सरकार के काम करने का तरीका (व्यंग्य)

neta
Prabhasakshi

बदली हुई सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपने कामकाज में अविलम्ब बदलाव लाने चाहिएं। जो ख़बरें पढ़ने, सुनने व देखने में पसंद न आ रही हों उन्हें आधारहीन व तथ्य विहीन मानकर और कहकर उनका खंडन अविलम्ब छपवा देना चाहिए।

चुनाव जीतने पर नई सरकार चीते की तरह गुर्राने लगती है। समझदार सरकार अपना कार्यकाल दो साल निकाल देने के बाद पुन सत्ता में आने के लिए मेहनत शुरू कर देती है। सबसे ज़्यादा दबाव सरकार के मुखिया पर आता है। हो भी क्यूं न, सरकार बनाना कोई खेल नहीं और मुख्यमंत्री बनना किसी तहसील स्तरीय फुटबाल टीम का कप्तान बनना नहीं है। सैंकड़ों बैठकें करनी पड़ती हैं कि किस तरह, रंग, आकार व प्रकार की योजनाएं बनाई जाएं कि सरकार को पुन सत्ता में आना ही पड़े।

इस अभियान में सरकारी विभागों में से लोक संपर्क एवं सूचना विभाग का बेहद संजीदा, ईमानदार व मेहनत भरा रोल रहता है। उन्हें अन्य कई विभागों की भूरी और काली करतूतों पर हरे रंग का सुहावना पर्दा डालना पड़ता है। सरकार इस विभाग से कहती है कि नई सोच, नवाचार व सदव्यवहार की नदियां बहा दें और सबसे पहले मीडिया कर्मियों को उसमें नहला दें। मीडिया कर्मियों के साथ व्यक्तिगत संपर्क व रिश्ते बनाने के लिए कहा जाता है। इस बहाने कुछ शादियों की सम्भावना भी उग जाती है। प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए सफलता की अलग अलग स्वादिष्ट कहानियां व रिपोर्ट्स पकाने को कहा जाता है जिनका स्वाद उन्हें सरकारजी की तारीफ़ के लिए प्रेरित करे। ढिंढोरा पीटने के लिए बढ़िया डमरू खरीदे जाने ज़रूरी होते हैं। सरकारजी की नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं और सामाजिक पहलों के व्यापक व समुचित सकारात्मक प्रचार व प्रसार की भरमार के लिए अत्याधुनिक तकनीकों व सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग पर मनचाहा बल प्रयोग करने के लिए कहा जाता है और किया जाता है।

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बदली हुई सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपने कामकाज में अविलम्ब बदलाव लाने चाहिएं। जो ख़बरें पढ़ने, सुनने व देखने में पसंद न आ रही हों उन्हें आधारहीन व तथ्य विहीन मानकर और कहकर उनका खंडन अविलम्ब छपवा देना चाहिए। किसी भी स्तर पर बैठे कर्मचारियों व अधिकारियों को किसी भी प्रकार और आकार की नकारात्मक ख़बरों को ऊपर वालों के संज्ञान में तुरंत लाना चाहिए। यह पता लगाकर छोड़ना चाहिए कि यह खबर क्यूं पकी और छपी क्यूं। यह भी अच्छी तरह समझाया जाता है कि अपने उचित अधिकारियों की सलाह लेकर विकासात्मक व प्रशंसायुक्त लेख लिखने के लिए प्रसिद्द, श्रेष्ठ पेशेवरों की सेवाएं लें और खर्च की परवाह न करें। ऐसे लेख और फीचर्ज़ को नियमित रूप से जितना ज़्यादा हो सके प्रकाशित करवाना सुनिश्चित करें।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए विकासात्मक कहानियों वाली प्रभावोत्पादक फ़िल्में तैयार करवाएं। मीडिया को हर हालत में पटाकर रखें। फिर भी कुछ लोग सवाल करते हैं तो उनके लिए बढ़िया जवाब देऊ तंत्र पकाकर रखा जाए और तपाक से उन्हें खिला दिया जाए। ऊपर से नीचे तक, दाएं से बाएं तक तालमेल जमाकर रखें और निगरानी करते रहें। सकारात्मक प्रचार के लिए कुछ दिन बाद प्रेस नोट जारी कर देना चाहिए कि शासकीय प्रतिनिधि विकास की बारिश कर रहे हैं। आम जनता रेन डांस का मज़ा ले रही है और विपक्ष वाले, बिना छतरी, किनारे खड़े बिना तला पकौड़ा हो रहे हैं। यह काम ऐसे करना है कि निरंतर सफलता सुनिश्चित हो। सभी मंचों पर, ‘सब अच्छा है, सब बढ़िया है’ जैसा गाना बजते रहना चाहिए। लगातार मेहनत करने का कुछ फायदा ज़रूर होगा।

- संतोष उत्सुक

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