ऑफर्स की झमाझम बारिश (व्यंग्य)

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दीपक गिरकर । Feb 4 2019 6:03PM

चुनावी मौसम विभाग के अनुसार भी इस बार चुनावी मौसम ज़्यादा ख़ुशगवार होगा। भविष्य के रंगीन ख़्वाब दिखाकर कुछ दिनों तक इस झमाझम बारिश का दौर रहेगा, ताकि वोट का पिटारा भरा जा सके।

भद्र पुरुष ऑफर्स की बरसात होते देखकर अनुमान लगा लेते हैं कि अब आम चुनाव नज़दीक आ रहे हैं। अभी चुनावी मौसम में देर है, लेकिन सभी राजनीतिक दल आषाढ़ के मेढ़क की तरह टर्र-टर्र करने लगे हैं। चुनावी मौसम के भविष्यकर्ताओं के अनुसार इस बार ऑफर्स की झमाझम बारिश की बहुत संभावना बनी हुई है। चुनावी मौसम विभाग के अनुसार भी इस बार चुनावी मौसम ज़्यादा ख़ुशगवार होगा। भविष्य के रंगीन ख़्वाब दिखाकर कुछ दिनों तक इस झमाझम बारिश का दौर रहेगा, ताकि वोट का पिटारा भरा जा सके। कुछ लोगों को डर हैं कि ऑफर्स की मूसलाधार बारिश की वजह से कभी बाढ़ आ गई तो उनके काम करने की क्षमता कम होकर यदि समाप्त हो गई और भविष्य में ऑफर्स की बारिश नहीं हुई तो वे कहीं के नहीं रहेंगे।

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राजनीतिक पार्टियों द्वारा इतनी अधिक लोकलुभावन योजनाएं, बड़े-बड़े पैकेज और सरप्राइज पैकेज की दनादन घोषणा हो रही हैं कि आम जनता को लग रहा हैं कि अब उनकी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। लोगों की नाराज़गी दूर करने के लिए राजनीतिक पार्टियाँ जनता को आश्वासनों के झुनझुने थमा रही हैं। वैसे हमारे देश में मुद्दों का टोटा नहीं है। देश के नेता किसी भी मुद्दे पर ऑफर्स का झुनझुना थमाकर जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने में तो प्रवीण हैं ही और साथ में एमबीए ग्रेजुएट्स और सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की मदद से वोट बाजार पर नजर रखने में माहिर हो गए हैं।

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जिस तरह मदारी दर्शकों की बेचैनी भाँप कर अपना जादुई पिटारा खोलता है और खाली टोकरी बताकर, उस खाली टोकरी को एक कपड़े से ढककर जब कपड़ा हटाता है तो उसमें से कबूतरों का जोड़ा निकलता है। सभी दर्शक ताली बजाते हैं। इसी तरह सत्ताधारी पार्टी सरकारी खजाने की खाली टोकरी पर अपनी जादुई छड़ी घुमाकर जनता पर ऑफर्स की झमाझम बारिश कर रही हैं। अन्य राजनीतिक पार्टियाँ ऑफर्स का मास्टर स्ट्रोक लगाकर लॉलीपॉप बांट रही हैं। ऑफर्स की बरसात तभी होती है, जब उत्पाद या सेवाओं की चमक फीकी पड़ जाती है या फिर नया उत्पाद या सेवाएं बाजार में लांच होती हैं। चुनाव की वैतरणी को पार करने के लिए सभी नेता बोनान्जा चुनावी ऑफर्स की नाव पर सवारी कर रहे हैं। किसानों की ऋण माफ़ी योजना ऑफर गेमचेंज़र साबित हुआ था। इस बोनान्जा ऑफर ने तीन राज्यों में तो अपने जलवे बिखेर ही दिए थे। अब देखना यह है कि आने वाले चुनाव में ऑफर्स की झमाझम बारिश की बाढ़ में मतदाता बह जाएगा या ऑफर्स की बाढ़ उसे हिला नहीं पाएगी।

-दीपक गिरकर

(व्यंग्यकार)

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