मारिया डी कोस्टा गोवा के निवासी थे। सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब के पूर्वजों का इतिहास भी भारत से जुड़ा हुआ है। लेटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी के तार भी भारत से जुड़े हुए हैं। कैरिबियाई देश गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली का रिश्ता भी भारत से रहा है। हिंद महासागर में स्थित 115 द्वीपों वाले देश सेशेल के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी मूल रूप से भारतीय हैं।
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