मुरारी जी का रोड शो (व्यंग्य)
अपने रोड शो की यादों में मुरारी जी खोते हुए बता रहे हैं- कितनी आन-बान-शान थी उनके रोड शो में। सिर पर चमकदार पगड़ी, विशेष रूप से सिलवाई गई अचकन, जरी की कढ़ाई वाली जूतियाँ, कमर में तलवार - और शानदार बग्घी। चुनावी रोड शो की तरह नहीं- बेतरतीब कपड़े, बिखरे बाल, चेहरे पर उड़ती हवाइयाँ- और खुली जीप।
चुनावों का मौसम है-- रैलियाँ और रोड शो जारी हैं- लेकिन मुरारी जी रोड शो के तरीके को लेकर बहुत गुस्सा हैं-- भला ये भी कोई रोड शो है-- जिसके लिए रोड शो किया जा रहा है वही स्टार प्रचारक के पीछे दुबका खड़ा है। हाथ हिलाकर अभिवादन करने से पहले बार-बार प्रचारक का मुँह देखता है, उनकी प्रतिक्रिया का आकलन करता है फिर अपने उठे हाथ नीचे कर लेता है- उसकी प्रचारक के सामने वैल्यू ही कितनी है -- डालर के सामने रुपैये जितनी ही न। मुरारी जी को यही बात सालती है-- जब भी वह रोड शो का यह सीन देखते हैं, रोष में आ जाते हैं- क्या रोड शो का यही सही तरीका है-- उनने भी तो कभी रोड शो किया था-- पर आजकल का चुनावी रोड शो तो एक ऐसी बारात जैसा लगता है जिसमें दूल्हे के आगे फूफा को खड़ा कर दिया गया हो।
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अपने रोड शो की यादों में मुरारी जी खोते हुए बता रहे हैं-- कितनी आन-बान-शान थी उनके रोड शो में। सिर पर चमकदार पगड़ी, विशेष रूप से सिलवाई गई अचकन, जरी की कढ़ाई वाली जूतियाँ, कमर में तलवार - और शानदार बग्घी। चुनावी रोड शो की तरह नहीं- बेतरतीब कपड़े, बिखरे बाल, चेहरे पर उड़ती हवाइयाँ- और खुली जीप। घर से महिलाओं ने तिलक लगाकर विदा किया था। नजर न लगे इसलिए बालों के नीचे माथे के दाहिनी ओर काजल का टीका लगाया गया था। बग्घी में केवल वह ही विराजमान थे-- साथ में थे बहिन के दो छोटे बच्चे-- फूफानुमा स्टार प्रचारक से कोसों दूर। न आचार संहिता का लफड़ा, न रोड शो के रूट की फिक्र और न समय की सीमा। तब आजकल की तरह डीजे चलन में नहीं था -- बैण्डवाले ही रूट और समय निर्धारित करते थे- नागिन डांस पर रुपए लुटाने पर कोई पाबन्दी नहीं-- बारातियों के दाँतों में दबे रुपए जितने ज्यादा, उतना ही लम्बा रूट और उतना ही अधिक समय।
मुरारी जी का कहना है कि उनका रोड शो तो मुख्य सड़क को छोड़कर कस्बे की हर गली से होकर गुजरा था। चुनावी रोड शो सरीखा नहीं कि जरा भी निर्धारित रूट से इधर-उधर खिसका कि हुआ केस दर्ज। घरों की बालकनी में खड़ी बड़ी-बूढ़ी उनको देखकर खुसुर-पुसुर कर रहीं थी- "बहुतई नोनो लग रहो है दूल्हा तो" और एक ये रोड शो है जिसमें फूफा की पॉवर और दबंगई का महिमा मण्डन किया जाता है। उनकी शादी में तो तीन-तीन फूफा थे लेकिन मजाल क्या कि किसी ने दूल्हे की शान कम करने की कोशिश की हो। छोटे चाचा की व्यवस्था भी पूरी चाक-चौबन्द थी-- रॉयल चैलेंज के पचास-पचास एम.एल. के दो-दो पैग नीचे उतरवा कर उन्होंने तीनों फूफा से "ये देश है वीर जवानों का" गीत पर भी लुंगी डांस करवा दिया था। कर सकता है कोई ऐसा कमाल इन चुनावी रोड शो में।
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अपने रोड शो की सफलता से मुग्ध मुरारी जी ने आगे कहा- "कोई सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं थी हमारे रोड शो में लेकिन सारे बाराती गजब के स्व-अनुशासन में चल रहे थे। चुनावी रोड शो में देखा आपने-- अनियंत्रित भीड़, आतंकित करने वाली नारेबाजी और स्टार प्रचारक की नजर में चढ़ने की होड़। सुरक्षा के इतने ताम-झाम के बीच भी लोग-बाग जीप पर चढ़कर स्टार महोदय को थप्पड़ लगा जाते हैं। हमारे रोड शो में तो कितने ही लोगों ने तिलक किया था और गजब का स्वागत सत्कार हुआ था सभी का। चुनावी रोड शो के परिणाम के लिए महीनों इन्तजार करना पड़ता है जबकि हमने शाम को रोड शो किया और सुबह दुल्हिन को लेकर घर रवाना हो गए।
हमारे और इस रोड शो की कोई तुलना नहीं है। शायद इसीलिए दूल्हा स्वयँ ही इस रोड शो में पीछे रहना पसन्द करता है-- क्या मालूम कोई स्टार जी से खुंदक निकालने आए और उनकी मुड़थपड़ी कर चला जाए।
- अरुण अर्णव खरे
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