राजनीति और ज्योतिष (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । Sep 27 2024 5:50PM

यह तो होता ही है कि सभी भविष्यवाणियां और सबकी भविष्यवाणियां सच नहीं होती। जब तक भविष्यवाणी सच न हो तब तक ज्योतिषी वीआईपी होता है। झूठ साबित हो जाए तो उसकी साख कुछ समय के लिए गिर जाती है।

चुनाव हों तो ज्योतिष पर चर्चा और खर्चा बढ़ना लाज़मी है। ज्योतिषी बड़ी समझदारी से गणना खंगालते हैं उसमें अनुभव, जान पहचान, विशवास और समकालीन माहौल का रसायन मिलाकर भविष्यवाणी करते हैं।  जिन ज्योतिषियों का राजनेताओं से याराना होता है, वे घुमाफिरा कर या फिर सीधे सीधे उनके पक्ष में भविष्यवाणी करते हैं। ऐसे ज्योतिषी भी हैं जो डरते नहीं। उन्हें अपना काम सही तरीके से करना आता है। वे डंके की चोट पर भविष्य का हाल बताते हैं। उनकी ऐसी बातों से कुछ लोग डंकी जैसा महसूस करते हैं जी। 

   

यह तो होता ही है कि सभी भविष्यवाणियां और सबकी भविष्यवाणियां सच नहीं होती। जब तक भविष्यवाणी सच न हो तब तक ज्योतिषी वीआईपी होता है। झूठ साबित हो जाए तो उसकी साख कुछ समय के लिए गिर जाती है। अगली भविष्यवाणी सच साबित होने तक थोडा व्यावसायिक नुकसान भी हो सकता है। कुछ भी कह लो जी, ज्योतिष, असुरक्षित, अविश्वसनीय, वर्तमान स्वार्थी वातावरण में चुनाव लड़ने वालों के लिए मनोवैज्ञानिक संबल का काम तो करता ही है। हवन, यज्ञ अनुष्ठान किया जाए तो बेचारा उत्साह बरकरार रहता है। उत्साह ज्यादा बढ़ जाए तो नुकसानदेह हो सकता है।

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दिलचस्प यह है कि पूरी दुनिया इस समय भारत की दीवानी है। हम हर काम पहले कर चुके हैं जिसका नालायक दुनिया को बाद में पता चला। हमारे देश की तरह, चुनाव के दिनों में, विदेशों में भी राजनीतिज्ञों के साथ साथ ज्योतिषी भी बहुत व्यस्त रहते हैं। अपने फार्मूले लगाकर, भविष्यवाणी करने से उनके व्यवसाय और चाहने वालों में बढ़ोत्तरी हो रही है। समझदार भविष्यवक्ता कह रहे हैं कि उन्होंने तो पिछले साल ही कह दिया था कि कमला के ग्रह बेहतर स्थिति में हैं। इन ज्योतिषियों के अनुयायी बढ़ गए है यानी उनका धंधा चमक रहा है। भी राज़ खुल रहे हैं कि पहले भी फलां फलां नेता सलाह ले चुके हैं। ज्योतिषीय सलाह लेने में हर्ज़ ही क्या है। यह कोई एलोपैथिक दवाई तो है नहीं कि जिस्म पर असर डालेगी। जीवन, कैरियर और सम्बन्धों में तनाव और अनिश्चितता बढ़ रही है तभी नौजवान खूब आकर्षित हो रहे हैं। उनके लिए ज्योतिष एक थैरेपी की तरह काम कर रहा है।  

हमारे लिए राष्ट्रीय, शान बढ़ाऊ खुशखबर यह है कि विदेशी ज्योतिषियों ने भी भारतीय ज्योतिषियों की तरह अपने शब्दों और जीभ को अवसर के मुताबिक़ हिलाना सीख लिया है। वे परिस्थितियों और घटनाओं का विश्लेषण करते हुए माथा देखकर तिलक करते हुए सुरक्षित व्यवसाय कर रहे हैं। देखने में आया है कि ज्योतिषी अलग अलग बातें कर रहे हैं जिनमें अवसरवादिता भी झलक रही है। प्रत्याशी के साथ ज्योतिषी को जोड़ा जा रहा है। ज्योतिष और राजनीति का हलवा आम जनता को बहुत स्वादिष्ट लगता है।  खुशी की बात यह है कि वहां, यह सब कुछ, हमारे देश की तरह हो रहा है।

- संतोष उत्सुक

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