News से ज्यादा मोदी विरोध का Views परोसने वाले पोर्टल को चीन से हुई फंडिंग? सरकार को बदनाम करने के लिए तय प्राइस टैग की पूरी स्टोरी

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अभिनय आकाश । Jul 19 2021 5:34PM

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच की तो कुछ चौंकाने वाले सच सामने आए हैं। इससे ये पता चला कि कैसे एक न्यूज पोर्टल को विदेशी फंडिंग हुई और कैसे उस पोर्टल के जरिये राजनीतिक दल और खुद को एक्टिविस्ट कहने वाले अर्बन नक्सलियों को पैसे पहुंचाए गए।

भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिशों की बात नई नहीं है और न ही चीन का भारत विरोधी प्रोपोगेंडा कोई नई बात है। लेकिन अब भारत विरोधी अभियान के एक अंतरराष्ट्रीय टूल किट गैंग का खुलासा हुआ है। एक वेब पोर्टल की आड़ में मोदी विरोधियों ने चीन से हाथ मिला लिया। चाइनिज टूलकिट को एक्टिवेट करने के लिए अमेरिका और ब्राजील के रास्ते पैसे मंगवाएं गए। जिसे हिंसा भड़काने और अराजकता फैलाने में लगाया गया। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच की तो कुछ चौंकाने वाले सच सामने आए हैं। इससे ये पता चला कि कैसे एक न्यूज पोर्टल को विदेशी फंडिंग हुई और कैसे उस पोर्टल के जरिये राजनीतिक दल और खुद को एक्टिविस्ट कहने वाले अर्बन नक्सलियों को पैसे पहुंचाए गए। भारत के खिलाफ चीन के इस चंदे पर बीजेपी ने हमला किया। 

बीजेपी के क्या हैं आरोप

भारतीय जनता पार्टी ने एक न्यूज पोर्टल को कथित संदिग्ध विदेशी धन प्राप्त होने की खबरों पर दावा किया कि ‘‘भारत विरोधी’’ तत्व विदेशी ताकतों के साथ गठजोड़ से देश की प्रतिष्ठा कम करने और मोदी सरकार को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में ‘न्यूजक्लिक’ पोर्टल की प्रवर्तन निदेशालय की जांच के बारे में मीडिया में आई खबरों का जिक्र किया और कहा कि उसे 9.59 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तथा संदिग्ध उद्देश्यों के लिए 28.46 करोड़ रुपये और प्राप्त हुए। बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए खुलासा किया कि न्यूज पोर्ट न्यूज क्लिक सरकार को बदनाम करने के लिए विदेशों से फंडिंग ले रही है और पूरा पैसा हवाला के जरिये आ रहा है।  बीजेपी का कहना है कि न्यूज क्लिक को विदेशों से करोड़ों रुपये मिले हैं। हवाला के जरिये बकायदा देश और सरकार को बदनाम करने के लिए न्यूज क्लिक में निवेश किया गया। न्यूज क्लिक को विदेशों से करीब तीस करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार को बदनाम करने के लिए एक प्राइस टैंग भी तय किया गया था और हवाला के जरिये ये पूरा लेन-देन हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह धन भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा सहित विभिन्न लोगों को पहुंचाया गया। उन्होंने दावा किया कि यह भारत विरोधी भावना भड़काने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपशब्द कहने और विदेशी ताकतों के लिए दुष्प्रचार करने की कीमत थी। उन्होंने दावा किया, ‘‘भारत विरोधी ताकतें विदेशी ताकतों के साथ मिल कर यह कर रही हैं।’’ पात्रा ने आरोप लगाया कि पोर्टल ने भारत की प्रतिष्ठा कम करने के लिए एक मीडिया हाउस का चोला ओढ़ा। ’’ भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारत के मुख्य धारा के कुछ नेता और विदेशी ताकतें तथा इस तरह के कुछ पोर्टल सुनियोजित तरीके से एक गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं। पात्रा ने दावा किया कि जब कभी देश में कोई अच्छी चीज होती है, चाहे वह कोविड टीकाकरण नीति हो या सेंट्रल विस्टा परियोजना हो, कुछ लोग इसे निशाना बनाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घटनाएं भारत की प्रतिष्ठा कम करने के लिए इस तरह के अभियानों के पीछे विदेशों से धन प्राप्त होने और विदेशी साचिश की भूमिका को उजागर करते हैं। पात्रा ने कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना को अदालतों से सहमति मिल गई है लेकिन कुछ लोग भारत की प्रतिष्ठा कम करने में अब तक लगे हुए हैं।

खुलासा

  •  अमेरिका के एक डिफेंस सप्लायर के साथ कंपनी बनाई।
  • प्रबीर पुरकायस्था-नेविल रॉय सिंघम के बीच कई ई-मेल।
  • चीन के हितों के लिए दोनों के बीच ई-मेल

मोदी विरोध की साजिश के अहम किरदार

नेविल रॉय सिंघम- श्रीलंका और क्यूबा मूल के कारोबारी हैं जो अमेरिका में रहते हैं। 

प्रबीर पुरकायस्था- बुद्धिजीवि कहलाते हैं और न्यूज क्लिक नाम की वेबसाईट के एडिटर हैं।

गौतम नवलखा- इन्हें भी कुछ लोग बुद्धिजीवि बताते हैं। पुणे की यलगार परिषद केस में जेल में हैं।

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हिन्दुस्तान के खिलाफ विदेशी ताकतों का अंतरराष्ट्रीय टूलकिट तैयार करने वाले ये तीन चेहरे सामने आए हैं और असल में इस खेल में कितने मोहरे हैं इसकी जांच चल रही है। अब तक जो जानकारी सामने आई है उसमें तीन देशों चीन, अमेरिका और ब्राजील के नाम सामने आए हैं। TOI की खबर के अनुसार, आरोप है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े एक हैंडलर ने अमेरिका में रहने वाले नेविल रॉय सिंघम की कंपनियों के जरिये भारत में न्यूज क्लिक वेबसाइट पोर्टल में पैसा लगाया। कुछ पैसा ब्राजील की डेवीडास में भी रूट किया गया। इस पैसे के बदले में न्यूज क्लिक वेब पोर्टल के देश विरोधी एजेंडा फैलाया। न्यूज क्लिक को कुल मिलाकर 38 करोड़ मिले। जिसका इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में किया गया। एफडीआई के जरिये 9 करोड़ 59 लाख रुपये, विदेशी संस्थाओं से 28 करोड़ 46 लाख रुपये यानी न्यूज क्लिक को कुल 38 करोड़ 5 लाख रुपये मिले। इस पूरे लेन-देन में एफडीआई कानून और फॉरेन एक्सचेंड मैनेजमेंट यानी फेमा का उल्लंघन किया गया। 

न्यूज क्लिक पर आरोप

  •  मीडिया संस्थान में 26 प्रतिशत एफडीआई के नियम का उल्लंघन
  •  हवाला के जरिये विदेशी पैसे का लेन-देन
  •  कागज पर एक्सोपोर्ट एंड सर्विसेज का झूठा दावा किया

देशविरोधी टूल किट का एजेंडा 

भारत को नीचा दिखाना

सरकार को फेल दिखाना

अराजकता और भ्रम फैलाना

सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काना

विदेशी ताकतों का एजेंडा फैलाना

गैर कानूनी तरीके से विदेशी पैसा लाना

देश विरोधियों की फंडिंग करना 

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न्यूज क्लिक 2018 में बनी तब से ही वो घाटे वाली कंपनी रही। लेकिन अमेरिका में बैठकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का पैसा न्यूज क्लिक पोर्टल को भेजने वाले नोविल रॉय सिंघम ने 10 रुपये के शेयर 11,500 रुपये के भाव से खरीदे। ईडी की जांच में ये भी पाया गया कि जिन चार अमेरिकी कंपनियों के जरिये 28 करोड़ 46 लाख रुपये भारत भेजे गए उन चारों का पता एक ही था। 

न्यूज क्लिक को पैसा कहां से मिला?

जस्टिस एंड एजुकेशन फंड, अमेरिका ने 27 करोड़ 51 लाख रुपये दिये। 

जीएसपैन-एलएलसी, अमेरिका 26 लाख 98 हजार रुपये भेजे।

दि ट्राइकांटिनेंटल लिमिटेड, अमेरिका के खाते से 49 लाख 31 हजार रुपये आए।

सेंट्रो पॉपुलर डेमिडास, ब्राजील ने 2 लाख 3 हजार रुपये दिये। 

जस्टिस एंड एजुकेशन फंड और जीएसपैन-एलएलसी दोनों ही नेविल रॉय सिंघम से कनेक्टेड बताए जा रहे हैं। ईडी सूत्रों के मुताबिक अमेरिका और ब्राजील से जो पैसा आया वो न्यूज क्लिक वेबसाइट के मेंटेनेंस के नाम पर आया। कागज पर एक्सपोर्ट ऑफ सर्विसेज दिखाया गया जो कभी हुआ ही नहीं। इससे साफ जाहिर होता है कि लेन-देन का मकसद केवल पैसे का ट्रांसफर था। जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी भारत में सक्रिय मोदी विरोधियों को भेज रही थी और जिसके लिए न्यूज क्लिक को जरिया बनाया गया। इसी साल फरवरी में ईडी ने न्यूज क्लिक के शेयर धारकों के यहां छापा मारा तो पता चला कि चाइनिज कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में रेगुलर ई-मेल एक्सचेंज हो रहे थे। ईडी के सूत्रों ने कहा कि इस साल फरवरी में पीपीके न्यूज़क्लिक के शेयरधारकों के परिसरों में एजेंसी की तलाशी में पता लगा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के संबंध में ईमेल का नियमित आदान-प्रदान किया था। 

विदेशी पैसा किसे मिला?

ईडी सूत्रों के अनुसार न्यूज क्लिक को जो विदेशी पैसा आया उसमें 20 लाख 53 हजार रुपये भीमा कोरेगांव केस के आरोपी गौतम नवलखा को दिये गए। सीपीआईएम आईटी सेल के मेंबर बप्पादित्य सिन्हा को 52 लाख 9 हजार रुपये मिले। जोसम राज नाम के एक इलेक्ट्रिशियन को डेढ़ करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए। ईडी को शक है कि असल में ये पैसे किसी और को मिले। 

मीडिया संस्थान ने आरोपों से किया इनकार

मीडिया संस्थान ने इन आरोपों से कई बार इनकार किया था। टीओआई की तरफ से संपर्क किए जाने पर, पुरकायस्थ ने सिंघम के सीपीसी का हिस्सा होने और चीनी शासन के साथ उनके मीडिया आउटलेट के संबंधों के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सिंघम एक अमेरिकी नागरिक हैं, जिन्होंने अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी लॉन्च की और उसे चलाया। बाद में उस कंपनी को लगभग 700-800 मिलियन डॉलर में बेच दिया। पोर्टल के संस्थापक ने कहा कि अगर ईडी के पास उनके खिलाफ कोई भी सबूत है कि उन्हें कोर्ट के सामने चार्जशीट में पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वो सुनवाई का सामना करने और कानूनी रूप से आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। हाल ही में उन्होंने अदालत से निवेदन किया था कि ईडी उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे। अदालत ने उन्हें फ़िलहाल राहत प्रदान किया हुआ है। उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया कि सिंघम चीन से काम कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कोरोना संक्रमण के कारण उन्होंने चीन को सुरक्षित समझ कर वहाँ अपना ठिकाना बना लिया हो। 

नवलखा से जेल में हुई पूछताछ

गौतम नवलखा मुंबई की तलोजा जेल में बंद है। भीमा कोरेगांव औऱ एल्गार परिषद हिंसा केस के आरोपी से मनी लॉन्ड्रिंग रोधी एजेंसी ने न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के साथ उनके संबंध के बारे में जेल में ही पूछताछ की थी।-अभिनय आकाश

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