रोबोट का बढ़ता रोब (व्यंग्य)

रोबोट उन लोगों के लिए काम करने लायक है जिनके पास पैसा है, सुविधा है लेकिन समय नहीं है। उन्हें सार्वजनिक पार्क की धूल मिटटी परेशान करती है, सेहत के मेकअप के लिए जिम जाते हैं। घर का काम कर शरीर फिट रह सकता है लेकिन फिर घर के लिए बनाया रोबोट क्या करेगा।
यह सुनी सुनाई बात नहीं, आंखों के सामने दिख रहा है। इंसान जैसे रोबोट्स की संख्या बढ़ रही है। स्वाभाविक है उनका रोब भी बढ़ रहा है। नकली बुद्धि कारें चला रही हैं। कंप्यूटर कोड लिख रहे हैं। घर और किचन की सफाई रोबोट कर रहे हैं। डिशवाशर में बर्तन रखना आसान है लेकिन पति पत्नी दोनों अस्तव्यस्त हैं, अब खाली कौन करे, अपना रोबो है न। वेयरहाउस में सामान की छंटाई वगैरा भी करेंगे यानी इंसान के बुद्धिमान सहायकों की तरह काम करेंगे। यह बात सुनिश्चित है यदि रोबोट की प्लानिंग सही समझदार आदमी ने अच्छे वातावरण में की तो रोबोट इंसान से बेहतर काम करेंगे।
रोबोट उन लोगों के लिए काम करने लायक है जिनके पास पैसा है, सुविधा है लेकिन समय नहीं है। उन्हें सार्वजनिक पार्क की धूल मिटटी परेशान करती है, सेहत के मेकअप के लिए जिम जाते हैं। घर का काम कर शरीर फिट रह सकता है लेकिन फिर घर के लिए बनाया रोबोट क्या करेगा। इंसान ने खुद को सृष्टि की अनुपम कृति समझना छोड़ दिया है। वह अपनी बुद्धि, कल्पना, क्षमता, रचनात्मकता से मशीनें बनाकर उनका दास हो रहा है। रोबोट को अपनी तरह चलने, झुकने, उठने, मुड़ने, हाथ से चीज़ें पकड़ने की ट्रेनिंग दे रहा है। एक वक़्त आएगा जब वह खुद चलने, झुकने, उठने, मुड़ने में असहाय जो जाएगा तो उसी की खोज, नकली बुद्धि ही उसकी असली मदद करेगी।
इसे भी पढ़ें: कमरे की आखिरी मोमबत्ती (व्यंग्य)
रोबोट का बढ़ता प्रयोग बताता है कि उचित तरीके से काम करने वालों की जनसंख्या कम हो रही है। आपसी मतभेद, मनभेद, नापसंद, अलगाव बढ़ रहा है। हमारे यहां कुछ इंसान दूसरों से बहुत काम करवाते हैं। मेहनत का पूरा पैसा भी नहीं देते। काम करने वाले बंदे, रोबोट की तरह बिना रुके या थके काम किए जाते हैं। महिलाएं आज भी रोबोट की तरह घर आंगन के काम किए जा रही हैं। उनकी स्वतंत्रता उनके वश में नहीं है। आवश्यक पारम्परिक निर्देशों का समावेश, पैदा होने के साथ ही उनके दिमाग में व्याप्त रहता है। यही उनके मानवीय कर्तव्य माने जाते हैं।
क्या रोबोट बनाने वाले, ऐसे रोबोट बना सकते हैं जो सिर्फ महिलाओं, निम्नवर्गीय समाज, सुविधाहीन बुजुर्गों के कल्याण के लिए ही काम करें। क्या संपन्नता ऐसा करने देगी। उसे अपना वर्चस्व खत्म हो जाने का खतरा होगा इसलिए वह कभी ऐसा नहीं होने देगी। राजनीति ऐसा रोबोट बनाने की अनुमति स्वीकृति नहीं देगी जो समाज में असमानता, जाती पाति, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए काम करे। उसने ऐसे करोड़ों लोगों को जीवित भी तो रखना है जो हर चुनाव में एक मिनी रोबोट की तरह वोट डालते हैं, हालांकि वे रोबोट नहीं हैं फिर भी रोबोट की तरह करते हैं।
रोबोट का रोबदाब बढ़ते ही जाना है। नई दुनिया बसाने के लिए ऐसा होना लाज़मी भी है।
- संतोष उत्सुक
अन्य न्यूज़