भारत में ओलंपिक (व्यंग्य)

Olympics
ANI
संतोष उत्सुक । Aug 27 2024 6:41PM

वह दिन दूर नहीं जब छोटे से जापान को दर्जनों पदक जीतने हमारे विशाल देश में आना पडेगा। वैसे तो हमारा असली खेल राजनीति, धर्म, जाति और क्रिकेट भी है। हमारा राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय खेल भी क्रिकेट ही है लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है।

कुछ दिन पहले उन्होंने बहुत बढ़िया और ज़िंदगी का स्वाद बाधा देने वाली बात कही कि वह दिन दूर नहीं जब ओलंपिक भारत में होंगे। वैसे भी ज्यादा तमगे हासिल करने के लिए, हमें भारत में ओलंपिक, कभी न कभी तो करवाने ही पड़ेंगे। ओलंपिक भारत में हुए तो उसमें क्रिकेट भी ज़रूर होगा और उसमें हमारे कई मैडल आ सकते हैं। कई नहीं तो एक तो आ ही सकता है क्यूंकि खेल में कब कोई खिलाड़ी या टीम खेला कर दे पता नहीं चलता। इस बारे भविष्यवाणी भी नहीं कर सकते। खैर, संजीदा बात हुई है तो वह दिन दूर नहीं लगता जब भारत में ओलंपिक होंगे।

  

वह दिन दूर नहीं जब छोटे से जापान को दर्जनों पदक जीतने हमारे विशाल देश में आना पडेगा। वैसे तो हमारा असली खेल राजनीति, धर्म, जाति और क्रिकेट भी है। हमारा राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय खेल भी क्रिकेट ही है लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। गर्व की असली बात तो यह है कि ओलंपिक जैसा ऐतिहासिक, महान आयोजन भारत में होगा। यह भी यादगार होगा कि हम उसमें कितने मैडल जीतते हैं। इसके लिए नई सोच पकनी शुरू हो गई है। खिलाडियों को भारतीय सांस्कृतिक आंगन में खेलने और विदेश में अभ्यास के दौरान घरेलू माहौल में रखने की व्यवहारिक योजना है ताकि कमाल खेल सकें। वह बात दीगर है कि वह जीतें या हारें। पदक का क्या है प्रशंसनीय बात तो अच्छी खेल भावना का होना होता है। इसीलिए इस व्यंग्य का शीर्षक, ओलंपिक में भारत नहीं हो सकता।

इसे भी पढ़ें: पक्ष और विपक्ष का टाइम पास (व्यंग्य)

दूसरे देशों के जो खिलाड़ी हमारे यहां खेलने आते हैं वे हमारे दुश्मन तो नहीं होते कि हम उनकी जीत का बुरा माने। बुरा मान भी जाएंगे तो उन्हें क्या फर्क पडेगा। फर्क तो हमें पडेगा। हमारी सोच में मोच आ जाएगी। आखिर जीतते तो वही हैं जो अतिरिक्त अभ्यास और प्रयास करते हैं। हमारी खेल सांस्कृतिक परम्परा यानी पिछली बार से ज़्यादा पदक लाएंगे, हमसे बेहतर कोई नहीं और राजनीति का छौंका खेल का स्वाद बिगाड़ देता है।  पदक जीतने के मामले में भाग्य और दुर्भाग्य का दखल भी माना जाता है। कुछ मामलों में ज्योतिष की मदद भी ली जाती देखी गई है। पता नहीं क्यूं पूजा पाठ के बाद भी पदक हमारे नहीं हो पाते।  यह दृश्य बदल सकता है अगर भारत में ओलंपिक आयोजित हों जोकि एक दिन होंगे ही।  

विदेशी धरती पर हो रहे ओलंपिक खेलों में पदक चाहे जितने भी आएं मगर जब से यह सुनिश्चित हुआ है कि हमारा देश कोई भी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन सफलतापूर्वक करवा सकता है खिलाड़ियों पर जोश की बारिश हो रही है। ज्यादा से ज्यादा मैडल प्राप्त करने की आशाएं उगनी शुरू हो गई हैं। गरीबी, बेरोजगारी और नफरत कम हो न हो राजनीति के पहलवानों ने फिर से मालिश करनी शुरू कर दी है। बहुत से व्यवसायियों ने खेल उपकरणों की दुकानें खोलने का उपक्रम कर लिया है क्यूंकि वह दिन पास आता जा रहा है जब ओलंपिक भारत में होकर रहेंगे।

- संतोष उत्सुक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़