Mewat & Meo Muslims History: सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद के बीच पत्राचार, पाकिस्तान भेजने के लिए ट्रक भी तैयार, फिर गांधी बोले- जानें नहीं देंगे तुम्हें...
मेवाती मुसलमानों को लेकर राजेंद्र प्रसाद को क्यों लगा था डर? गांधी जी ने को मेव मुसलमानों को सुधारने में मदद की बात क्यों कहनी पड़ी। पूरे मामले को समझने के लिए हमने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाला और रिपोर्ट्स को पड़ने के बाद आपके लिए ये रिपोर्ट तैयार की है।
हरियाणा के विश्व हिंदू परिषद की ब्रज मंडल यात्रा के दौरान भड़की हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हैं। कुछ मौतों की भी खबरें हैं जिसमें दो होम गार्ड के जवान शामिल हैं। हिंसा की आग गुरुग्राम के शोभना और फरिदाबाद समेत कई इलाकों में पहुंच गई है। शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए, नूंह, फरीदाबाद और पलवल जिलों के अधिकार क्षेत्र में और गुरुग्राम जिले के सोहना, पटौदी और मानेसर उप-मंडलों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं 5 अगस्त तक बंद कर दिया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मीटिंग दर मीटिंग कर रहे हैं। पुलिस अभी तक करीब दर्जनभर एफआईआर दर्ज कर चुकी है और 200 लोगों को आरोपी बनाया गया है। लेकिन ये बवाल भड़का क्यों? इन दंगों में पुलिस के एफआईआर में जिन आरोपियों में मेव मुसलमानों का जिक्र है उसे सरदार पटेल क्या पाकिस्तान भेजना चाहते हैं। मेवाती मुसलमानों को लेकर राजेंद्र प्रसाद को क्यों लगा था डर? गांधी जी को मेव मुसलमानों को सुधारने में मदद की बात क्यों कहनी पड़ी। पूरे मामले को समझने के लिए हमने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाला और रिपोर्ट्स को पड़ने के बाद आपके लिए ये रिपोर्ट तैयार की है।
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नूंह हिंसा है सुनियोजित षड़यंत्र?
हरियाणा के नूह जिले में ब्रजमंडल 84 कोस शोभायात्रा विगत तीन साल से निकाली जा रही है। इस बार यात्रा नूह से शुरू होकर फिरोजपुर झिरका होते हुए पुन्हाना के सिंगार गांव स्थित मंदिर तक जानी थी। 31 जुलाई, दोपहर करीब डेढ़ बजे नूह के नल्हड़ शिव मंदिर से फिरोजपुर झिरका की तरफ रवाना हुई यात्रा जैसे ही शहीदी पार्क के पास पहुंची, वहां मुस्लिम दंगाइयों ने हमला बोल दिया। शोभायात्रा के दौरान सुनियोजित तरीके से किये गए पथराव और फायरिंग में दो होमगार्ड के जवानों समेत कुल पांच लोगों (होमगार्ड नीरज और गुरसेवक, बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक और प्रदीप व मिठाई विक्रेता शक्ति सैनी) की मृत्यु हो गई। हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हो गए हैं, जिनमें डीसीपी समेत 10 पुलिसकर्मी घायल भी शामिल हैं। 31 जुलाई 2023 को दोपहर से शाम तक तक हुई हिंसा में दंगाइयों ने करीब 300 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया। यह पूरा घटनाक्रम एक सिलसिलेवार रूम में हुआ, जो यह दर्शाता है कि इसकी तैयारी बहुत पहले से ही की जा चुकी थी। भादस गांव के शक्ति सिंह हर रोज की तरह नगीना में हलवाई की दुकान पर काम करके अपने घर जाने के लिए शाम को निकला तो उसने उम्मीद भी नहीं की होगी कि वह अपने घर सुरक्षित नहीं पहुंच पाएगा। ना तो वह किसी धार्मिक शोभायात्रा का हिस्सा था ना ही किसी संगठन से जुड़ा हुआ व्यक्ति। वह सिर्फ एक आम आदमी की तरह हलवाई की दुकान पर काम करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। लेकिन मुसलमानों ने उसे घर वापस जाने से पहले ही रास्ते में दबोच लिया और पीट-पीटकर जान से मार डाला। इतना ही नहीं उसके शव को सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। जहां से पुलिस को देर रात उसका शव प्राप्त हुआ और पुलिस उसे लेकर मांडीखेड़ा सिविल अस्पताल लेकर पहुंची। जिसका मंगलवार को पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया गया। जैसे ही शक्ति सिंह का शव गांव भादस में उसके घर पहुंचा तो परिजन रो रोकर एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर उसका क्या दोष था।
मोनू मानेसर का क्या मामला है
विश्व हिंदू परिषद पिछले कुछ सालों से मेवात में ब्रज मंडल यात्रा निकालती है। जिसमें 20 हजार लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही थी। इसी यात्रा में शामिल होने का ऐलान मोनू मानेसर ने किया था। खुद को गौ रक्षक बताने वाला मोनू मानेसर राजस्थान के भरतपुर के नासेर और जुनैद हत्याकांड में आरोपी है। राजस्तान पुलिस के मुताबिक फरार है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि अगर मोनू इस यात्रा में शामिल होगा तो वे विरोध करेंगे। हालांकि मोनू इस यात्रा में शामिल नहीं हुआ। यात्रा एक किलोमीटर ही आगे बढ़ी थी कि नूंह के खेरला गांव में भीड़ ने पथराव और आगजनी शुरू कर दी। इसके बाद क्या हुआ यो ब्यौरा आप लगातार अपने टेलीविजन चैनल, अखबार और हमारी वेबसाइट पर इससे जुड़ी खबरों के माध्यम से जान ही रहे हैं। लेकिन इस घटना पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव के बयान की चर्चा हो रही है। सांसद ने नूंह यानी मेवात को मिनी पाकिस्तान तक बता दिया।
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मेवात को क्या कहा गया मिनी पाकिस्तान?
हरियाणा के एकलौता मुस्लिम बहुल इलाके नूंह जिसे मेवात के नाम से भी जाना जाता रहा है। इसका इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। जिसे जानना मेवात में रह रहकर भड़क रहे संघर्ष को समझने के लिए जरूरी है। मेवात राज्य की सीमा में नहीं बंधा है। हरियाणा का नूंह भी पहले मेवात ही कहलाता था। नूंह हरियाणा का एकमात्रा मुस्लिम बहुल जिला है। जहां 80 फीसदी मुस्लिम रहते हैं। मेव या मेवोस एक मुस्लिम समुदाय है जो मेवात और उसके आसपास पाया जाता है। जिसमें हरियाणा का नूंह जिला, राजस्थान के अलवर और भरतपुर जैसे इलाके शामिल हैं। मेव मुस्लिमों के बारे में कहा जाता है कि ये हिंदू राजपूतों के इस्लाम अपनाने के बाद बनी कौम है। मेव इस्लाम को तो मानते हैं लेकिन हिंदुओं में चलने वाली गोत्र व्यवस्था को गहराई से मानते हैं। शादी विवाह भी गोत्र के हिसाब से करते हैं। जाटों की खाप व्यवस्था की तरह मेव मुस्लिमों में पाल नाम का संगठन है। मेवात में कुछ मुस्लिम देशों खासकर सऊदी अरब से पेट्रो डॉलर की घुसपैठ के कारण मदरसों और मस्जिदों की बाढ़ आ गई। तबलीग जमात का मेवात में जबरदस्त प्रभाव है। मेवात में महिलाओं की साक्षरता दर महज 36 फीसदी है। तबलीग जमात महिलाओं की शिक्षा को जरूरी नहीं मानता है।
नूंह में हिंसा के बाद दर्ज एफआईआर में मेव मुस्लिमों का जिक्र है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि इस इलाके में हिंसा को लेकर मेव मुसलमानों का नाम आया है। 1947 में आजादी के दौर में मेव मुसलमानों को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की अलग-अलग राय है। सरदार पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बीच ऐसे खत लिखे गए जिन्हें पड़कर आप हैरान रह जाएंगे। मेव मुसलमानों को रोकने के लिए महात्मा गांधी खुद चलकर मेवात के गांव तक पहुंच गए। तब महात्मा गांधी ने कहा था कि मेव मुसलमानों को हिंदुस्तान में बसाओ और उन्हें सुधारने में मदद करो। महात्मा गांधी को सुधारने में मदद की बात क्यों कहनी पड़ी, इसे समझने के लिए आपको पहले डॉ. राजेंद्र बाबू और सरदार पटेल के बीच हुए पत्राचार को पढ़ना होगा।
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दिल्ली को लेकर डॉ. प्रसाद की चिंता
सन 1947 में देश में संप्रदायिक दंगे हो रहे थे। सरदार पटेल कानून व्यवस्था को संभालने के लिए दिन रात काम कर रहे थे। दरअसल हुआ यूं था कि कुछ मेवाती मुसलमान दिल्ली में आ गये थे... इसी बात से चिंतित होकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद (जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने) ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र में लिखा कि-
कल रात मेवों की एक बड़ी भीड़, लगभग 500, करोलबाग में निकली और सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सैन्य दल आ गया और वे तितर-बितर हो गये। हालाँकि, स्थिति बेहद विस्फोटक है और उस क्षेत्र के गैर-मुस्लिम, जो अल्पसंख्यक हैं, किसी हमले से बहुत आशंकित हैं। मुझे आज के समाचार पत्रों में एक रिपोर्ट मिली कि मेवों को पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान का पंजाब) में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। इसे जितनी जल्दी किया जाए, उतना अच्छा है, लेकिन जब तक यह प्रक्रिया चलती रहेगी, और इसमें समय लगने की संभावना है, यह बेहतर होगा यदि उन सभी को जामा मस्जिद के पास या हिंदू बस्तियों (इलाकों) से अलग कहीं और शिविरों में केंद्रित किया जाए और रखा जाए। अगर एक बार शहर में परेशानी शुरू हो गयी तो उसे रोकना मुश्किल हो जायेगा। मैं जानता हूं कि स्थानीय अधिकारी बहुत सतर्क हैं, फिर भी मैंने इस तथ्य पर आपका ध्यान आकर्षित करना जरूरी समझा। (स्रोत - सलेक्टेड कॉरपॉडेंट ऑफ सरदार पटेल 1945-50, वॉल्यूम-4, पेज नं - 337)
पटेल ने दिया जवाब
तो इस तरह से डॉ. राजेंद्र बाबू ने मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने और दिल्ली से दूर रखने की सलाह दी... इस पत्र के जवाब में सरदार पटेल ने लिखा -
मुझे मेव शरणार्थियों के तीन कैंपों से शहर की कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य और सफाई के प्रति गंभीर खतरे का अहसास हुआ है। हम कोशिश कर रहे हैं कि सेना के ट्रकों द्वारा इन मेव लोगों को पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान का पंजाब) भेज दिया जाए। जामा मस्जिद मेव शरणार्थियों से भरी पड़ी है और वहां की स्थिति असंतोषजनक है। ऐसी गंदी स्थितियों के कारण शहर में वास्तव में लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है और यहां और लोगों (मेव मुसलमानों) को लाने का अर्थ खतरे को बढ़ाना ही है। (स्रोत - सलेक्टेड कॉरपॉडेंट ऑफ सरदार पटेल 1945-50, वॉल्यूम-4, पेज नं - 338)
गांधी कहते थे देश की रीढ़
लेकिन ये बात महात्मा गांधी को पसंद नहीं आई। इसलिए महात्मा गांधी मेव मुसलमानों को रोकने के लिए हरियाणा के मेवात के गांव में पहुंच गए। 19 दिसंबर 1947 को गांधी जी मेवात के झरसा गांव में एक सभा करने गए। जहां उन्होंने मेव मुसलमानों से भारत में ही रूकने का आग्रह किया। उन्होंने मेवों को देश की रीढ़ की हड्डी बताया और पाकिस्तान नहीं जाने की सलाह दी। इसके बाद करीब 50 फीसदी मेव पाकिस्तान नहीं गए। झरसा गांव में गांधी जी ने कहा था कि मुझसे ये कहा गया है कि मेव करीब करीब जरायम पेशा यानी अपराध करके आजीविका चलाने वाली जाति की तरह हैं। अगर ये बात सही है को आप लोगों को अपने आपको सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। मुझे उम्मीद है आप मेरी इस सलाह पर नाराज नहीं होंगे। केंद्र से मैं कहूंगा की मेवों पर अपराधी प्रवृत्ति के आरोप सही भी हैं तो इसके आधार पर उन्हें निकालकर पाकिस्तान नहीं भेजा जा सकता। मेवा यहां प्रज्ञा है इसलिए सरकार का ये कर्तव्य है कि वो मेवों को बसाने के लिए शिक्षा और सुविधाएं देकर बस्तियां बनाकर खुद को सुधारने में मदद करे। गांधी जी के आग्रह और सरकार पर बने दवाब की वजह से मेव मुसलमान पाकिस्तान नहीं गए।
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