ओवर स्मार्टियत की वैक्सिन कब ? (व्यंग्य)

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इधर ऑनलाइन क्लासों ने मानो रामधारी जैसों के लिए सीरियाई फरमान जारी कर दिया कि यदि बच्चे को स्मार्ट फोन नहीं दिलाओगे तो समझो तुम्हारी खैर नहीं। वह तो भला हो चीनी कंपनियों का, जो जिंदगी से सस्ते दामों पर स्मार्टियत वाला फोन बेचते हैं।

साल 2020 जाते-जाते बच्चों को फोन, जवानों को बेरोजगारी का कमंडल और बचे-खुचों को मौत की दावत देकर अपने रास्ते चलते बना। मौत की दावत खाने वाले तो दुनिया में रहे नहीं, सो उनकी बात करना ठीक वैसा ही होगा जैसे कारवाँ गुजर जाने के बाद गुबार देखना। बेरोजगार तो जैसे-तैसे अपने बेरोजगारी से लड़ लेंगे। मुश्किल तो रामधारी के बेटे टिंकू के नन्हे हाथों से हैं, जिसे महाप्रभु कोरोना जी की कृपा से मोबाइल को न केवल स्पर्श करने का मौका मिला, बल्कि ऑनलाइन क्लासेस के बहाने चिट-चैटर, यूट्यूबर, व्हाट्सपर, फेसबुकर, गेमर और कुछ संदर्भों में अडल्टर बनने का भरपूर अवसर मिला। इतनी खुशी तो उसे अपने जन्म के समय भी नहीं हुई।

रामधारी ठहरे एकदम कोरे निरक्षर। स्मार्ट बनना तो दूर स्मार्ट की स्पेलिंग से भी उनका दूर-दूर तक पाला नहीं पड़ा था। पड़े भी कैसे? घर में टीवी चैनल सारे हिंदू-मुस्लिम, जादू-टोना, निंबू-मिर्ची करने में अपना सिर खपा रहे थे। यदि कोई चैनल गलती से स्मार्ट बनने की कोशिश करता तो दो हजार और पाँच सौ की नोटों में से चिप निकालने बैठ जाता। एक तरह से कह दें तो रामधारी की स्मार्टियत जन्म लेने से पहले ही भ्रूणहत्या का शिकार हो गयी। इसका मतलब यह नहीं कि उनके पास मोबाइल नहीं है। है लेकिन उतना ही जितना कि हरा बटन दबाने पर जवाब दे सके और खतरा लगने पर लाल बटन दबाकर सामने वाले या फिर खुद का गला दबाने में काम आ सके।

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इधर ऑनलाइन क्लासों ने मानो रामधारी जैसों के लिए सीरियाई फरमान जारी कर दिया कि यदि बच्चे को स्मार्ट फोन नहीं दिलाओगे तो समझो तुम्हारी खैर नहीं। वह तो भला हो चीनी कंपनियों का, जो जिंदगी से सस्ते दामों पर स्मार्टियत वाला फोन बेचते हैं। सो, भेड़चाल की भीड़ में रामधारी भी हो चले। उन्होंने भी अपने लाड़ले टिंकू का स्मार्ट फोन से आलिंगन करवा दिया। रामधारी के लिए वह एक घड़ी थी और आज एक घड़ी है, जब स्मार्ट फोन दिलवाने का पछतावा उन्हें हर समय होता रहा है। स्मार्टफोन से पहले बनावटी पितृभक्त टिंकू अब तो खुलेआम घर के सदस्यों पर मोर्चा खोल बैठा है। कुछ भी काम कहो तो कहता कि क्लास लगी है। पता चला कि महाराज ऑनलाइन क्लास के बहाने रिसेंट एप्स में अपनी सृजनात्मकता का लोहा मनवा रहे हैं। रिसेंट में सब कुछ ताजा-ताजा चीज़ें होतीं। जैसे- व्याहट्स पर चिट-चैट, फेसबुक पर लाइक-शेयर, इंस्टा पर हसीनाओं के दीदार, ऑनलाइन गेम्स में पड़ोस के मिन्नू से वर्ल्ड नंबर बनने की होड़ और यूट्यूब पर अपनी फूहड़ कलाकारी की अपलोडियत का कारनामा।

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रामधारी के लिए साल 2019 तक टिंकु का 1.0 वर्जन खूब फबा, किंतु साल 2020 में उसी टिंकु का 2.0 वर्जन उन्हें और उनके घरवालों के लिए खाना-पीना हराम कर दिया था। ऑनलाइन क्लास में टिंकु ने कुछ सीखा या नहीं सीखा यह ठीक से तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन टेढ़ी गर्दन, उभरा हुआ पेट, बदन पर चर्बी की भरमार, आँखों पर मोटा चश्मा, छोटी-सी उमर में बुढ़ापे की झलक, बड़ों से बदसलूकी की झलकियाँ और घरभर के माथों पर परेशानियों के बल आसानी से देखे जा सकते थे। रामधारी साल 2021 के आगाज पर यही सोच रहा था कि सरकार ने वैक्सिन तो बना दी, लेकिन इस ओवर स्मार्टियत की तोड़ वाला वैक्सिन शायद ही बन पाए।

-डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त

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